राजपथ - जनपथ
सुनकर सीएम मुस्कुरा दिए...
तपती धूप में प्रदेश दौरे पर निकले सीएम भूपेश बघेल सूरजपुर जिले के दुर्गम पहाडिय़ों के पीछे बसे छोटे से कस्बे के आदिवासी किसान की जागरूकता देख उस वक्त चकित रह गए, जब उन्होंने किसान की समस्या पूछी। किसान ने बताया कि उन्हें राशन लेने के लिए 16 किमी पहाड़ चढकऱ कुदरगढ़ आना पड़ता है। यदि रास्ता खराब हो, तो 35 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। किसान का कहना है कि यदि आश्रित गांव घुड़ई में उनका नाम जोड़ दिया जाए, तो राशन लेने में सहूलियत होगी।
आदिवासी किसान की समस्या सुनकर सीएम भी पसीज गए। उन्होंने कहा, आप लोगों को राशन लेने के लिए इतनी तकलीफ उठानी पड़ती है। आपने विधायक को समस्या क्यों नहीं बताई? इस पर आदिवासी किसान ने कहा कि विधायक को हम चुनते हैं। उन्हें हमारी समस्या की जानकारी लेनी चाहिए? यह सुनकर सीएम मुस्कुरा दिए, और कहा-आप एकदम ठीक बोल रहे हैं। आप लोगों ने मुझे भी चुना है। इसके बाद सीएम ने किसान का संबंधित गांव में नाम जुड़वा कर तुरंत राशन कार्ड बनाने के निर्देश दिए।
गौठान में लापरवाही पर सीएम खिन्न
सीएम अपने दौरे में लापरवाह अफसरों पर तुरंत कार्रवाई कर रहे हैं। घंटेभर के भीतर जिम्मेदार अफसर-कर्मियों का निलंबन ऑर्डर निकल जा रहा है। इतनी तेजी से कार्रवाई पहले कभी नहीं हुई। वन क्षेत्रों में गौठान योजना में लापरवाही पर सीएम काफी खिन्न नजर आए।
उन्होंने गौठान के निरीक्षण के दौरान हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स राकेश चतुर्वेदी से फोन पर बात की, और उनसे कहा कि प्रदेश के सभी डीएफओ को गौठानों का निरीक्षण करने भेजें, और इसका फोटो भी मंगवाए। सीएम के तेवर देखकर कलेक्टर भी हड़बड़ाए हुए थे।
एक कलेक्टर ने तो चालाकी से शिकायत-आवेदन खुद एकत्र कर लिए थे। ताकि सीएम तक पहुंच न पाए। फिर भी सीएम लोगों तक पहुंच गए, और उनसे चर्चा कर शिकायतों का तुरंत निराकरण भी किया।
मंत्री के सामने मोर्चे पर विधायक!
प्रदेश के एक ताकतवर मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने जिले कोरबा की कलेक्टर के खिलाफ एक अभूतपूर्व मोर्चा खोला है और इस राज्य में किसी अफसर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए ऐसा सार्वजनिक हमला किसी मंत्री द्वारा पहली बार किया गया है। लेकिन कलेक्टर की कुर्सी कम ताकत की नहीं होती, और फिर कोरबा का कलेक्टर का दफ्तर प्रदेश में किसी भी कलेक्टर दफ्तर से अधिक ताकत रखता है। ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि कोरबा जिले के कुछ कांग्रेस विधायक अब कलेक्टर के पक्ष में मुख्यमंत्री को चि_ी लिखने जा रहे हैं कि कलेक्टर बहुत अच्छा काम कर रही हैं, और उन्हें न हटाया जाए। झगड़ा कांग्रेस पार्टी के भीतर मंत्री और विधायकों के बीच खड़ा किया जा रहा है. आखिर प्रशासन चलाने वाले अफसर कम चतुर तो रहते नहीं। कोरबा की कलेक्टर रानू साहू की चतुराई के किस्से बहुत से हैं, बालोद जिले से लेकर कोरबा तक।
खलनायकों पर भी पुलिस मेहरबान!
लोगों के बीच नियमों को लेकर किस तरह का दुस्साहस है यह देखना हो तो छत्तीसगढ़ में गाडिय़ों की नंबर प्लेट देखनी चाहिए। राजधानी रायपुर में रात-दिन ऐसी गाडिय़ां दौड़ती हैं जिन पर कोई नंबर प्लेट नहीं लगी है, और उनकी अंधाधुंध और लापरवाह रफ्तार के शिकार लोग उनके खिलाफ रिपोर्ट भी नहीं लिखा सकते। ऐसा भी नहीं कि ये गाडिय़ां चौराहों से दूर रहती हैं, लेकिन ऐसी गाडिय़ों पर तीन-चार लोग भी सवार रहें, और इनका साइलेंसर भी फोड़ा हुआ रहे, तब भी पुलिस के चेहरे पर शिकन नहीं दौड़ती। अभी एक महंगी मोटर साइकिल ऐसी देखने मिली जिसकी नंबर प्लेट की जगह विलन लिखा हुआ था। अंग्रेजी के हिज्जे गलत थे, लेकिन हरकत और मतलब दोनों ही खलनायक की तरह के थे। अब नंबर प्लेट की जगह विलन लिखा हुआ हो, और पीछे की तरफ से देखें तो यह दिखे कि नंबर प्लेट को उल्टा लगा लिया गया है, फिर भी ऐसे खलनायक सडक़ों पर घूम रहे हैं, और कार्रवाई करने को कोई नहीं हैं। ऐसा ही दुस्साहस आगे चलकर कई किस्म की गुंडागर्दी और जुर्म में तब्दील होता है।
मोदी के चेहरे पर छत्तीसगढ़ में चुनाव?
सन् 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी एक चेहरे को सामने नहीं किया था। कांग्रेस में आई दरार और तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कामकाज को आधार बनाकर उसने चुनाव लड़ा। उस समय पार्टी में रमेश बैस, नंदकुमार साय, दिलीप सिंह जूदेव और डॉ. रमन सिंह के बीच फैसला होना था। दिल्ली से शीर्ष नेताओं का फैसला आया और डॉ. रमन सिंह सर्वसम्मति से नेता चुने गए। 2008 के चुनाव में डॉ. सिंह का नाम स्वमेव मुख्यमंत्री के लिए तय कर लिया गया। 2013 और 2018 में भी यही हुआ। 2018 तक केंद्र में सरकार बदल चुकी थी और नरेंद्र मोदी सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके थे। पर छत्तीसगढ़ में चेहरा डॉ. रमन सिंह ही रहे। जिस बुरी तरह से कांग्रेस ने 2018 में भाजपा को शिकस्त दी, उसने भाजपा को अब तक सोच में डाल रखा है। प्रदेश भाजपा प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने कल फिर एक बार मुख्यमंत्री के चेहरे पर किए गए सवाल का जवाब दिया। उन्होंने दुर्ग में कहा कि केंद्रीय नेतृत्व करेगा कौन चेहरा होगा। इसके पहले जगदलपुर में वे कह चुकी हैं कि किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। इधर बिहार के मंत्री जो प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी हैं, उन्होंने बिलासपुर में कहा कि छत्तीसगढ़ का चुनाव नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा। लगता है कि प्रभारी की जगह, सह प्रभारी की बात ही सच्चाई के ज्यादा निकट है। भाजपा में नए चेहरे को घोषित करना ठीक उसी तरह कठिन है जिस तरह 2018 में कांग्रेस के लिए था।
ट्विटर पर हसदेव का ट्रेंड
बीते एक सप्ताह से ट्विटर पर हसदेव ट्रेंड कर रहा है। एक दर्जन से अधिक हिंदी, अंग्रेजी हैश टैग देश विदेशों से हैं, जिनमें हसदेव को कोयला खनन से बचाने के लिए अपील और पोस्टर हैं। इनमें कल्पनाशीलता भी खूब है, जो ध्यान खींच रही हैं।