राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सियासतदारों की सेहत पर चर्चा
22-Apr-2022 6:37 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सियासतदारों की सेहत पर चर्चा

सियासतदारों की सेहत पर चर्चा

छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से सियासत गरमाई हुई है। अपनी पार्टी के के नेताओं के दौरे से प्रदेश भाजपा में उत्साह है, तो राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस के नेता केन्द्रीय मंत्रियों के प्रवास को राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं। हालांकि सियासत में यह एक स्वाभाविक सोच है, लेकिन सियासत के इस दांव-पेंच में रोचक बातें भी होती हैं, जब दिल की बात जुबां पर आ जाती है। ऐसा ही वाकया पिछले दिनों उस वक्त हुआ जब एक केन्द्रीय मंत्री बीजेपी दफ्तर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर पहुंचे। यहां लाइब्रेरी के निरीक्षण के दौरान प्रदेश संगठन के लक्ष्मी पुत्र पदाधिकारी ने शहर के पदाधिकारी से कहा कि पूरा शहर ड्यूटी पर है, तो स्वाभाविक नेताजी ने उनकी हां में हां मिलाई, लेकिन बात इतने में खत्म नहीं हुई। एक दूसरे पदाधिकारी ने उनके तरफ इशारा करते हुए कहा कि भाई साहब ये केवल ड्यूटी नहीं बजा रहे हैं, बल्कि वजन कम करने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं। इसका असर भी हुआ है, 7-8 किलो वजन कम हो गया है। फिर लक्ष्मी पुत्र माने जाने वाले नेता ने हिसाब-किताब वाले अंदाज में देखा और कहा कि और कम करने की जरूरत है। यानि अकाउंट अभी भी ओवर ड्यू है। इतने में एक तीसरी टिप्पणी आई कि सही कर रहे हैं, विपक्ष में रहते हुए कम ही ठीक है, वरना सत्ता में आने के बाद वजन बढ़ा तो संदेश अच्छा नहीं जाता। उनके कहने का आशय शायद यही था सत्ताधारी दल के नेताओं की चर्बी को जनता खूब तौलती है, लेकिन उनको कौन बताए कि सियासत में यह भी मान्यता है कि मोटी चर्बी वाले ही टिकते हैं।

बड़े और अविभाजित जिले की कलेक्टरी

छत्तीसगढ़ में तेजी से नए जिलों के गठन से आईएएस अफसरों के लिए कलेक्टरी के अवसर बढ़ रहे हैं। नए अफसर खुश भी हो रहे हैं, क्योंकि प्रतियोगिता कम होगी, तो नंबर भी आएगा, लेकिन बड़े जिलों की कलेक्टरी कर चुके अफसर जरूर थोड़े मायूस हैं। उनको लगता है कि बड़े से छोटे जिले में जाना पड़ा तो प्रतिष्ठा के साथ रूतबे पर भी असर पड़ेगा। अब राजनांदगांव को ही लीजिए। आठ महीने में टूटकर तीन हिस्सों में बंट गया। राजनांदगांव छत्तीसगढ़ का सबसे शांतिप्रिय और बड़ा जिला माना जाता है। यहां कलेक्टरी के लिए तगड़ा जुगाड़ लगता है। राजनांदगांव से टूटकर पहले मोहला-मानपुर-चौकी को जिला बनाने की घोषणा हुई और अभी हाल ही में खैरागढ़-छुईखदान-गंडई नया जिला के रूप में अस्तित्व में आने वाला है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। तीन भागों में टूटने के बाद भी राजनांदगांव क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से छत्तीसगढ़ के बड़े जिलों में से एक है, लेकिन अविभाजित राजनांदगांव में कलेक्टरी अब पुराने दिनों की बात हो जाएगी। मौजूदा कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा वे आखिरी अफसर होंगे, जिन्हें इतने बड़े जिले की कलेक्टरी का अनुभव मिला। उनकी कलेक्टरी के रूप में पहली पोस्टिंग है। आमतौर पर कलेक्टरी की शुरूआत छोटे जिले से होती है। इस तरह उनका नाम पहली बार में ही बड़े जिले के साथ अविभाजित जिले की कलेक्टरी करने के लिए लिया जाएगा।

कोई राजनीति नहीं

नितिन गडकरी अकेले ऐसे केंद्रीय मंत्री हैं, जिनके स्वागत के लिए विरोधी दल के नेता भी तैयार रहते हैं। गडकरी सरकारी दौरों में सिर्फ विकास की बातें करते हैं, और बिना भेदभाव के योजनाओं को मंजूरी देते हैं। गडकरी रायपुर आए, तो सीएम भूपेश बघेल ने भी उनका अभिनंदन किया।

बताते हैं कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक चाहते थे कि कार्यक्रम में स्वागत भाषण उनका हो। और जब गडकरी यहां पहुंचे, तो उनके सामने अपनी बात रखी। गडकरी ने उन्हें समझाईश दी कि सरकारी कार्यक्रम में गैर जरूरी भाषणबाजी से बचना चाहिए। फिर भी उनका मान रखते हुए कौशिक का नाम स्वागत भाषण के लिए जुड़वा दिया। चर्चा है कि पूर्व सीएम के यहां गए, तो कारोबारी लोग लंबित मुआवजा को लेकर अपनी बात उन तक पहुंचाने की कोशिश में थे, लेकिन गडकरी पूर्व सीएम के निवास में ज्यादा देर नहीं रूके, और थोड़ी देर अनौपचारिक चर्चा कर निकल गए।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news