राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दारूबंदी एक बड़ा मुद्दा
16-May-2022 5:51 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दारूबंदी एक बड़ा मुद्दा

दारूबंदी एक बड़ा मुद्दा

छत्तीसगढ़ में शराब एक बड़ा मुद्दा है, और पिछली सरकार के समय से गरीबों को मिलने वाले सस्ते चावल की वजह से बहुत से गरीब लोग अपनी कमाई शराब में झोंकते आए हैं। दारू का धंधा सरकार के लिए भी बड़ी कमाई का रहता है, और शराबमाफिया भी इसे बंद होते देखना नहीं चाहता। नतीजा यह है कि अपने चुनावी घोषणापत्र के बावजूद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इसे बंद नहीं कर रही है। जबकि लॉकडाऊन के दौर में महीनों तक लोग बिना शराब के जी लिए, और उन्हें कोई तकलीफ नहीं हुई, उससे बड़ा प्रयोग और कुछ नहीं हो सकता था, लेकिन फिर भी शराबबंदी नहीं हुई। अब ऐसा लगता है कि साल भर बाद विधानसभा चुनाव की तैयारी में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही शराबबंदी को एक मुद्दा बना सकते हैं, भाजपा को तो मुद्दा बनाना होगा, लेकिन कांग्रेस चुनाव के कुछ महीने पहले शराबबंदी करके उसका फायदा उठाने की कोशिश कर सकती है। फिलहाल जब तक वह नहीं होता है, तब तक तो छत्तीसगढ़ के लोग शराब को लेकर तंज कस ही सकते हैं। अब सोशल मीडिया पर तैर रहे इस शोकपत्र को देखें।

धनवंतरी दवाओं का साइड इफेक्ट...

जेनेरिक दवाओं की धनवंतरी सरकारी दुकानों में बिक्री का मेडिकल व्यवसाय पर कुछ तो असर पड़ा है। यहां दवाएं न केवल सस्ती है बल्कि भारी छूट दी जाती है। कुछ दवाओं पर यह 65 प्रतिशत तक भी है। पिछले महीने छत्तीसगढ़ सरकार ने एक आंकड़ा दिया था कि लोगों ने धनवंतरी स्टोर्स से खरीदी करके 17 करोड़ रुपए बचाए। सभी सरकारी डॉक्टरों के लिए निर्देश है कि वह ब्रांडेड नहीं केवल जेनेरिक दवाएं लिखेंगे। ऐसी हालत में मेडिकल स्टोर संचालकों को भी ऑफर देना पड़ रहा है। वे एमआरपी में 15 से लेकर 25-30 प्रतिशत तक छूट दे रहे हैं। घर पहुंच सेवा भी मिल रही है। बहुत से लोगों को ब्रांडेड दवाओं पर ही भरोसा है। वे खरीद रहे हैं। अब हो यह रहा है छूट के चलते प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। रायपुर और बिलासपुर में कुछ खुदरा दवा विक्रेताओं ने अपने यहां के सीएमएचओ से शिकायत की है कि थोक दवा विक्रेता उन्हें छूट देने की वजह से माल देने से मना कर रहे हैं। कह रहे हैं कि मार्केट खराब मत करो। देखें स्वास्थ्य विभाग इन शिकायतों पर क्या कार्रवाई करता है।

धर्मांतरण की स्वीकारोक्ति

साहू समाज के नवागांव में रखे गए सम्मेलन में मंत्री ताम्रध्वज साहू इस बात पर चिंतित दिखे उनके समाज के कई लोग ईसाई धर्म की तरफ झुक रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कि झांसे में न आएं। धर्म या मत बदलने से कोई चंगा नहीं होगा, डॉक्टर से इलाज कराने पर ही सेहत सुधरेगी।

धर्मांतरण के खिलाफ आवाज भाजपा उठाती आई है। कांग्रेस आरोप नकारती रही है। पर मंत्री की चिंता बताती है कि धर्म, मत बदलने का खेल चल तो रहा है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने साहू के बयान का समर्थन किया है। वे इसे राजनीति से अलग मुद्दा भी बता रहे हैं।

दरअसल, कौन किस मत या धर्म को स्वीकार करता है यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है। बशर्तें इसके पीछे प्रलोभन या दबाव न हो। ज्यादातर लोग किसी तरह का अध्ययन नहीं करते कि वे क्यों दूसरे धर्म या मत की ओर जाना चाहते हैं। बस उन्हें दिलासा दिया जाता है कि उसके परिवार में सुख-शांति आएगी। कोई लंबी बीमारी हो तो ठीक हो जाएगी। फैसले के पीछे अशिक्षा और गरीबी भी काम करता है। वैसे, मंत्री के बयान का भाजपा आने वाले दिनों में चुनावी औजार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।

योग दिवस की तैयारी...

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाना है। छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार की इकाईयों में इसके लिए अभ्यास शुरू हो चुके हैं। यह तस्वीर नेहरू युवा केंद्र कोरबा की ओर से रखे गए एक सत्र की है।

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