राजपथ - जनपथ
एक सुरक्षित सीट की तलाश
चुनाव में डेढ़ साल बाकी है। कई रिटायर्ड अफसरों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हिलोरे मार रही है। भाजपा में नवप्रवेशी आर्थिक रूप से ताकतवर रिटायर्ड आईएएस अफसर ने तो चुनाव लडऩे के लिए उपयुक्त विधानसभा क्षेत्र ढूंढना शुरू भी कर दिया है। वो शुभचिंतकों से सलाह मशविरा भी कर रहे हैं।
अफसर जहां भी जाते हैं, वहां के स्थापित नेता मायूस हो जाते हैं। उन्हें अपनी टिकट को लेकर खतरे का अहसास होने लगता है। एक शुभचिंतक ने अफसर को सलाह दे दी कि उन्हें जगदलपुर से चुनाव लडऩा चाहिए। जहां लोग साफ छवि के रूप में पहचानते हैं। वहां मैदान में उतरना ठीक रहेगा। वैसे तो अफसर रायपुर में भी पदस्थ रहे हैं, लेकिन यहां एक संस्था को जमीन आबंटन के केस में इतने बदनाम हुए कि उन्हें तुरंत हटाना पड़ गया। अफसर की अपनी महत्वकांक्षा है, लेकिन पार्टी क्या सोचती है यह देखने वाली बात होगी।
खाने के समय काम की बात नहीं
खैरागढ़ में जीत के बाद कांग्रेस में खुशी का माहौल है। सरकार के मंत्रियों में श्रेय लेने की होड़ मच गई है। जिन्होंने वाकई मेहनत किया, वो खामोश हैं। एक मंत्री के उत्साही समर्थकों ने उन्हें लड्डुओं से तौल दिया। ये अलग बात है कि मंत्रीजी चुनाव प्रचार के दौरान बीमार रहे। एक अन्य मंत्रीजी के ठहरने के लिए तो खैरागढ़ इलाके में किराए से बंगला लिया गया था। मंत्रीजी पूरे तामझाम से वहां गए भी थे। एक बैठक भी ली, फिर टिफिन खाया। एक-दो दिन इधर-उधर घूमे भी। इसके बाद वो चुनावी परिदृश्य में नजर नहीं आए। इससे परे दाऊजी ने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को अपनी तरफ से पार्टी दी। मीडिया विभाग के लोगों को भी अपने घर बुलाकर डिनर लिया। खुशनुमा माहौल में एक पदाधिकारी ने फाइल में दस्तख्त कराने के लिए दाऊजी के आगे बढ़ाया, तो उन्हें बुरी तरह डांट सहना पड़ गया। ठीक भी है खाने-पीने के समय काम की बातें नहीं करनी चाहिए।
बच्चों के हिस्से में बस चार आने..
जंगल में इन दिनों खट्टे-मीठे फल चार का सीजन चल रहा है, जिसकी गुठली तोड़ो तो चिरौंजी निकलती है। दो वन्य प्रेमी भैंसाझार होते हुए कार से करगीरोड, कोटा की तरफ जा रहे थे। रास्ते में अरपा नदी के पुल पर बच्चे पन्नी में भर-भर कर चार बेचते दिखे। तपती धूप में खड़े मासूम चेहरों से मोलभाव करना गुनाह लगा। सैलानियों ने उसे खरीद लिया और पूरे रास्ते खाते हुए गए। बीजों को सडक़ के किनारे बिखेरते भी गए।
जंगलों में अकूत संपदा भरी हुई है, पर इसका दोहन ये आदिवासी बच्चे या उनका परिवार नहीं करता। फायदा उठाते हैं वे जो एक झटके में हजारों पेड़ों की बलि देने और नदियों-पहाड़ों पर कब्जा करने की मंजूरी सरकार से हासिल कर लेते हैं।
अब मजे से फोन पर डील करिये...
11 मई के बाद गूगल ने एंड्राइड फोन पर कॉल रिकार्डिंग सुविधा बंद करने की घोषणा की है। आईफोन में यह सुविधा पहले ही नहीं दी गई थी। लोग गोपनीय बातें करने के लिए वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल करते रहे हैं, जिसमें होने वाली बातचीत सामान्यत: रिकॉर्ड नहीं हो पाती।
गूगल के प्ले स्टोर्स से अब वे ऐप हटा दिये जाएंगे जो ऑटोमैटिक कॉल रिकॉर्डिंग की सुविधा देती है। ट्रू कालर में भी नहीं मिलेगी।
ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा को निजता पर हस्तक्षेप मानते हुए यह नीति बनाई गई है। हालांकि ऐसे फोन जिनमें इन बिल्ट यह सुविधा दी गई है वे काम करेंगे, क्योंकि इसके लिए गूगल प्लेटफॉर्म से किसी ऐप को डाउनलोड नहीं किया जाना है। अब रिकॉर्डिंग हो सके इसके लिए लोगों को अपना मोबाइल फोन सेट अपडेट करना होगा। यह पहले जैसा आसान तो नहीं रह गया है कि हर किसी के फोन पर मौजूद हो।
ऑडियो रिकॉर्डिग कई बार लोगों की करतूतों का पर्दाफाश करने के काम आती है। मुंगेली कोतवाली के थानेदार पिछले महीने ही एक रेप पीडि़ता को सुलह करने के लिए दबाव डालते पकड़े गए थे। इसके पहले एक और थानेदार रिश्वत के रूप में एक महिला को नहा-धोकर अपने घर अकेले आने का न्यौता देते पकड़े गए। दोनों मामलों में उन्हें सस्पेंड किया गया।
चर्चित अंतागढ़ उप चुनाव खरीद फरोख्त के मामले में ऑडियो रिकॉर्डिंग ने पूरे प्रदेश में तूफान मचाया था, जिसकी नींव में आगे चलकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का गठन हो गया। अब 11 मई के बाद देखना होगा कि रिकॉर्डिंग के लिए कौन सा तरीका काम आएगा। वैसे अब तो कुछ ऐप ऐसे भी आ चुके हैं जो वाट्सएप की बातचीत को रिकॉर्ड करने का दावा करते हैं।
हसदेव के पेड़ों को रो कर विदाई
कोल ब्लॉक के लिए हसदेव अरण्य पर आश्रित आदिवासियों का विरोध व्यर्थ गया और नेताओं का आश्वासन झूठा निकला। यह तस्वीर उन लाखों में से एक पेड़ के साथ चिपकी महिलाओं की है जो इस मिट्टी के गर्भ में दबे कोयले को निकालने के लिए काट दी जाने वाली है। पृथ्वी दिवस पर यह महिलाएं पेड़ों से रोते हुए क्षमा मांग रही है कि तुमने हमें पाला पोसा और हम तुम्हें नहीं बचा पा रहे हैं।