राजपथ - जनपथ
जिंदगी की गंदगी सोच में भी...
हिन्दुस्तान में, खासकर उत्तर भारत और मध्यप्रदेश सरीखे इलाकों में लोगों को सार्वजनिक जगहों पर थूकने से रोकना नामुमकिन है। कई इमारतों में देवी-देवताओं की तस्वीरों वाले टाईल्स सीढिय़ों के कोनों पर लगाकर लोगों को रोकने की कोशिश होती है, लेकिन यह भी सोचने की जरूरत है कि जिन धर्मों के लोगों को आज घेरकर मारा जा रहा है, वे लोग हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति सम्मान दिखाएं तो क्यों दिखाएं?। इस अखबार के एक पाठक ने शहर की एक फोटो भेजी है जिसमें भारत सरकार की एक मुहिम के तहत किए जा रहे स्वच्छ सर्वेक्षण पर ही किसी ने थूक मारा है। इस देश के लोग सामूहिक तौर पर तो किसी सफाई के हकदार नहीं हैं, और जिंदगी की यह गंदगी धीरे-धीरे लोगों की सोच में भी आती जाती है।
ये नेता, ये अधिकारी
बीते साल दिसंबर महीने में मुंगेली जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएएस रोहित व्यास के साथ बसपा से चुनकर आई सदस्य लैला ननकू भिखारी का विवाद हुआ था। एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें सदस्य आईएएस को चप्पल दिखाती हुई नजर आ रही हैं। आईएएस के खिलाफ लैला ननकू ने जातिगत टिप्पणी करने का आरोप लगाया था। जिला पंचायत के कई सदस्यों ने उनका साथ दिया और प्रदर्शन भी किया। इधर व्यास के पक्ष में अधिकारी-कर्मचारियों ने भी काम बंद कर दिया था। घटना के 15 दिन बाद आईएएस व्यास का बस्तर इसी पद पर स्थानांतरण कर दिया गया। वैसे इनको यहां लगभग 2 साल हो चुके थे। पर तबादला नहीं होता तो शायद खींचतान मची रहती।
इस घटना के कुछ दिन पहले दिसंबर महीने में लोरमी नगर पंचायत का अतिक्रमण हटवाने के लिए एसडीएम मेनका प्रधान पहुंची तब आरोप है कि भाजपा के एक नेता अशोक जायसवाल ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इसका भी वीडियो वायरल हुआ था।
अब ताजा मामला लीजिए। डिप्टी कलेक्टर अनुराधा अग्रवाल के खिलाफ कांग्रेस नेत्री और जनपद पंचायत लोरमी की उपाध्यक्ष खुशबू वैष्णव ने मोर्चा खोला है। एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें कहा जा रहा है डिप्टी कलेक्टर ने राशन कार्ड बनाने के आवेदनों को लेकर आई कांग्रेस नेत्री से घूस की मांग कर रही है। मामला ज्यादा संगीन हो जाता यदि डिप्टी कलेक्टर घूस की रकम बता रही होती या लेते हुए वीडियो में कैद हो जाती। फिर भी जैसा कि कलेक्टर ने बताया है उनको जांच का सामना करना पड़ेगा। एक हद तक यह घटना उनके कैरियर पर भी असर डाल सकता है। सबक यही है कि मुंगेली में काम करने वाले अधिकारियों को संभल-संभल कर चलना चाहिए।
दोना पत्तल विकल्प बन सकेंगे?
छत्तीसगढ़ सरकार ने एक जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित करने का संकल्प लिया है। यह घोषणा पहली बार नहीं की गई है बल्कि समय-समय पर ऐसे आदेश निकलते रहे हैं। फरवरी महीने में भी सिंगल यूज़ प्लास्टिक कैरी बैग पर पाबंदी लगाने की बात कहीं गई थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर इस बार केंद्र सरकार से गाइडलाइन मिली है। पूरे देश में 30 जून तक सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग का स्टॉक समाप्त करने के लिए कहा गया है। छत्तीसगढ़ में भी पहले से एक्ट बना हुआ है पर इसे लागू करने के लिए नगरीय निकाय के अधिकारी अचानक कभी-कभी जाग जाते हैं और दुकानों सब्जी बाजारों में छापेमारी करते हैं। आमतौर पर प्लास्टिक कैरी बैग बनाने वाले उद्योगों को छोड़ दिया जाता है और कार्रवाई व्यापारियों पर की जाती है।
इस बार ऐसा लगता है कि अफसरों ने कुछ ठोस करने की ठानी है। विकल्प की तकनीकी जानकारी लेने दूसरे राज्यों का दौरा करने का भी कार्यक्रम बन रहा है। इधर नॉन वोवन कैरी बैग दुकानदारों ने भी रखना शुरू किया है, जो फैब्रिक से बनता है। पर अब भी प्लास्टिक बैग ही चलन में है।
राजस्थान में बायोडिग्रेडेबल पारदर्शी कैरी बैग का इस्तेमाल कुछ नगर निगमों में शुरू किया गया है। एक अमेरिकी फर्म जीएक्सटी ग्रीन- दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और झारखंड राज्य में अपनी निर्माण इकाई शुरू कर चुकी है।
छत्तीसगढ़ में प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने की तैयारी कुछ पीछे चल रही है। अधिकारी दोना पत्तल को भी विकल्प के रूप में देख रहे हैं। शादी ब्याह में अब प्लास्टिक कप और गिलास का खूब इस्तेमाल हो रहा है। दोना पत्तल का इस्तेमाल यहां तो हो ही सकता है।