राजपथ - जनपथ
ताकतवर एमएलए
बीजापुर जिले में कांग्रेस विधायक विक्रम शाह मंडावी के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के नेता राज्य युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने मोर्चा खोल दिया है। दस्तावेजों के साथ उन्होंने पानी टैंकर की खरीदी मैं 25 से 30 लाख रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। एक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण कार्य में 20 लाख के गबन का आरोप है। छात्रावासों में 50 लाख रुपये की खेल सामग्री की आपूर्ति में भारी गड़बड़ी का आरोप है और भी निविदाओं में चहेतों को लाभ पहुंचाने का आरोप है।
विधायक की ओर से अपनी ही पार्टी के नेता की ओर से लगाए गए इन गंभीर आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है। दूसरी ओर इस विवाद को बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया है। पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने अजय सिंह को भाजपा में शामिल होने का ऑफर दिया है, ताकि वे विधायक के खिलाफ ठीक से लड़ाई लड़ सकें। गागड़ा ने पिछले महीने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अजय सिंह से भी ज्यादा गंभीर आरोप यह लगाया था कि भोले-भाले आदिवासियों की जमीन वे औने पौने दाम पर खरीद रहे हैं। कुछ जमीन पर दूसरों के नाम से लिए फिर अपने नाम करा लिए हैं।
कांग्रेस संगठन और पार्टी के मुखिया इन आरोपों को गंभीरता से लेते हैं या नहीं यह तो पता नहीं पर इस वाकये से एक बात स्पष्ट हो गई। वह कि प्रशासन में मंडावी की पूछ-परख है। वरना जगह-जगह कलेक्टर और एसपी से सत्तारूढ़ दल के विधायक (मंत्री भी) नाराज चल रहे हैं। कलेक्टरों को लेकर उनकी शिकायत है कि वे उनका काम नहीं करते। इधर मौका पाते ही उनके अपने लोगों और समर्थकों के खिलाफ पुलिस एफ आई आर कर देती है। ऐसे परेशान विधायकों के सामने विक्रम मंडावी को अपना नुस्खा शेयर करना चाहिए।
पुलिस तो पुलिस, बाउंसरों का भी रौब..
अब तक देखा गया है कि पर्यावरण जनसुनवाई के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। प्रशासन ने यदि ठान लिया है तो फैक्ट्री तमाम विरोधों के बाद भी लगेगी। तखतपुर तहसील के घुटकू में ग्रामीण पहले से ही कोल वाशरी का विरोध कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट में सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया पर उनकी बात सुनने अधिकारी चैम्बर से नहीं निकले। अगले दिन नई कोलवाशरी और पॉवर प्लांट के लिए जन सुनवाई रख दी गई। ग्रामीणों ने अधिकारियों को रोकना चाहा तो पुलिस ने लाठियां भांजीं। जैसा कि अक्सर होता है विरोध करने वाले खदेड़ दिये गए, जिन जनप्रतिनिधियों को प्रलोभन देकर तैयार किया जा चुका था, उनको सामने लाकर सुनवाई की रस्म पूरी कर ली गई।
पूरे घटनाक्रम के दौरान ग्रामीणों को जिनसे डर लग रहा था वह पुलिस और उनकी लाठियां नहीं थीं। वे थे काली शर्ट में पहुंचे दर्जनभर से ज्यादा हट्टे-कट्टे तमतमाए चेहरे वाले जवान। किसी सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने इनको पहले कभी नहीं देखा था। जैसे ही कोई ग्रामीण विरोध करता उसके सामने वे जाकर खड़े हो जाते। बाद में पता चला कि ये बाउंसर खासतौर पर फैक्ट्री मालिक की तरफ से बुलाए गये थे, ताकि पुलिस कहीं कमजोर पड़ जाए तो उनके भरोसेमंद लड़ाकू काम आएं। पुलिस-प्रशासन ने जिस तरह से इनकी मौजूदगी और गुंडागर्दी को बर्दाश्त किया, कोई ताज्जुब नहीं आने वाले दिनों में सरकार अपनी फोर्स न भेजकर जनसुनवाई कराने का ठेका इनको ही देने लगे।
फाइनेंस पर नींबू
नींबू के दाम भले ही 300 रुपये किलो पार कर गए हों, लेकिन जरूरत तो इस भीषण गर्मी में ही ज्यादा पड़ रही है। जिन्हें अभी चाहिए वे दाम गिरने तक इंतजार तो कर नहीं सकते। अब इसका समाधान निकाला है पेटीएम स्माल फाइनेंस ने। पेमेंट वालेट पेटीएम ने पांच साल पूरा होने के बाद आरबीआई से नान बैंकिंग फाइनेंसिंग का लाइसेंस ले लिया है और उसने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी डाली है। उसने अपनी पहली प्रचार सामग्री में नींबू के लिए उधार लेने का सुझाव दिया है।