राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चुनावी आग
21-Dec-2021 5:18 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चुनावी आग

चुनावी आग

नगरीय निकाय चुनाव में मतदान के बाद जीत के अपने-अपने दावे हैं। मगर कुछ घटनाएं ऐसी जरूर हुई हैं, जिसकी खूब चर्चा होती रही। मसलन, बीरगांव में जिस तरह मतदान से पहले भाजपा के नेता आग उगल रहे थे, उससे कवर्धा की तरह साम्प्रदायिक विवाद पैदा होने का खतरा पैदा हो गया था।

पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने मुस्लिम बाहुल्य इलाके गाजीनगर में 2 सौ फीट भगवा झंडा फहराने की बात कह दी थी, तो अजय चंद्राकर शराब बांटते पकड़े जाने पर हाथ-पांव काटने की धमकी दे रहे थे। बावजूद इसके बीरगांव की बस्तियों में प्रत्याशियों ने शराब बंटवाई, लेकिन ज्यादा शोर-शराबा नहीं हुआ।

इससे परे अजय चंद्राकर, नारायण चंदेल समेत कई नेता गाजीनगर पहुंचे, तो कांग्रेस प्रत्याशी इकराम अहमद ने आवभगत की, और उनके बैठने के लिए कुर्सियां लगवाईं। भाजपा नेताओं के लिए वो चाय-नाश्ते का बंदोबस्त करा रहे थे, तो अजय चंद्राकर यह कहकर उन्हें रोक दिया कि मतदान के बाद कबूल करेंगे। चुनाव नतीजे चाहे जो भी हों, लेकिन इकराम ने तो दिल जीत ही लिया।

टीम बृजमोहन ने दम दिखाया

भिलाई-चरौदा निगम का चुनाव हाई प्रोफाइल रहा। सीएम भूपेश बघेल भी यहां के रहवासी हैं। स्वाभाविक है कि यहां सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर है। पहले तो चुनाव कांग्रेस के लिए एकदम आसान दिख रहा था। मगर भाजपा ने पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को चुनाव प्रभारी बनाकर मुकाबले को रोचक बना दिया।

बृजमोहन पिछली बार तो किसी तरह यहां मेयर बनवाने में कामयाब रहे, लेकिन इस बार उन्हें यहां नाकों चना चबाना पड़ा है। भाजपा के स्थानीय पदाधिकारी तो कांग्रेस नेताओं के प्रभाव में नजर आए, और चुनावी परिदृश्य से एक तरह से गायब रहे। ऐसे में बृजमोहन के लिए चुनाव संचालन मुश्किल हो गया था। तब उन्होंने रायपुर, और आसपास के इलाकों से प्रमुख नेताओं को बुलाकर वार्डवार चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी।

भाजपा विधायक दल के सचेतक शिवरतन शर्मा, दो पूर्व विधायक डॉ. विमल चोपड़ा, और संतोष उपाध्याय के अलावा रमन सरकार में निगम मंडल के पदाधिकारी रहे बड़ी संख्या में रायपुर के नेता मतदान खत्म होने तक वहां डटे रहे। कांग्रेस से सरकार के मंत्री रूद्र कुमार गुरू, सीएम के पुत्र चिन्मय बघेल, और उनके करीबी अटल श्रीवास्तव व अर्जुन तिवारी ने मोर्चा संभाल रखा था। भाजपा भले ही यहां मेयर बनाने में कामयाब न हो लेकिन टीम बृजमोहन ने दम दिखाया है। 

चमत्कार से कम नहीं होगा

नवगठित रिसाली नगर निगम में पहली बार वार्ड चुनाव हुए। यहां कांग्रेस की कमान गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू संभाल रहे थे तो भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को चुनाव प्रभारी बनाया था। यहां भाजपा का प्रचार तंत्र बिखरा नजर आया।

चुनाव के दौरान कौशिक दो-तीन दिन अपने पारिवारिक कार्यक्रमों में व्यस्त रहे। इससे प्रचार की रणनीति पर फर्क पड़ा है। भाजपा के प्रत्याशी छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर जूझते नजर आए। रिसाली गृहमंत्री के विधानसभा का हिस्सा है। यहां उनका पूरा कुनबा प्रचार में डटा था। भाजपा में स्थानीय नेता ही थोड़े बहुत सक्रिय दिख रहे थे। ऐसे में कहा जा रहा है कि यहां भाजपा को बहुमत मिलता है, तो चमत्कार से कम नहीं होगा।

ठंड से कम मतदान

भिलाई नगर निगम में इस बार भाजपा में काफी हद तक एकजुटता देखने को मिली है। पहली दफा प्रेमप्रकाश पाण्डेय, और सरोज पाण्डेय का खेमे के बीच टिकट को लेकर ज्यादा खींचतान नहीं हुई, और तकरीबन सभी में सहमति बन गई। यहां प्रचार की कमान एक तरह से पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय के हाथों में थी। जबकि कांग्रेस की कमान स्थानीय विधायक देवेन्द्र यादव, और खनिज निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन संभाल रहे थे।

भिलाई नगर में ठंड की वजह से कई वार्डों में कम मतदान हुआ है, और भाजपा के परंपरागत वोटरों के कम संख्या में निकलने का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। यही नहीं, कांग्रेस प्रत्याशियों के पास साधन-संसाधन की कोई कमी नहीं थी। कई जगहों पर वाद विवाद भी हुआ। इन सबके बाद भी भाजपा यहां मजबूती से चुनाव लड़ी है।

पिछले दो बार यहां कांग्रेस का कब्जा रहा है, और कुछ जगहों पर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी रही है। इसका भी भाजपा को फायदा मिल सकता है। हालांकि कांग्रेस के लोग आश्वस्त हैं, और उन्हें उम्मीद है कि इस बार भी कांग्रेस का मेयर होगा। बहरहाल, कांग्रेस और भाजपा के बीच फासला कम रहने का अनुमान लगाया जा रहा है।

 23 को ही तस्वीर साफ

नगर पालिका, और नगर पंचायत चुनाव की बात करें, तो खैरागढ़, जामुन, शिवपुर चरचा, और बैकुंठपुर के अलावा सारंगढ़ नगर पालिकाओं में चुनाव हुए हैं। आधा दर्जन नगर पंचायतों में भी वोट डाले गए। इनमें पांच तो बस्तर के ही थे। मतदान के बाद जो फीडबैक सामने आए हैं, उनमें से एक-दो को छोडक़र बाकी नगर पालिका, और नगर पंचायतों में कांग्रेस का ही दबदबा रहने का अनुमान है। अब 23 तारीख को ही सारी तस्वीर साफ होगी।

साइबर क्राइम का हेल्पलाइन नंबर

हाल के वर्षों में साइबर अपराध जिस तेजी से बढ़े हैं उनमें सिर्फ ठगी के मामले नहीं है बल्कि साइबर बुलिंग, टीजिंग, ब्लैकमेलिंग जैसे अपराध भी हैं, जिनका शिकार महिलाएं अधिक होती हैं। रायपुर पुलिस के ध्यान में यह बात आई है कि इस तरह के अपराधों की शिकार बहुत सी महिलाएं इसलिए शिकायत नहीं करती कि उन्हें थाने जाकर बयान देना पड़ेगा और उनकी पहचान भी उजागर हो जाएगी। इसी को ध्यान में रखते हुए अपने फेसबुक पेज पर रायपुर पुलिस एक वीडियो शेयर कर जानकारी दी है कि फोन नंबर 947 9190 167 अलग तरह से काम करता है। इसमें कॉल करने पर सिर्फ महिला पुलिस की ‘पिंक गश्ती’ टीम जवाब देगी और जांच भी महिला पुलिस टीम ही करेगी। सहूलियत यह भी है कि पीडि़ता सिर्फ व्हाट्सएप मैसेज भेजकर भी अपनी बात कह सकती है। लोग पुलिस की इस पहल की तारीफ कर रहे हैं पर कुछ प्रतिक्रियाएं बताती हैं संकोच महिलाओं को ही नहीं पुरुषों को भी है। एक ने पूछा है कि पुरुषों के लिए भी कोई अलग हेल्पलाइन नंबर नहीं है क्या? कुछ महिलाएं तो पुरुषों को भी ब्लैकमेल करती हैं। पुलिस के पास जाने से ऐसे पीडि़त भी कम संकोच नहीं करते। रायपुर पुलिस का इस पर जवाब आना बाकी है।

लापता विदेशों से लौटे लोग..

विदेश यात्रा करने वाले लोगों के बारे में एक आम राय है कि वे पढ़े लिखे हैं और अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। कोविड-19 की समस्या ओमिक्रोन के तौर पर जब ज्यादा दहशत फैला रही है तो विदेश से पहुंचने वालों पर निगरानी पर रखने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने जारी कर रखा है, और यह जरूरी भी है। इतनी समझदारी की उम्मीद तो बाहर से आने वाले लोगों से करनी चाहिए कि वे लापता होकर लोगों का संकट ना बढ़ाएं। खबर है कि रायपुर में अब तक विदेश से जो 800 लोग लौटे हैं, उनमें से करीब 140 पता नहीं है। बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर जैसे शहरों में भी कई केस ऐसे हैं। या तो उनका पता, या फिर मोबाइल नंबर गलत है। इनकी तलाशी के लिए पुलिस से भी मदद मांगी गई है।

सुकून की बात है कि देश के 11 राज्यों में ओमिक्रोन के केस मिल चुके हैं मगर अभी तक छत्तीसगढ़ इससे अछूता है। पर अभी हो रही लापरवाही के चलते इस आशंका को बल मिलता है कि कुछ दिन में केस मिलने लग जाएंगे। अब इसका इलाज शायद यही है कि जो फोन नंबर यात्री दर्ज करा रहे हैं मौके पर ही उस पर कॉल करके तस्दीक ली जाए कि नंबर सही दिया गया है।

आदिवासी वोटरों पर धर्मांतरण का असर?

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा, लगता है काफी सोच-समझकर उठाया है। रतनपुर के रास्ते से गौरेला और अमरकंटक जाने वाले रास्ते में पडऩे वाले एक छोटे से गांव छतौना में यह बोर्ड लगा है, जिसमें धर्मांतरण रोकने की मांग की गई है। इस गांव के सहदेव का दावा है कि उसने अपने पैसे खर्च करके ये बोर्ड बनवाये। उसे बिलासपुर और कोटा की रैलियों में शामिल होने के बाद जानकारी मिली कि आदिवासियों को पैसों का लालच देकर, बीमारी ठीक होने का दावा कर धर्म बदलने के लिये बाध्य किया जाता है।

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