राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महुआ की पुकार...
04-Apr-2022 5:27 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महुआ की पुकार...

महुआ की पुकार...

महुआ से आदिवासी समाज का गहरा नाता है। शोधकर्ता कहते हैं कि जब अनाज नहीं था, तब आदिम मानव महुआ के फलों को खाकर अपना उदरपूर्ति करते थे। आदिवासी समाज के पारंपरिक सांस्कृतिक समारोहों में महुआ का विशेष महत्व है। लोकगीत, कथाएं महुआ के उल्लेख से भरी पूरी हैं। विशेष अवसरों पर आज भी महुआ के झाड़ की पूजा की जाती है। इस महत्व के चलते ही वन ग्रामों में अपनी जरूरत के लिए सीमित मात्रा में महुआ की शराब बनाने की छूट भी सरकार से मिली हुई है। पर अब इसका दुरुपयोग भी होने लगा है। वन ग्रामों के आसपास अंडे की दुकान, ढाबों में यह शराब शहरियों की फरमाइश पर उपलब्ध कराई जाती है। व्यावसायिकता की होड़ में अब महुआ के नाम पर चावल और यूरिया के मिश्रण से बनी शराब भी बेची जा रही है। ग्रामीण इलाकों में आबकारी और पुलिस की जानकारी के बीच कई ऐसे लोग भी महुआ की शराब बनाते हैं जिन्हें छूट नहीं मिली है, आदिवासी भी नहीं हैं।

महुआ से केवल शराब नहीं बनती बल्कि ये एक बहुउपयोगी औषधि भी है। वनों में सदियों से इसकी पहचान हो चुकी है। वैज्ञानिकों ने भी माना है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन सी भरपूर मात्रा में है। महुआ की छाल का उपयोग क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, डायबिटीज मेलिटस और ब्लीडिंग में किया जाता है। इसकी पत्तियां गठिया और बवासीर की दवा है। दांत दर्द में पीसा हुआ महुआ छाल मददगार है। इसकी जड़ें सूजन, दस्त और बुखार में असरदार है। सूख जाने के बाद भी कई सालों तक इसका प्रयोग हो सकता है।

कल ही इस कॉलम ने हमने एक यूट्यूब के बारे में लिखा था जिसने महुआ बीनने के लिए अपनी डोंगरगढ़ यात्रा को तीन दिन के लिए आगे बढ़ा दिया था। अब यह तस्वीर देखें। औद्योगिक नगरी भिलाई में काम करने वाला यह परिवार हर साल महुआ झरने के दिनों में भोरमदेव (कवर्धा) के पास अपने गांव लौट जाता है। महुआ बटोरने के बाद कुछ की बिक्री कर देते हैं, कुछ जरूरत के लिए रख लेते हैं। अपने प्रदेश में महुआ एक पेड़ ही नहीं है, जीवन जीने की पद्धति में शामिल है। 

रेललाइन के लिए गांधीवादी रास्ता

दल्ली-राजहरा से रावघाट होते हुए जगदलपुर तक 235 किलोमीटर रेल लाइन बनाने का प्रस्ताव तीन दशक पुराना है, पर अब तक अधूरा है। यह रेल लाइन बनी तो जगदलपुर, दुर्ग के रास्ते से सीधे राजधानी रायपुर से जुड़ जाएगा। अभी रेल के रास्ते से राजधानी रायपुर पहुंचना हो तो ओडिशा के कोरापुट और रायगढ़ा होते हुए करीब 16 घंटे का 622 किलोमीटर सफर तय करना होगा। सडक़ मार्ग से यह दूरी लगभग 5 घंटे की और 300 किलोमीटर है। रेल मार्ग तैयार हुआ तो बालोद, कांकेर, जगदलपुर, दुर्ग, रायपुर, नारायणपुर, कोंडागांव- सात जिलों से सफर करने वालों को लाभ मिलेगा। साथ ही भिलाई स्टील प्लांट के लिए आयरन ओर का तीव्र गति से कम लागत में परिवहन हो सकेगा। बीएसपी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर दो गुना करना चाहता है पर जब तक रावघाट परियोजना का निर्माण पूरा नहीं होता, यह संभव नहीं है। दल्ली राजहरा से लौह अयस्क लगभग समाप्त हो चुका है।  

निर्माण की गति यह है कि पहले चरण में दल्ली से गुदुम, दूसरे चरण में गुदुम से भानुप्रतापपुर तथा तीसरे चरण में भानुप्रतापपुर से अंतागढ़ तक रेल लाइन बिछाई गई, जो कुल मिलाकर 42 किलोमीटर है। अभी रावघाट तक ही रेल लाइन पहुंचाने के लिए 18 किलोमीटर का काम बचा हुआ है। 235 किलोमीटर लाइन कब तैयार होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सन् 2021 के रेल बजट में इस परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने के बावजूद काम रूका हुआ है। रेल अधिकारी वन-पर्यावरण से जुड़ी कुछ दिक्कतों के बारे में भी बता रहे हैं।

परियोजना जल्द पूरा करने के लिए कई बार आंदोलन हो चुके हैं। पर इस बार एक लंबी पदयात्रा शुरू की गई है। इसके लिए बनाए गए सर्वदलीय मंच में चैंबर ऑफ कॉमर्स, बस्तर परिवहन संघ, सर्व आदिवासी समाज जैसे कांकेर, नारायणपुर, कोंडागांव व बस्तर जिले के 70 से अधिक संगठन इसमें शामिल हैं। इन्होंने रविवार से गांधीवादी रास्ता अपनाते हुए अंतागढ़ से लंबा पैदल मार्च शुरू कर दिया है। 173 किलोमीटर का सफर तय कर ये संभागीय मुख्यालय जगदलपुर में प्रदर्शन करेंगे।

अब तो देख लीजिये...

 

द कश्मीर फाइल्स देखना देशभक्ति का कितना बड़ा प्रमाण है, यह इस पोस्टर से समझा जा सकता है। फिल्म देखिए, राष्ट्रभक्त की दुकान में टिकट दिखाइए और 44 रुपये का दूध 35 रुपये में खरीदिए। अब इस लुभावने ऑफर के बाद भी किसी को फिल्म देखना रास न आ रहा हो, तब तो इस देश का भला हो ही नहीं सकता।

दो साल बाद समाज का जलसा

चेटीचंड्र महोत्सव सिंधी समाज के लोगों ने जोर-शोर से मनाया। दो साल कोरोना की वजह से कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था, लेकिन इस बार शहर के अलग-अलग इलाकों में जोर-शोर से कार्यक्रम हुआ। सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल ने शिरकत की, तो दूसरे में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह पहुंचे थे।

उत्साही आयोजकों ने तो सीएम को खैरागढ़ में जीत के लिए अग्रिम बधाई भी दे दी। इससे परे एक अन्य कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्री महिमा चौधरी ने शिरकत की। सुनते हैं कि महिमा ने जयस्तंभ चौक के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 5 लाख लिए थे। उनसे सेल्फी लेने के लिए हर आयु वर्ग के सिंधी समाज के लोग उमड़ पड़े। एक ने तो अपना बच्चा महिमा के गोद में बिठा दिया था। उनके आसपास इतना घेरा बन गया कि महिमा को घुटन होने लगी, और फिर आयोजकों से हाथ जोडकऱ होटल जाने की अनुमति मांगी। घंटे भर वहां किसी तरह वहां से रवाना हुई। तब तक सैकड़ों लोग उनके साथ सेल्फी ले चुके थे, और पैसा भी वसूल हो गया।

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