राष्ट्रीय
सिलचर (असम), 3 जून| असम में कांग्रेस, विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों ने बुधवार को राज्य सरकार से सरकार द्वारा संचालित हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के स्वामित्व वाली दो पेपर मिलों की होने जा रही बिक्री को रोकने का आग्रह किया। हैलाकांडी जिले में एचपीसीएल की कछार पेपर मिल (सीपीएम) में उत्पादन 20 अक्टूबर, 2015 को बंद हो गया, जबकि मोरीगांव के जगीरोड में नौगांव पेपर मिल (एनपीएम) 13 मार्च, 2017 से बंद है। दोनों के 2,500 से अधिक कर्मचारियों को चार साल से अधिक समय से वेतन नहीं मिला है।
महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को लिखे पत्र में उनसे दो महत्वपूर्ण पेपर मिलों की बिक्री को रोकने का अनुरोध किया।
सुष्मिता ने लिखा, "केरल सरकार ने कोट्टायम में हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड की इकाई का अधिग्रहण किया। आपकी सरकार ने हाल ही में गोलाघाट में नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) में असम सरकार की हिस्सेदारी को 12.5 से 26 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के सबसे बड़े निवेश को मंजूरी दी है। मुझे उम्मीद है कि असम सरकार समान भावना दिखाएगी और दो पेपर मिलों को बचाएगी और कर्मचारियों के हितों को 1,100 करोड़ रुपये की मामूली लागत पर निजी हाथों में जाने से बचाएगी।"
सुष्मिता देव ने कहा कि पंचग्राम में सीपीएम असम की बराक घाटी में एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार आश्वासन दिया था कि इन उद्योगों को असम के व्यापक हित में पुनर्जीवित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी दो मिलों को बचाने का आश्वासन दिया था।
सुष्मिता देव ने कहा, "अधिक प्रासंगिक रूप से भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में भी एनपीएम को फिर से खोलने की प्रतिबद्धता दी गई थी।"
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने हाल ही में एचपीसीएल को 30 जून को दो पेपर मिलों की ई-नीलामी आयोजित करने की अनुमति दी थी।
दो पेपर मिलों की यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के अध्यक्ष मनबेंद्र चक्रवर्ती ने कहा कि ई-नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य 1,139 करोड़ रुपये होने के बावजूद दोनों मिलों की संपत्ति का मूल्य कम से कम 5,000 करोड़ रुपये होगा। (आईएएनएस)