राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह क्या हो गया है?
17-May-2022 8:05 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह क्या हो गया है?

यह क्या हो गया है?

जिन लोगों को अपने देश-प्रदेश पर अधिक गर्व रहता है उन्हें अपने इलाके में होने वाली शर्मनाक वारदातों पर अधिक गौर फरमाना चाहिए। अब जो लोग छत्तिसगढिय़ा सबले बढिय़ा बोलते हुए थकते नहीं हैं, उन्हें अभी बेमेतरा के पास हुए एक सडक़ हादसे की खबर देखनी चाहिए। सीमेंट लदे ट्रक और प्याज से लदी एक गाड़ी में टक्कर हो गई। प्याज वाली गाड़ी का ड्राइवर गाड़ी में ही फंसकर मर गया, और उसकी लाश गाड़ी से लटकी हुई थी। लेकिन आसपास के गांवों के लोग इक_ा हुए, और बिखरे हुए प्याज को लूटने के साथ-साथ गाड़ी पर बचे हुए प्याज को भी लूटने में जुट गए। ड्राइवर की लाश फंसी रही, और आसपास से लोग प्याज ले-लेकर जाते रहे। जिन लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर अधिक गर्व है उन्हें इस घटना को कुछ अधिक गंभीरता से देखना चाहिए, और आत्ममंथन करना चाहिए कि सबसे बढिय़ा इंसान को यह क्या हो गया है?

मानसून की तैयारी

मिट्टी की दीवार और खपरैल छत। गर्मी के दिनों में कंक्रीट की छत, दीवारें खूब तपती हैं, पर मिट्टी के घरों में तापमान सामान्य सा रहता है। बस बारिश से पहले इसकी मरम्मत जरूरी हो जाती है। बंदरों की धमाचौकड़ी के कारण। यह तस्वीर कोटा इलाके के एक गांव की है।

लेमरू रिजर्व बन चुका होता तो?

कोई दिन शायद ही गुजरता है जब मनुष्य और हाथी के बीच द्वंद की खबर छत्तीसगढ़ से नहीं मिलती हो। हसदेव अरण्य में कॉल ब्लॉक के आवंटन और पेड़ों की कटाई के खिलाफ याचिकाकर्ता मुकदमा हार चुके हैं। इस फैसले में पेसा कानून को जनहित में शिथिल करने को भी जायज ठहराया गया है, जिसके तहत आदिवासियों को अपने इलाके में किसी भी तरह की नई गतिविधि को मंजूरी देने का अधिकार मिला हुआ है। जानकार कहते हैं कि इस फैसले के बाद अब बाकी प्रस्तावित कोयला खदानों को मंजूरी देने का रास्ता भी खुल गया है। यह वही क्षेत्र है जहां एलीफेंट रिजर्व एरिया बनाने की बात है। खदान के धमाकों और भारी भरकम गाडिय़ों की आवाजाही के बीच एलिफेंट रिजर्व कैसे बनाया जाएगा और बन भी गया तो क्या हाथियों को वहां रोका जा सकेगा? यह दिलचस्प है कि इस इलाके के लेमरू में एलीफेंट रिजर्व बनाने की बात करीब 15 साल से हो रही है पर सरकार ने कदम नहीं बढ़ाया और गजब की फुर्ती के साथ परसा कोल ब्लॉक के लिए जैसे ही मंजूरी मिली पेड़ कटने शुरू हो गए। यह बताता है कि सरकारी काम और निजी काम के बीच स्पीड में कितना फर्क होता है। यदि एलीफेंट रिजर्व बन चुका होता तो शायद हसदेव अरण्य को बचाने के लिए इतनी लड़ाई नहीं लडऩी पड़ती।

इसे हटाना ठीक नहीं दूसरे एटीएम जाएं

एक एटीएम मशीन में कार्ड लगाने की जगह पर एक मेंढक इतनी अच्छी तरह बस गया है कि उसे हटाने के बजाय दूसरी जगह से पैसे निकाल लेना बेहतर लगे। भिलाई के रिसाली इलाके में यह फोटो पुरूषोत्तम ठाकुर ने ली है।

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