राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चौथी लहर के बीच लापता बूस्टर डोज
26-Apr-2022 5:16 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : चौथी लहर के बीच लापता बूस्टर डोज

चौथी लहर के बीच लापता बूस्टर डोज

देश के कई राज्यों में कोविड के नए वेरियंट एक्स-ई की आहट हो गई है। छत्तीसगढ़ अभी 0.2 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट पर है, पर आने वाले दिनों में इसके बढऩे की आशंका है। राज्य सरकार ने कल ही मास्क, सोशल डिस्टेंस और अन्य प्रोटोकॉल लागू कर दिए गए हैं। कोरोना टेस्ट बढ़ाने और कांटेक्ट ट्रेसिंग फिर से शुरू करने कहा गया है। कुछ कोविड अस्पतालों में खाली बिस्तरों पर सामान्य मरीजों की भर्ती की तैयारी हो ही रही थी पर अब इन्हें पूर्ववत कोविड मरीजों के लिए ही आरक्षित रखने कहा गया है।

अभी पिछले कुछ दिनों से उन लोगों के पास मोबाइल फोन पर मेसैज आ रहे हैं, जिन्होंने दोनों डोज पहले-दूसरे चरण के अभियान में ही लगवा लिए थे। इन्हें बूस्टर डोज लगवाने के लिए निजी अस्पतालों में जाने कहा जा रहा है। रायपुर में 19, बिलासपुर, दुर्ग में 8-8 अस्पतालों को बूस्टर डोज के लिए अधिकृत किया गया है। इसी तरह से प्रदेश के प्रत्येक जिले में बूस्टर डोज के लिए निजी अस्पताल निर्धारित कर दिए गए हैं। पर न तो लोग इस डोज के लिए उत्सुक दिख रहे हैं, न अस्पताल और ना ही स्वास्थ्य विभाग। जिन गिने-चुने निजी अस्पतालों में यह सुविधा शुरू की गई है, वहां दो बार जाना पड़ेगा। पहली बार रजिस्ट्रेशन के लिए, दूसरी बार टीका लगवाने के लिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक बार में कम से कम 10 लोगों को डोज लगाना जरूरी है वरना बचे हुए इंजेक्शन चार घंटे के भीतर खराब हो जाएंगे। एक खेप के लिए दस लोगों का रजिस्ट्रेशन हुए बिना निजी अस्पताल लोगों को बुलाएंगे नहीं। सर्विस चार्ज मिलाकर इसका शुल्क भी करीब 400 रुपये बनता है। निजी अस्पताल वायल के रख-रखाव में होने वाला खर्च नहीं मिलने के चलते भी उदासीन हैं। इसके विपरीत यदि बूस्टर डोज के लिए पहले की तरह अभियान चलाया जाए तो टीका केंद्रों एक साथ 10 लोगों का पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं। पर ऐसे किसी अभियान का तो अब तक पता ही नहीं है। यह ध्यान रखने वाली बात है कि कोविड का प्रकोप छत्तीसगढ़ में दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद ही बढ़ता रहा है।

बूस्टर डोज भी मुफ्त मिलेगी?

महामारी से बचाव के लिए देशभर में जब भी टीकाकरण का महाभियान चला, सबको डोज मुफ्त ही मिली। कोविड के दौरान भी यही हुआ, पर ना-नुकुर के बाद। पहले राज्यों से कहा गया कि वे खर्च का कुछ हिस्सा अपने ऊपर ले लें, फिर कई राज्यों ने स्वयं से मुफ्त लगाने की घोषणा कर दी। केंद्र ने इसे देखते हुए देशभर में मुफ्त टीकाकरण का अभियान चलाया। टीकाकरण केंद्रों ही नहीं, अनेक सरकारी संस्थान जहां टीके नहीं भी लग रहे थे, धन्यवाद मोदी जी.., दिखाई दे रहा था। पर, बूस्टर डोज पर भी जेब से खर्च करने के लिए कहा जा रहा है। राज्यों ने भी यह खर्च उठाने की घोषणा नहीं की है, पर लोगों की उम्मीद हरियाणा की पहल के बाद से बनी हुई है। वहां सीएम ने घोषणा कर दी है कि बूस्टर डोज मुफ्त लगाएंगे। इसके लिए 300 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित कर दिया गया है।

दरी पर दफ्तर

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के अधीन एक शोध पीठ कबीर विकास संचार केंद्र संचालित हैं। रायपुर के कुणाल शुक्ला को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अनुशंसा पर अध्यक्ष बनाया गया था। हाल ही में उन्होंने अपने कक्ष से टेबल कुर्सियां हटाकर दरी पर आसन बना लिया है। उनका दर्द छलका है कि आरएसएस के कुलपति उनकी नियुक्ति को पचा नहीं पा रहे हैं...कबीर के हर सार्थक काम में अडंगा डाल रहे हैं। पांच माह से टूटी टेबल, कुर्सी, पंखा बदलने की याचना कर रहे थे। अब उन टूटे सामानों को हटाकर जमीन में दरी बिछाकर बैठना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि आप जब इस जगह पर मिलने पहुंचें, तो ‘सत्य के प्रति मेरे प्रयोग’ पर बात होगी।

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