राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस दफ्तर में अ ‘न्याय’ !
16-Dec-2021 5:56 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस दफ्तर में अ ‘न्याय’ !

कांग्रेस दफ्तर में अ ‘न्याय’ !

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपनी न्याय योजना का खूब प्रचार-प्रसार कर रही है। कहा जा रहा है कि सरकार ने सभी वर्गों के साथ न्याय किया है, लेकिन राजधानी रायपुर के कांग्रेस दफ्तर के कर्मचारी न्याय के लिए लामबंद हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि अपनी मामूली मांगों को लेकर यहां के कर्मचारियों ने हाल ही में काम बंद कर दिया था, हालांकि मान-मन्नौवल के बाद वे काम पर लौट गए थे, लेकिन अभी तक उनकी मांगें पूरी नहीं हुई है और नाराजगी बरकरार है। सरकार की तीसरी सालगिरह का जश्न पूरा होने के बाद वे कभी भी फिर से काम बंद कर सकते हैं। कुल मिलाकर, चिराग तले अंधेरा की कहावत कांग्रेस दफ्तर में चरितार्थ होती दिखाई पड़ रही है। सरकार के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेसी सब्बो बर सब्बो डाहर न्याय का डंका पीट रहे हैं, लेकिन पार्टी दफ्तर के गिने-चुने कर्मचारियों को ही न्याय नहीं मिलेगा, तो सवाल तो उठेंगे ही। वैसे भी, यहां के कर्मचारियों की कोई भारी-भरकम मांग नहीं है। वे तो केवल बैंक के जरिए वेतन भुगतान तथा पीएफ सुविधा की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पूरे प्रदेश में न्याय की रोशनी फैलाने का दावा करने वाली पार्टी का दफ्तर रौशन होता है अथवा नहीं।

राहुल की तारीफ में विकास के बोल

सियासत में अपने बड़े नेताओं को खुश करना हर किसी राजनीतिक व्यक्ति की प्राथमिकता होती है। खुश करने के तरीके कुछ भी हो सकते हैं। आमतौर पर बड़े नेताओं की तारीफ करना और उनके बारे में कसीदे पढऩा सामान्य व पापुलर तरीका माना जाता है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव और असम के प्रभारी सचिव विकास उपाध्याय ने भी ऐसा ही किया। पिछले दिनों उन्होंने असम प्रवास के दौरान पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ में लंबा-चौड़ा भाषण दिया। उनका कहना था कि केवल राहुल गांधी ही एकमात्र नेता हैं, जो सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी की तुलना रोमन ग्लैडियेटर से कर डाली। ग्लैडियेटर को सशस्त्र योद्धा माना जाता है,अन्याय के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाले योद्धा के रूप में ग्लैडियेटर का उदाहरण दिया जाता है। स्वाभाविक है कि विकास उपाध्याय ने भी राहुल गांधी को योद्धा के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की, लेकिन ग्लैडियेटर के बारे में विस्तार से जानने के लिए गूगल किया गया तो विकास उपाध्याय की यह बात तो सच निकली कि ग्लैडियेटर एक सशस्त्र योद्धा हुआ करता था, लेकिन उसके बाद यह यह भी कहा गया है कि ग्लैडियेटर रोमन गणराज्य और रोमन साम्राज्य में दर्शकों का मनोरंजन करता था। इस जानकारी के बाद विकास उपाध्याय का अपने नेता की तारीफ का अंदाज उलटा भी पड़ सकता है, क्योंकि बीजेपी के नेता राहुल गांधी की बात को मनोरंजन ही मानते हैं।

पवित्र रिश्ता बना अंकिता लोखंडे का...

‘पवित्र रिश्ता’  टीवी सीरियल से मशहूर हुई एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे की शादी बिलासपुर के विक्की जैन से हुई है। वे और उनके पिता विनोद जैन यहां के जाने-माने कारोबारी हैं। त्रिवेणी डेंटल कॉलेज सहित कुछ और व्यवसाय यहां उनका है। विक्की खुद मुंबई में बिजनेस संभालते हैं, जहां अंकिता लोखंडे से उनका परिचय हुआ और मुलाकातें रिश्ते में बदल गई। मुंबई में हुई इस शादी में बिलासपुर से विधायक शैलेष पांडेय जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी सहित उनके अनेक परिचित शामिल हुए।

तीरंदाज टीचर के तबादले का विरोध

ऐसा कम ही देखा गया है कि किसी  अधिकारी-कर्मचारी का तबादला रुकवाने के लिये लोग आंदोलन करें। कोंडागांव में आईटीबीपी के बटालियन में हवलदार त्रिलोचन ने बीते 5 सालों में अनेक बच्चों को तीरंदाजी सिखाई। आधुनिक तीर-धनुष खरीदने के लिये जेब से पैसे लगाये। उनके जुनून का असर ही है कि 85 छात्र-छात्रा नेशनल और 200 से अधिक राज्य स्तर पर खेल चुके और कई मेडल जीते। अब उनका अचानक तबादला कर दिया। खिलाड़ी इससे मायूस हैं। उन्होंने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और तबादला रोकने की मांग की। कलेक्टर का कहना है कि उनके हाथ में नहीं, पर वे सिफारिश जरूर करेंगे कि तबादला रुक जाये। देखें, बच्चों की बात सुनी जाएगी या नहीं।

स्पेस की दुनिया में स्पेस

खैरागढ़ के केंद्रीय विद्यालय के कक्षा नौवीं के छात्र हर्षित और उनके आठ दोस्तों ने  आखिर रॉकेट बना ली। वे चौथी क्लास से रॉकेट बनाने की कोशिश कर रहे थे। पांच साल में 67 बार विफल हुए 68वीं बार सफलता मिली। यह रॉकेट 500 फीट ऊपर तक जा सकता है। अब ये छात्र अंतरिक्ष की दुनिया में ही रिसर्च करना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिये एक कंपनी भी रजिस्टर करा ली है। यह बड़ी बात है कि खैरागढ़ जैसे कस्बे से छात्रों का कोई दल अलग दिशा में करियर बनाने की सोच रहा हो।

कोदो कुटकी का इडली दोसा

कम पानी में पठारी भूमि पर कोदो-कुटकी की पैदावार ली जा सकती है। पहले इसे गरीब वर्ग खाने के लिये उगाता था, पर जब से रुपये दो रुपये में चावल मिलने लगा है इसके उत्पादन में लोगों की रुचि नहीं रह गई। दूसरी ओर स्वास्थ्य को लेकर सजग लोग इसे ढूंढते हैं। कई देशों में इसकी बड़ी मांग है क्योंकि यह मधुमेह से बचाता है और वजन को भी नियंत्रित करता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में कोदो कुटकी की खेती के लिये सरकार ने भी कुछ प्रोत्साहन की योजना बनाई है। पर सबसे बड़ा संकट उसे जरूरत के अनुसार बाजार भेजने का है। अब वहां इसे आकर्षक पैकेजिंग कर विदेशों में भेजा जा रहा है। कुछ फूड स्टाल खोले गये हैं जहां कोदो के ही इडली, अप्पे और दोसा बिकते हैं। यह प्रचलित दोसा से ज्यादा स्वादिष्ट होता है।

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