राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बारदाने की अंतर्कथा..
03-Dec-2021 6:12 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बारदाने की अंतर्कथा..

बारदाने की अंतर्कथा..

पूरे प्रदेश में 1 दिसंबर से बड़े उल्लास के साथ समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हो गई है। राज्य सरकार और प्रशासन की सबसे बड़ी चिंता बारदाने की व्यवस्था करने की है। पहले ही दिन से सरकार ने किसानों से कहा है कि वे अपने बारदाने में धान लेकर आएं। इधर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और दूसरे भाजपा नेताओं का बयान है कि हमने तो कभी बोरियों की कमी का रोना नहीं रोया। दरअसल, उस वक्त अधिकतम खरीदी बमुश्किल 75 लाख मीट्रिक टन की हुई। भाजपा के दौर में भी धान खरीदने के लिए बोरियों की कमी होती थी पर वह मामूली थी। पर, अब ज्यादातर राज्य समर्थन मूल्य पर धान खरीदने लगे हैं। अब सबको बोरियों की जरूरत है। अपने यहां 2500 रुपये क्विंटल प्रोत्साहन भुगतान के चलते हर तरफ धान ही धान है। बीते साल सरकार ने करीब 93 लाख मैट्रिक टन धान खरीदा था। इस बार एक करोड़ 5 लाख मीट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य है।

हर साल लक्ष्य बढऩे के कारण बोरियां कम पड़ रही हैं। बोरियां पटसन से बनती हैं और इसका 95 प्रतिशत उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है। किस राज्य को कितनी बोरियां देनी हैं, यह तय करने के लिए एक जूट आयुक्त कोलकाता में बैठे हुए हैं। पर इस आयुक्त के हाथ बंधे रहते हैं। वे केंद्र सरकार की सलाह या निर्देश पर राज्यों को बोरियां आवंटित करते हैं। ऐसे में यदि राज्य सरकार केंद्र पर बोरियां नहीं देने का आरोप लगा रही है, तो वह गलत नहीं है। पिछले साल उसी पश्चिम बंगाल में, जहां पर 95 प्रतिशत बोरियों का उत्पादन होता है, ममता बनर्जी सरकार को लाख मिन्नतों के बावजूद गेहूं की खरीद के लिए जरूरत के मुताबिक बोरियां नहीं मिलीं। इसके चलते गेहूं की खरीद लक्ष्य से 20 प्रतिशत कम हो पाई। अब छत्तीसगढ़ में भी यही हाल है। क्या लक्ष्य तक धान खरीदा जा सकेगा?

पंच परमेश्वरों की करतूत...

हाल ही में मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष संतू लाल सोनकर को बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने 13 लाख रुपये के ऐसी नाली निर्माण के बिल पर हस्ताक्षर किए जो बनी ही नहीं। अब जांजगीर से खबर है कि वहां पर एक करोड़ रुपए में सडक़ों का निर्माण हुआ, मरम्मत की गई, मगर जमीन पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। ऑफिस से इसके बिल वाउचर भी गायब हैं। जिला पंचायत बिलासपुर में इस समय बवाल मचा हुआ है। अध्यक्ष ने अपने फॉर्म हाउस तक 11 लाख रुपए की सडक़ बनवा ली। ग्राम पंचायत को इसकी भनक भी नहीं लगी। सीधे जिला पंचायत से पैसे निकले। ऐसे मामले खंगाले जाएं तो हर शहर, कस्बे, गांव में मिलेंगे। दर्जनों जनप्रतिनिधियों से वसूली और उनकी गिरफ्तारी बची. रुकी है। और ऐसी स्थिति में बड़ी उदारता के साथ जिला पंचायत सदस्यों से लेकर के सरपंच तक का मानदेय सरकार ने बढ़ा दिया है। आगे बढक़र, उन्हें 50 लाख रुपए तक के काम कराने की छूट भी दे दी है।

हिंदी की टंगी हुई टांग

सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर डरा रही है। ऐसे निमंत्रण देंगे तो कौन सफर करेगा?

 

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