राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसे ही पंच्कुअल नहीं हुए
11-May-2022 6:51 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऐसे ही पंच्कुअल नहीं हुए

ऐसे ही पंच्कुअल नहीं हुए

अंबिकापुर के करजी के पटवारी गयाराम सिंह के काम के सीएम भूपेश बघेल मुरीद हो गए। जन चौपाल में गांव वालों ने भी पटवारी के काम की तारीफ की। गयाराम को लेकर यह बताया गया कि वो समय से पहले ऑफिस पहुंचते हैं, और सारे राजस्व रिकॉर्ड अप टू डेट रखते हैं।

सरकारी योजनाओं में लापरवाही पर सीएम अब तक आधा दर्जन से अधिक अफसर-कर्मियों को निपटा चुके हैं। ऐसे में जब सब कुछ व्यवस्थित मिला, तो उनका खुश होना स्वाभाविक था।

कुछ लोग बताते हैं कि पटवारी गया सिंह ऐसे ही पंक्चुअल नहीं हुए हैं। कुछ साल पहले उन पर एसीबी ने कार्रवाई की थी। अब एक बार ठोकर खाने के बाद कामकाज में सुधार दिख रहा है, तो शाबाशी के हकदार तो हैं ही।

इसलिए विरोध न किया जाए

 टी एस बाबा के विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर में जब सीएम पहुंचे, तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। बाबा की गैर मौजूदगी में अमरजीत भगत के समर्थकों ने कहीं कोई कसर बाकी नहीं रखी। वैसे तो भाजयुमो के कुछ कार्यकर्ताओं ने सीएम को काले झंडे दिखाने की तैयारी कर रखी थी। पुलिस ने करीब 30-40 कार्यकर्ताओं को थाने में बंद कर दिया। स्थानीय भाजपा नेता भी भाजयुमो कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन से नाखुश थे। इसलिए वे भी उनसे मिलने नहीं गए। बाद में भाजयुमो कार्यकर्ताओं चेतावनी देकर सबको छोड़ दिया गया।

भाजपा नेताओं ने कार्यकर्ताओं को समझाइश दी कि सीएम यहां सौगात देने आए हैं, इसलिए किसी तरह का विरोध प्रदर्शन न किया जाए। दूसरी तरफ, सीएम ने अलग-अलग समाज के लोगों को मंगल भवन, और अन्य तरह की घोषणाएँ करके खुश कर दिया। सीएम को धन्यवाद देने वालों की भीड़ लगी रही। कई तो इनमें बाबा के विरोधी भी थे।

भगत सिंह और चे गुएरा के बाद...

ट्रकों के पीछे और टी-शर्ट के सामने कई तरह के फलसफे लिखे रहते हैं। भगत सिंह से लेकर चे गुएरा तक की तस्वीरों के साथ उनकी कही बातें टी-शर्ट पर दिखती हैं, और कई ट्रकों के पीछे कई दार्शनिकों और शायरों की कही हुई बातें लिखी दिखती हैं। अब इसी कड़ी में हिंदुस्तानी बाजार में ऐसे टी-शर्ट उतरते हैं जिन पर कबीर के दोहे लिखे गए हैं। 20-25 बरस बाद किसी लेखक का कोई कॉपीराईट उसके लिखे हुए पर नहीं रह जाता, इसलिए सैकड़ों बरस पहले के कबीर के कहे हुए दोहे तो सबको मुफ्त हासिल हैं। दिक्कत यही है कि हिंदी के खराब और गलत हिज्जों के साथ छपे हुए ये टी-शर्ट लोगों को लंबे समय तक गलत हिज्जे सिखाते रहेंगे, यह अलग बात है कि इससे परे उनका फलसफा लोगों को जिंदगी की बड़ी बातें सिखाता रहेगा।

स्टेडियम का श्रेय किसे मिले?

जशपुर जिले में युवाओं के बीच हॉकी काफी लोकप्रिय है। यहां से निकले खिलाडिय़ों ने देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है। लंबे समय से यहां एस्ट्रोटर्फ हॉकी मैदान की मांग थी। स्व. दिलीप सिंह जूदेव ने तत्कालीन केंद्रीय खेल मंत्री उमा भारती से यहां एस्ट्रोटर्फ मैदान की मंजूरी दिलाई, पर काम शुरू नहीं हो सका। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अपने कार्यकाल में भी इसकी मंजूरी दे सकती थी, जिस तरह से बिलासपुर, राजनांदगांव आदि में दी गई। खैर, सरकार बदली। कांग्रेस विधायक विनय भगत ने सीएम से कहकर नए सिरे से प्रस्ताव बनवाया। सरगुजा विकास प्राधिकरण ने मंजूरी दी और स्टेडियम बनकर अब तैयार है।

पर, इसमें एक विवाद जुड़ गया है। स्टेडियम हो किसके नाम पर? जिला प्रशासन ने विधायक के पिता रामदेव राम के नाम पर रखने की तैयारी कर ली है, इस तरह का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बीजेपी इससे नाराज है। उनका कहना है कि स्व जूदेव ने सबसे पहले इस स्टेडियम के लिए पहल की थी, मंजूरी भी दिलाई। यह अलग बात है कि उस वक्त काम शुरू नहीं हुआ। पर श्रेय उनको ही जाता है। नामकरण के संबंध में नगरपालिका ने पहले ही प्रस्ताव पारित कर रखा है कि यह स्व. शत्रुंजय सिंह जूदेव पर हो। बहरहाल, नाम अब तक निर्धारित नहीं हो सका है। और इसके कारण स्टेडियम का उद्घाटन भी नहीं हो रहा है।

नुकसान यह हो रहा है कि जिस जगह पर आज युवाओं को खेलते हुए नजर आना चाहिए वह मैदान टूट फूट कर खराब हो रहा है। मेंटिनेंस के अभाव में असामाजिक तत्वों ने इसे शराबखोरी का अड्डा बना रखा है।

कोंडागांव से मणिपुर

यह हैं रविका नेताम। इनका चयन आल इंडिया हॉकी टूर्नामेंट के लिए मणिपुर जा रही छत्तीसगढ़ टीम में हुआ है। बस्तर के कोंडागांव में आईटीबीपी ने इन्हें प्रशिक्षित किया है। यहां कार्यरत एक हेड कांस्टेबल सूर्य स्मिथ बीते 7 सालों में सैकड़ों लड़कियों की खेल प्रतिभा को निखार चुके हैं। और ये लड़कियां देश के अलग-अलग स्थानों पर अपनी काबिलियत का प्रदर्शन कर इस नक्सल प्रभावित क्षेत्र की छवि को बदलने में मदद कर रही हैं।

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