राजपथ - जनपथ
अबूझमाड़ की नई पहचान
नारायणपुर, बस्तर का अबूझमाड़ इलाका अपने पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है, जहां विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। पर इस बार 11 साल के राकेश कुमार वरदा और 13 साल के राजेश कोर्राम ने मलखंभ मैं राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना कर इस क्षेत्र के बारे में धारणा बदली है। मजदूर माता-पिता के इन दोनों बच्चों ने मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की मलखंब प्रतियोगिता में अपना हुनर दिखाया। राकेश ने 30 सेकंड और राजेश ने 47 सेकंड हाथों के सहारे खड़े होकर अलग-अलग श्रेणी के रिकॉर्ड तोड़े। उनका मुकाबला 1000 खिलाडिय़ों के साथ था।
सांसदों की चुप्पी क्यों?
केंद्र से संबंधित गिने-चुने काम ही होते हैं जो आम आदमी के रोजमर्रा के कामकाज पर असर डालते हैं। रेलवे जिस तरह से ट्रेनों के परिचालन पर एक के बाद एक बाधा खड़ी कर रही है उससे लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। पहले जब भी यात्री ट्रेनों को रद्द किया जाता था, रेलवे की ओर से एक सफाई दी जाती थी कि कुछ उन्नयन के काम किए जा रहे हैं। पर इस बार 22 ट्रेनों को 5 मई तक रद्द करने की घोषणा के साथ ऐसा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
पहले से ही करीब एक दर्जन ट्रेनों का परिचालन बंद है, जिनको मुख्यमंत्री की नाराजगी और शासन की चि_ी के बावजूद शुरू नहीं किया गया। अकेले छत्तीसगढ़ की बात नहीं है, यूपी, राजस्थान, पंजाब और दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी लोकल पैसेंजर ही नहीं बल्कि एक्सप्रेस ट्रेनों को भी बड़ी संख्या में रेलवे ने बंद कर दिया है। यह सिलसिला जनवरी से चला आ रहा है।
छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 9 भाजपा के पास है। आम लोगों की तकलीफ से वाकिफ होने के बावजूद सांसदों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। कभी-कभी तो जन सुविधाओं से जुड़ी समस्याओं पर केंद्र के साथ बात करने की नौबत आती है पर ट्रेनों को बंद करने के मुद्दे पर भी इन्होंने खामोशी ओढ़ रखी है। एक ही रायपुर के सांसद सुनील सोनी का बयान सामने आया कि ट्रेनों को शुरू करने के लिए रेल मंत्री से उनकी बात हुई है, वे शुरू करने वाले हैं। उसी दिन रेलवे ने 22 और ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा की। या तो रेल मंत्री सांसद को झूठा आश्वासन दे रहे हैं या फिर वे खुद ही लोगों को भ्रम में रख रहे होंगे।
किसानों के स्कूल की देश-दुनिया में चर्चा
जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव बहेराडीह का हाल में केरल के किसानों ने भ्रमण किया। इसके पहले कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी आदि देशों के किसान भी इस गांव तक पहुंच चुके हैं। वजह यह है कि यहां देश का पहला किसान स्कूल चालू किया गया है। जिला प्रशासन और एक स्वयंसेवी संस्था से इस स्कूल को खोलने में मदद तो ली गई, मगर प्रमुख भूमिका यहां के प्रगतिशील किसान दीनदयाल यादव और उनके किसान मित्रों की है। दिलचस्प है इस स्कूल को खोलने के लिए राशि भी केंचुए की खेती से हुई आमदनी से जुटाई गई है।
यहां खाद्य प्रसंस्करण, देसी बीजों का संरक्षण, छत पर बागवानी, रेन हार्वेस्टिंग, कृषि उत्पादन से बनाए जाने वाले अचार-पापड़ तैयार करने का तरीका, केंचुआ पालन, सेप्टिक टैंक से चूल्हा, बायोगैस, उत्पादों के लिए बाजार और तमाम ऐसे विषयों का प्रशिक्षण दिया जाता है जो किसानों की आमदनी को बढ़ा सकता है।
प्रदेश में अब 17 से अधिक कृषि महाविद्यालय खुल चुके हैं। इनमें से पढक़र निकलने वाले अधिकांश छात्रों का लक्ष्य नौकरी हासिल करना होता है। बहुत कम ऐसे विद्यार्थी होते हैं जो कृषि पर दक्षता बढ़ाने के लिए इसमें प्रवेश लें। पर किसान स्कूल का कंसेप्ट बिल्कुल नया है। दावा किया जा रहा है कि यह देश का पहला किसान स्कूल है, जो अंगूठा छाप से लेकर पढ़े-लिखे सभी के लिए खुला है। कृषि विभाग ने भी कुछ इसी तरह से स्कूल खोलने की योजना दो-तीन साल पहले बनाई थी, मगर वह जमीन पर नहीं उतर पाई है। अब जब छत्तीसगढ़ में किसानों की सरकार होने का दावा किया जाता है तब बहेराडीह के मॉडल को दूसरे जिलों में अपनाने की कोशिश की जा सकती है।
महामारी खत्म, छुट्टियां जारी
छुट्टियां किसे अच्छी नहीं लगती। वह भी तब जब वह सरकारी हो, क्योंकि इसमें वेतन कटने की भी चिंता नहीं होती। स्कूल शिक्षा विभाग ने कोविड-19 के चलते पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिए गर्मी की छुट्टी में 15 दिन की कटौती कर दी थी। इसे 1 मई के बजाय 15 मई से लागू किया जाना था। मगर बढ़ते तापमान के कारण छुट्टियां दे दी गई। अगले ही दिन शिक्षकों का भी अवकाश घोषित हो गया। सभी स्कूल 24 जून से खुलेंगे। नि:संदेह सेहत को ध्यान में रखते हुए बच्चों को स्कूल भेजना ठीक नहीं है, लेकिन शायद स्कूल शिक्षा विभाग या भूल गया कोविड-19 के दौरान ही ऑनलाइन परीक्षाओं का लंबा चौड़ा सेटअप बनाया जा चुका है। शिक्षक और छात्र दोनों काफी हद तक इसके जानकार भी हो चुके हैं। इसे केवल महामारी आने पर ही इस्तेमाल किया जाए, यह जरूरी भी नहीं है। एक लंबी गर्मी की छुट्टी का सदुपयोग किया जा सकता था कि बच्चों को ऑनलाइन माध्यम ही सही कापी-किताबों के संपर्क में रखा जाए। जिस नुकसान के लिए स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां कम की गई थी, उसकी कुछ भरपाई ऑनलाइन पढ़ाई से हो सकती है इस पर किसी ने ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी।
सडक़ पर पार्किंग
सरकारी गाडिय़ों में लाल बत्ती हटने से साहबों के तेवर नहीं बदले। अब वे गाडिय़ों में नंबर प्लेट की जगह पर लगाई गई लाल पट्टियों से रौब दिखा सकते हैं। गर्वमेंट गाड़ी सडक़ पर भी पार्क की जा सकती है।