राजपथ - जनपथ
मुख्यमंत्री की हंसी-ठिठोली
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ठेठ अंदाज अक्सर लोगों को खूब गुदगुदाता भी है। ऐसा ही वाकया इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राईविंग एण्ड ट्रैफिक रिसर्च के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान हुआ। मुख्यमंत्री जब भाषण देने के लिए पहुंचे तो माइक के सामने बिना कुछ बोले काफी देर तक मुस्कुराते रहे। उनकी हंसी रूक नहीं रही थी। लोगों को माजरा समझ आता इससे पहले सीएम ने खुद ही अपनी हंसी का राज खोल ही दिया। दरअसल, इस कार्यक्रम में मारूति सुजुकी के एमडी केनिची आयुकावा भी अतिथि के रूप में मौजूद थे। विदेशी नाम का एकाएक उच्चारण करना थोड़ा मुश्किल होता है, लिहाजा अधिकारियों-मेहमानों ने केनिची आयुकावा के नाम की पर्चियां मुख्यमंत्री तक भिजवाई थी। माइक के सामने पहुंचते ही सीएम के पास ऐसी चार-पांच पर्चियां इक_ा हो गई। जिसे देखकर वे हंस रहे थे। उन्होंने इस बात को बोल दिया कि वे सही उच्चारण नहीं कर पाएंगे, इसलिए सभी ने लिखकर भेजा है। फिर मुख्यमंत्री ने बड़ी सावधानी से नाम पढक़र उनके नाम का उच्चारण किया। जिसके बाद मुख्यमंत्री और मौजूद लोगों की भी हंसी छूट गई। इतना होने के बाद सीएम को और मजाक सूझा तो उन्होंने मंच से एक प्रतियोगिता भी करा दी कि मारुति के अधिकारी के नाम का सही उच्चारण करने वाले को इनाम दिया जाएगा। फिर कई लोगों ने हाछ उठाकर नाम लेने की कोशिश की, लेकिन अधिकांश सही नाम नहीं ले पाए आखिर में किसी ने सही नाम लिया तो सीएम ने शाबासी दी। इस तरह वहां काफी देर तक हंसी-ठिठोली का माहौल चलता रहा। केनिची आयुकावा खुद भी लोटपोट हो रहे थे। हालांकि वे हिन्दी और छत्तीसगढ़ी समझ नहीं पा रहे थे, लेकिन उनके साथ मौजूद दुभाषिया उन्हें लगातार पूरा माजरा समझा रहा था, तो वे भी बराबरी से मजा ले रहे थे।
पत्नी से खटपट में भी कारगर योग
इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने योग का महत्व बताने के लिए भी ठेठ उदाहरण का उपयोग किया। दरअसल, नए सेंटर में ड्राइविंग की ट्रेनिंग के साथ योग और मनोरंजन के लिए भी इंतजाम हैं। जिसका जिक्र करते हुए सीएम ने बताया कि वाहन चलाते समय मानसिक संतुलन बेहद जरूरी है। उनका कहना था कि मान लीजिए ड्राइवर पत्नी से झगड़ा करके आ गया और मालिक भी नाराज हो जाए, तो एक्सीलेटर पर कंट्रोल करने के लिए मानसिक संतुलन का होना जरूरी है। संभव है कि दिमागी स्थिति बिगडऩे पर स्पीड तेज हो जाए और दुर्घटना का कारण बन जाए। इसलिए यहां योग भी सिखाया जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री खुद भी नियमित योग करते हैं और यह संभवत: उनका अनुभव होगा कि योग से मन को शांत रखा जा सकता है। लिहाजा वे रोजमर्रा की घटना से जोडक़र समझाने की कोशिश कर रहे थे कि पत्नी और बॉस के साथ खटपट की स्थिति में योग कारगर है।
जितनी मुंह, उतनी बातें
छत्तीसगढ़ सरकार कुलपतियों की आयु सीमा 65 से बढ़ाकर 70 वर्ष करने जा रही है। इस सिलसिले में विधानसभा में विधेयक लाने की तैयारी है। उत्तराखंड सहित कुछ राज्यों में पहले से ही कुलपतियों की आयु सीमा 70 साल है। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में एक महिला कुलपति को दोबारा मौका देने के लिए आयु सीमा बढ़ाई जा रही है। कुलपति के पति की भी शासन-प्रशासन में काफी धमक है। जितनी मुंह, उतनी बातें। लेकिन आयु सीमा बढ़ रही है, तो कुछ तो बात होगी।
जनरल रावत का छत्तीसगढ़ कनेक्शन
दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का छत्तीसगढ़ से गहरा नाता रहा। वे यहां कई बार आ चुके हैं। बिलासपुर में बिलासपुर गैस एजेंसी के संचालक राज्यवर्धन सिंह उनके मौसा-मौसी लगते हैं। कुछ साल पहले वे बिलासपुर में उनके घर एक विवाह समारोह में आखिरी बार पहुंचे थे।
पौष्टिक आहार से पेट दर्द
दुर्ग जिले के कोल्हियापुरी स्कूल में चिक्की (गुड़-पापड़ी) खाने से दो दर्जन से ज्यादा बच्चों के बीमार पड़ जाने का मामला आखिर क्या है? परिजन कहते हैं कि चिक्की खराब गुणवत्ता की थी। स्कूल के टीचर्स कह रहे हैं कि बच्चों ने ज्यादा मात्रा में खा ली। दोनों ही स्थितियां अलग-अलग सवाल भी खड़े कर रही हैं। चिक्की की गुणवत्ता खराब थी तो इसे बनाने और सप्लाई करने वाला कौन था? महिला बाल विकास विभाग की देख-रेख में इसे बनाया गया या नहीं? इस समय सरकार ने एक फैसला लिया है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है, कि अब महिला समूहों के बजाय सेंट्रलाइज तरीके से रेडी-टू-ईट आहार तैयार किया जायेगा। यदि गुणवत्ता ठीक थी, बच्चे ज्यादा मात्रा में खा लेने के कारण बीमार पड़े तो इसका सीधा मतलब यही निकलता है कि आम तौर पर उन्हें ऐसी स्वादिष्ट चीजें, जिनमें स्कूल का मध्यान्ह भोजन भी शामिल है, नहीं मिलती। अभी तो परिजनों की मांग के अनुसार चिक्की की क्वालिटी की जांच का काम बीज विकास निगम को सौंपा गया है, जिनके हाथ फरवरी से इसका ठेका आने वाला है। स्कूल के प्रधान पाठक को निलंबित किया गया है, स्टाफ की वेतन वृद्धि रोकी गई है।
स्मार्ट शहरों की यातायात सेवा
प्रदेश के दो बड़े शहर रायपुर और बिलासपुर हवाई सेवा से तो जुड़े हैं पर दोनों ही जगहों पर सार्वजनिक परिवहन सेवा खराब है। कोरोना महामारी के बाद तो स्थिति और बिगड़ी हुई है। रायपुर में नया बस-स्टैंड चालू होने के बाद तो ऑटो रिक्शा, टैक्सी से स्टेशन पहुंचने का खर्च एक तरफ- बस का किराया एक तरफ। किसका बोझ ज्यादा पड़ेगा, सोचना पड़ता है। रायपुर में सिटी बस को फिर से सडक़ पर लाने के लिये किराये में 25 फीसदी वृद्धि की घोषणा की गई लेकिन ऑपरेटर संतुष्ट नहीं। डीजल के दाम के कारण वे अपनी 65 प्रतिशत मांग को लेकर अड़े हैं। बिलासपुर में ऐसी कोई मांग नहीं है क्योंकि नगर निगम के अधीन में चल रही सारी बसें कंडम हालत में हैं। या तो इनकी रिपेयरिंग में लाखों रुपये खर्च करने होंगे या फिर नई खरीदी करनी होगी।
ये दोनों ही शहर स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किये जा रहे हैं। अभी तक इस योजना से अनुपयोगी स्ट्रक्चर, जुंबा डांस और रंग-बिरंगे होर्डिंग ही मिल पाई हैं।