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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जिन कारोबारियों के पास लाखों-करोड़ों की बड़ी-बड़ी दुकानें हैं, उनकी नीयत भी सडक़ों पर लगी रहती है। फुटपाथ पर कारोबार करने वाले या फेरीवाले तो सडक़ों पर काम चलाएं वह समझ में आता है क्योंकि उनके पास दुकान नहीं है, लेकिन जिनके पास सब कुछ है उनकी नीयत भी अगर सडक़ तक फैल जाए, तो जाहिर है कि ट्रैफिक तो जाम होगा ही। अब एमजी रोड की इस तस्वीर को देखें तो इसमें 9 कूलरों की कतार दुकान के बाहर सडक़ तक पहुंची हुई है। इसका मतलब है कि कम से 20 फीट तक तो इस दुकानदार ने कब्जा कर ही लिया है। अब म्युनिसिपल पता नहीं किस न्यौते के इंतजार में बैठी रहती है कि मानो दुकानदार खुद होकर उसे निमंत्रण पत्र भेजेंगे कि उनका अवैध कब्जा हटाने आएं। इसी तरह लाखेनगर से लेकर बढ़ईपारा तक, और शहर के बीच के तमाम बाजारों में कपड़ा-दुकानदारों के पुतले 15-20 फीट सडक़ की चौड़ाई घेरे हुए दिखते हैं। न पुलिस इन्हें हटाती, न म्युनिसिपल, और न ही जिला प्रशासन। इसी तरह शहीद स्मारक के पीछे पूरी की पूरी कतार कारों में तरह-तरह के कानूनी और गैरकानूनी उपकरण फिट करने का काम सडक़ पर वर्कशॉप चलाते हुए करती हैं, और बड़ी मुश्किल से एक कार के निकलने की जगह बचती हैं। ऐसा लगता है कि सडक़ किनारे के कब्जों को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करार दे दिया जाएगा, तो उन पर पल भर में कार्रवाई हो जाएगी। तस्वीर/‘छत्तीसगढ़’