राजपथ - जनपथ
समर्पित जालसाज
साल में कोई बैंक या कोई वित्तीय संस्थान भी दो-ढाई सौ दिनों से अधिक काम नहीं करते लेकिन जालसाज इतने समर्पित होते हैं कि वे लोगों की अर्जी के बिना भी उन्हें इतवार के दिन भी 200000 का लोन मंजूर करते हैं और उसे पाने के लिए एक लिंक भी भेजते हैं कि एक क्लिक करके वह लोन पा लें।
गुटखा खाने वाली टीचर...
शराब पीकर स्कूलों में लुढक़ जाने वाले शिक्षकों की कई खबरें बीच-बीच में आती रहती हैं। पर यह कुछ चौंका सकती है कि एक महिला शिक्षिका के गुटखा खाने से छात्र परेशान हैं। घटना धमतरी जिले के पीपरछेड़ी प्राथमिक शाला की है। पालकों ने हंगामा मचा दिया। स्कूल में ताला जड़ दिया। पुलिस मौके पर पहुंची तो बताया गया कि शिक्षिका के गुटखा खाकर पढ़ाने से बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है और कुछ बच्चों में भी इसकी लत लग गई है। हद यह भी है कि शिक्षिका बच्चों को भी दुकान भेजकर गुटखा मंगाती है। शराब पीना तो जाहिर गुनाह है। कोई टीचर स्कूल में यह हरकत करे तो उसे सस्पेंड किया जा सकता है, पर गुटखा खाने के आरोप पर क्या एक्शन लिया जाये, शिक्षा विभाग को समझ नहीं आ रहा है। अलबत्ता महिला शिक्षिका को समझा-बुझाकर फिलहाल बख्श दिया गया है।
बाइक से धान परिवहन
छत्तीसगढ़ सरकार ने फर्जी धान खरीदी पर रोक के लिये बड़े बडे नियम कायदे बना रखे हैं। जो किसान वास्तव में धान बो रहे हैं केवल उनका पंजीयन हो रहा है लेकिन बैगा आदिवासियों के इलाके लोरमी तहसील के खुडिय़ा केंद्र में एक भारी गड़बड़ी सामने आ रही है। दस्तावेजों में जिस वाहन क्रमांक से 140 बोरी धान उठाने की ब्यौरा दर्ज है वह दरअसल एक बाइक है। मिलर्स करते क्या हैं कि बैगा आदिवासियों की खेती की जमीन पर धान की फर्जी बिक्री और फर्जी बिक्री दिखाते हैं, जबकि यह धान बिचौलियों का होता है। बैगा आदिवासी बहुत सी जमीन पर खुद धान की फसल नहीं लेते लेकिन पटवारियों की मिलीभगत से उनके खेत में धान की खेती का होना बता दिया जाता है। यह इलाका मध्यप्रदेश से जुड़ा भी है। यानि समिति में मिलर्स और बिचौलिये मिलकर सरकार के समर्थन मूल्य प्लस बोनस की स्कीम का बेजा फायदा उठा रहे हैं। अब तक किसी पर कोई कार्रवाई नहीं कर इलाके के एसडीएम व मार्कफेड के अधिकारी गोरखधंधे में अपनी संलिप्तता के संदेह को बल दे रहे हैं।
प्रेमी जोड़े की जन-अदालत में हत्या
ऐसा कई बार देखने में आया है कि नक्सली कोई हत्या कर देते हैं, बम से लोगों को उड़ा देते हैं, फिर जब उनकी अमानवीयता की निंदा होती है तो माफी मांगते हैं। पर इस बार उन्होंने नहीं मांगी। बीजापुर के कमलू और मांगी, मंगलूर एरिया के सक्रिय सदस्य थे। दोनों के खिलाफ कुल 14 मामले अलग-अलग थानों में दर्ज थे। दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे और शादी कर घर बसाने के इरादे से कैंप से भाग गये। पर नक्सलियों ने उन दोनों को ढूंढ निकाला। एक ‘जन-अदालत’ लगाई और उनको ग्रामीणों के बीच मार डाला।
कत्ल उन्हीं लोगों ने किया जिनके साथ उन दोनों से बरसों बिताये थे। इसलिये जब कभी कोई माफीनामा नक्सलियों की ओर से प्रचारित किया जाता है तो उसे उनकी रणनीति का हिस्सा माना जाना चाहिये। संवेदना और इंसानियत से इसका कोई संबंध नहीं होता। उन ग्रामीणों की भी सोचिये जिन्होंने इस कत्ले-आम को देखा, वे कितनी दहशत में होंगे। पुलिस का भरोसा जीतना एक तरफ किनारे रख दीजिये, ये तो नक्सल खौफ में ही जियेंगे।
चलो कुछ तो अच्छा हुआ...
छत्तीसगढ़ के पुलिस मुख्यालय में अभी कई आला अफसर कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। इन्हीं की जब एक दूसरे से चर्चा होती रही तो एक बड़े आईपीएस अफसर ने दूसरे के बारे में कहा- चलो अच्छा हुआ उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया क्योंकि पूरी नौकरी में यह पहला मौका है जब उसमें कोई चीज पॉजिटिव निकली है।
मायका-ससुराल का महत्व
सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने मोदी के राष्ट्रवाद के मुकाबले छत्तीसगढिय़ावाद को खड़ा किया है। इसी तरह राम मंदिर के मुकाबले के लिए राम वनगमन पथ का मुद्दा है। इन दोनों मसलों पर तो कम से कम छत्तीसगढ़ सरकार बढ़त बनाए हुए है। देश के चुनाव में भले राष्ट्रवाद और राम मंदिर का मुद्दा हावी हो सकता है, लेकिन राज्य के चुनाव में छत्तीसगढ़ ने इसका काट ढूंढ लिया है। इस बीच उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी वहां जोर-शोर से छत्तीसगढ़ मॉडल का प्रचार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तरप्रदेश चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं। बीजेपी वहां राष्ट्रवाद और राम मंदिर को बड़ा मुद्दा बना रही है। ऐसे में इन दोनों मुद्दों पर भूपेश बघेल किस तरह रिएक्ट करते हैं, यह तो देखने वाली बात होगी, लेकिन उन्होंने राम, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच कनेक्शन ढूंढ़ लिया है। वे उत्तरप्रदेश को भगवान राम का पिता घर बताते हैं और छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल बताते हैं, क्योंकि माता कौशल्या का जन्म छत्तीसगढ़ माना जाता है। अब दिलचस्प होगा कि उत्तरप्रदेश के लोग पिता घर को महत्व देते हैं या ननिहाल वाले को। ([email protected])