अंतरराष्ट्रीय
स्वीडन ने कहा है कि वह तुर्की को राजी करने की पूरी कोशिश कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि स्वीडिश विदेश मंत्री अन लिंड और फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो जल्द ही वार्ता के लिए तुर्की जाएंगे.
15 मई को फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू करने का आधिकारिक एलान किया. अब तक ऐसा माना जा रहा था कि अगर दोनों देश सदस्यता के लिए आवेदन देते हैं, तो नाटो की तरफ से उन्हें शामिल करने में कोई अड़चन नहीं आएगी. लेकिन अब यह मामला जटिल होता दिख रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोआन ने कहा है कि वह फिनलैंड और स्वीडन को नाटो का सदस्य नहीं बनने दे सकते हैं.
तुर्की ने क्या आरोप लगाए?
एर्दोआन ने कुर्द चरमपंथियों के खिलाफ दोनों देशों के एक्शन ना लेने को अपनी असहमति का कारण बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों देश कुर्द चरमपंथियों को तुर्की के हवाले करने से इनकार कर रहे हैं. एर्दोआन ने कहा, "स्वीडन और फिनलैंड दोनों की ही आतंकवादी संगठनों पर कोई पारदर्शी और स्पष्ट नीति नहीं है."
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि अगर दोनों देश नाटो में शामिल हुए, तो यह संगठन आतंकवादियों को पनाह देने का अड्डा बन जाएगा. नाटो में नए सदस्य को सदस्यता देने के लिए मौजूदा 30 सदस्यों की सहमति जरूरी है. ऐसे में एर्दोआन ने संकेत दे दिया है कि फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में जुड़ने की प्रक्रिया आसान नहीं होने वाली है.
एर्दोआन के बयान के बाद स्वीडिश अधिकारियों ने कहा कि वे इस मामले पर बातचीत के लिए अपने राजनयिकों को अंकारा भेजेंगे. एर्दोआन ने इसे समय की बर्बादी बताया. उन्होंने कहा, "क्या वे यहां हमें राजी करने की कोशिश करने आ रहे हैं? इस प्रक्रिया के दौरान हम उनके नाम पर हां नहीं कर सकते, जो तुर्की पर प्रतिबंध लगाते हैं."
प्रत्यर्पण की मांग ना जाने पर नाराजगी
बीते रोज तुर्की के न्याय मंत्रालय ने भी एक और समस्या उठाई. मंत्रालय ने कहा कि पिछले पांच सालों में दोनों देशों ने तुर्की की ओर से की गई प्रत्यर्पण की मांग पर सकारात्मक जवाब नहीं दिया है. ये मांग उन 33 आरोपियों से जुड़ी हैं, जिन पर तुर्की आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने का आरोप लगाता है. इनमें कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से जुड़े लोग भी शामिल हैं.
स्वीडन और फिनलैंड की सदस्यता पर तुर्की ने सबसे पहले 13 मई को आपत्ति उठाई थी. इसके बाद 15 मई को नाटो महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि तुर्की की उठाई चिंताओं के कारण सदस्यता की प्रक्रिया में देरी नहीं होगी. उन्होंने कहा, "तुर्की ने स्पष्ट किया है कि फिनलैंड और स्वीडन के आवेदन को ब्लॉक करने का उसका कोई इरादा नहीं है."
ऐसे में एर्दोआन के ताजा बयान पर पश्चिमी देशों के कई डिप्लोमैट हैरान हैं. उन्हें उम्मीद थी कि तुर्की इस मसले को नाटो से दूर रखेगा. वॉशिंगटन में स्वीडन की राजदूत कारीन ओलफ्स्डोट्टर ने भी कहा कि वह तुर्की की उठाई आपत्ति पर हैरान हैं. उन्होंने कहा, "हमारी आतंकवाद विरोधी नीति बहुत सख्त है और हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे सही नहीं हैं." स्वीडन ने हालिया दशकों में मिडिल-ईस्ट से आए हजारों शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है. इनमें सीरिया, इराक और तुर्की से गए कुर्द भी शामिल हैं.
एसएम/आरपी (एपी)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 17 मई। अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा।
अमेरिका ने साथ ही कहा कि वाशिंगटन देशों को निर्यात प्रतिबंधित नहीं करने के लिए ‘‘प्रोत्साहित’’ करेगा, क्योंकि इससे यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बीच खाद्यान्न की कमी बढ़ जाएगी।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है और देश ने भीषण गर्मी के कारण गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच घरेलू कीमतों को काबू में रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रैंस के जरिए मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी प्रतिबंध से भोजन की कमी बढ़ेगी।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘भारत सुरक्षा परिषद में हमारी बैठक में भाग लेने वाले देशों में से एक होगा, और हमें उम्मीद है कि वे अन्य देशों द्वारा उठाई जा रही चिंताओं पर ध्यान देंगे और उस स्थिति पर पुनर्विचार करेंगे।’’
वह गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित करने के भारत के फैसले पर एक सवाल का जवाब दे रही थीं।
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन विकासशील दुनिया की भोजन संबंधी जरूरत को पूरा करता था, लेकिन जब से रूस ने महत्वपूर्ण बंदरगाहों को अवरुद्ध करना शुरू किया है, तब से अफ्रीका और मध्य पूर्व में भूख की स्थिति और भी विकट हो गई है।
अमेरिका मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और वह इस सप्ताह रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे अंतरराष्ट्रीय संघर्षों की पृष्ठभूमि में खाद्य सुरक्षा पर एक हस्ताक्षर कार्यक्रम की मेजबानी करेगा। (भाषा)
करीब छह सालों में पहली बार कोई वाणिज्यिक उड़ान ने सोमवार को यमन की विद्रोहियों के कब्जे वाली राजधानी से उड़ान भरी है. इस उड़ान को शांति प्रक्रिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
राजधानी सना पर हूथी विद्रोहियों का कब्जा है और इस उड़ान के भरने से शांति स्थापना के और प्रबल होने की संभावना जताई जा रही है. यमनी यात्री विमान 126 यात्रियों को लेकर सना से जॉर्डन की राजधानी अम्मान के लिए रवाना हुआ. विमान मरीजों और उनके परिवारों को ले जा रहा था, जो इलाज के लिए विदेश जा रहे थे. यह लगभग छह वर्षों में सना हवाई अड्डे से पहली व्यावसायिक उड़ान थी.
सना हवाई अड्डे को अगस्त 2016 से वाणिज्यिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया था. सऊदी के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन यमन में ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों से लड़ रहा है. यमन अरब दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. व्हीलचेयर पर बैठी एक मरीज लुत्फियाह ने कहा, "मैं सना हवाई अड्डे के खुलने से बहुत खुश हूं. आज उत्सव का दिन है और मुझे आशा है कि यह खुला रहेगा."
सना निवासी मोहम्मद जैद अली अपनी साढ़े तीन साल की बेटी रजान के साथ यात्रा कर रहे थे. उनकी बेटी को ब्रेन ट्यूमर है. अली ने जॉर्डन पहुंचने पर समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यमन से इलाज के लिए जा रहे निराशाजनक लोगों से फ्लाइट भरी हुई थी, इन लोगों को इस मौके के लिए सात साल तक इंतजार करना पड़ा."
संघर्ष विराम से मुमकिन
दरअसल यमनी सरकार सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध विराम पर सहमति बनने के बाद विमान का उड़ना संभव हो पाया. रमजान के महीने की शुरुआत के साथ दो अप्रैल से संघर्ष विराम लागू है. शांति समझौते के प्रभावी होने के पांच दिन बाद, यमन के राष्ट्रपति जो सऊदी अरब में स्थित हैं, उन्होंने विद्रोहियों के साथ बातचीत करने के लिए काम करने वाली एक नेतृत्व परिषद को अपनी शक्तियां सौंप दीं. सना से उड़ानों को फिर से शुरू करना, विद्रोहियों के कब्जे वाले शहर ताइज के लिए सड़कों को फिर से खोलना और होदेइदाह के हूथी प्रबंधन वाले बंदरगाह पर डॉक करने के लिए ईंधन टैंकरों की अनुमति सभी संघर्ष विराम समझौते का हिस्सा थे.
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र दूत हांस ग्रुंडबर्ग ने यमन सरकार के इस कदम को रचनात्मक सहयोग बताते हुए इसकी सराहना की है. ग्रुंडबर्ग ने कहा, "युद्ध से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करने को लेकर यह और अधिक प्रयास करने के लिए दोनों पक्षों के साथ आने का यह एक पल होना चाहिए."
युद्ध विराम समझौते के तहत सना से जॉर्डन और मिस्र के काहिरा के लिए सप्ताह में दो व्यावसायिक उड़ानों के आने-जाने की इजाजत दी गई थी. अमेरिका ने भी उड़ान का स्वागत किया. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, "अमेरिका विभिन्न पक्षों को यमनी लोगों की खातिर व्यापक शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए इस मौके को पकड़ने करने के लिए प्रोत्साहित करता है."
एक युद्ध जिससे तबाह हुआ देश
यमन युद्ध की शुरुआत 2014 में हुई थी जब ईरान द्वारा समर्थित बागी हूथियों ने राजधानी सना समेत उत्तर के कई इलाकों पर कब्जा जमा लिया था. महीनों बाद अमेरिका द्वारा समर्थित और सऊदी अरब के नेतृत्व में एक गठबंधन ने हस्तक्षेप किया. गठबंधन ने बागियों से सत्ता छीन ली और एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार बनवा दी.
लेकिन हाल के सालों में यह एक छद्म युद्ध बन गया है जिसने 1,50,000 लोगों की जान ले ली है. मरने वालों में 14,500 से भी ज्यादा आम लोग थे. युद्ध ने दुनिया के सबसे बुरे मानवीय संकट को भी जन्म दे दिया है. आज देश की करीब 3.2 करोड़ आबादी में अधिकांश लोग हूथी नियंत्रत इलाकों में हैं.
एए/वीके (एएफपी, एपी)
कराची. पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में मैंडरिन पढ़ाने वाले चीनी शिक्षक हाल में हुए घातक हमलों के मद्देनजर बीजिंग द्वारा वापस बुलाए जाने के बाद घर के लिए रवाना हो गए हैं. कराची विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. कुछ हफ्ते पहले बुर्का पहनकर आई बलूच महिला आत्मघाती हमलावर ने पाकिस्तान के प्रतिष्ठित कराची विश्वविद्यालय के अंदर एक वाहन के पास खुद को विस्फोट कर उड़ा लिया. देश की वित्तीय राजधानी में चीनी नागरिकों के खिलाफ इस हमले में कन्फ्यूशियस संस्थान के प्रमुख और उनके स्थानीय चालक सहित तीन चीनी शिक्षकों की मौत हो गई. प्रतिबंधित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) से संबद्ध मजीद ब्रिगेड ने चीन द्वारा निर्मित कन्फ्यूशियस संस्थान के पास शिक्षकों पर हुए हमले की 26 अप्रैल को जिम्मेदारी ली थी.
कराची विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि परिसर के कन्फ्यूशियस संस्थान में पढ़ाने वाले चीनी शिक्षक रविवार को घर के लिए रवाना हुए. उन्होंने कहा, ‘देश के विभिन्न संस्थानों में भी कई चीनी शिक्षक अध्यापन कार्य कर रहे थे और वे कल लौट गए.’ कराची विश्वविद्यालय में कन्फ्यूशियस संस्थान के निदेशक डॉ. नासिर उद्दीन ने कहा कि चीनी शिक्षकों का वापस जाना मैंडरिन सीखने वाले छात्रों के लिए बड़ा झटका है. उन्होंने कहा, ‘हमारे संस्थान में लगभग 500 छात्र हैं और अब हम उनके लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने पर विचार कर रहे हैं ताकि उनका पाठ्यक्रम पूरा हो सके.’ उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न कन्फ्यूशियस संस्थानों के शिक्षकों को चीन की सरकार ने वापस बुला लिया है.
नासिर उद्दीन ने कहा कि कन्फ्यूशियस संस्थान एक गैर-लाभकारी शैक्षणिक संस्था है जिसका उद्देश्य मैंडरिन की पढ़ाई, भाषा और चीनी संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय समझ को गहरा करना तथा चीन और पाकिस्तान के लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ावा देना है. बीएलए के 26 अप्रैल को आत्मघाती बम हमले में संस्थान के प्रमुख हुआंग गुइपिंग और दो अन्य चीनी शिक्षकों, चेन साई और डिंग मुपेंग की मौत हो गई थी, जबकि उनके स्थानीय वाहन चालक खालिद नवाज भी विस्फोट में मारे गए थे. चीन सरकार ने पाकिस्तान में काम कर रहे अपने नागरिकों पर हमलों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. बीएलए पाकिस्तान में विशेष रूप से अशांत बलूचिस्तान में चीन के निवेश का यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि इससे स्थानीय लोगों को लाभ नहीं हुआ है. (news18.com)
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 16 मई। पाकिस्तान सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा अपने विरूद्ध हत्या की साजिश रचे जाने का दावा करने के दो दिन बाद सोमवार को उनकी सुरक्षा कड़ी कर दी।
खान ने शनिवार को दावा किया था कि पाकिस्तान एवं विदेश में उनकी हत्या की ‘साजिश’ रची जा रही है । उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनके साथ कुछ होता है तो लोगों को एक ऐसे वीडियो संदेश के मार्फत संबंधित अपराधियों के बारे जानने को मिलेगा जिसे उन्होंने हाल में रिकार्ड किया है और सुरक्षित स्थान पर रख लिया है।
खान ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में एक रैली में कहा था, ‘‘ मेरी जान लेने की साजिश रची जा रही है । कुछ दिन पहले ही मुझे इस साजिश की पूरी जानकारी मिली। देश-विदेश में बंद कमरों में यह साजिश रची जा रही है। मैंने इस साजिश के बारे में एक वीडियो बनाया है जिसमें इससे जुड़े लोगों के नाम लिये हैं। यदि मेरे साथ कुछ होता है तो लोगों को पता चल जाएगा कि इस साजिश के पीछे कौन हैं।’’
समाचार एजेंसी ‘एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान’ ने खबर दी है कि सोमवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख खान को ‘अभेद्य सुरक्षा प्रदान’ करने का निर्देश दिया। उससे पहले शहबाज शरीफ को पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा के संबंध में गृह मंत्रालय ने विस्तार से बताया था।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी अलग से कहा कि खान के लिए अभेद्य सुरक्षा प्रदान करने के बारे में प्रांतीय सरकारों को भी निर्देश दिये गये हैं।
उसने एक बयान में कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के निर्देश पर पूर्व प्रधानमंत्री को एक मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी दिया गया है।’’
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी एक बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की कि प्रधानमंत्री के निर्देश के मद्देनजर इमरान खान के लिए चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है।
सरकारी रेडियो पाकिस्तान ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘‘ पुलिस एवं अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सुरक्षाकर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।’’
उसने कहा कि इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में पूर्व प्रधानमंत्री के बानी गाला आवास की सुरक्षा के लिए पुलिस और फ्रंटियर कोर के 94 कर्मियों को तैनात किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस्लामाबाद पुलिस के चार वाहन एवं 23 कर्मी तथा फ्रंटियर कोर के एक वाहन एवं पांच कर्मी आवाजाही के दौरान पीटीआई अध्यक्ष के साथ रहेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि गृह मंत्रालय के निरीक्षण में ‘एक खतरा मूल्यांकन कंपनी इमरान खान की सुरक्षा से जुड़े मामलों की लगातार निगरानी कर रही है।’’
उसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा पुलिस के 36 कर्मियों और गिलगिट बाल्टिस्तान पुलिस के छह कर्मियों को संबंधित सरकारों ने खान की सुरक्षा के लिए तैनात किया है।
गृह मंत्रालय ने खान से ‘कोई भी खास सूचना’ देने का आह्वान किया है ताकि सुरक्षा के लिए और इंतजाम किया जा सके।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री होने के नाते अपनी जान पर किसी भी संभावित खतरे या अन्य विषयों के बारे में गृह मंत्रालय एवं अन्य संबंधित संगठनों को सूचित रखना खान की राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।’’
जियो टीवी की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रांतीय सरकारों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश भर में कहीं भी रैलियां करने के दौरान खान के लिए समुचित सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
रोचक बात यह है जहां गृह मंत्रालय खान के लिए सुरक्षा बढ़ाने का प्रयत्न कर रहा है वहीं गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह ने ट्वीट किया, ‘‘ यदि इमरान खान अपनी जान पर खतरे के बारे में सूचना नहीं देते है तो यह चर्चा भी अमेरिका साजिश की भांति ही एक राजनीतिक स्टंट समझी जाएगी । एक पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा अपनी जान पर खतरे को राजनीतिक स्टंट के रूप में इस्तेमाल करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक हो सकता है।’’
क्रिकेट से राजनीति में आये खान को पिछले महीने ही अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से हटाया गया था। उसके बाद खान ने कई शहरों में कई रैलियां की है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली नयी सरकार को अमेरिका की कथित शह पर थोपी गयी ‘गद्दारों एवं भ्रष्ट शासकों’ की सरकार बताया है।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने रविवार को चुनौती दी कि अगर खान कथित ‘‘हत्या की साजिश’’ का सबूत दिखा देते हैं तो सरकार उन्हें अभी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दी जा रही सुरक्षा से ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराएगी। (भाषा)
कोलंबो, 16 मई। श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) ने सोमवार को कहा कि वह देश के गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट से निपटने में मदद करने के लिए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली अंतरिम सर्वदलीय सरकार को सशर्त समर्थन देगी।
यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को बृहस्पतिवार को देश का 26वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले अपने समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और तभी से देश में कोई सरकार नहीं थी। महिंदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई हैं।
एसजेबी ने एक बयान में कहा, “एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के रूप में, समागी जन बलवेगया का मानना है कि देश को मौजूदा संकट से बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
उसने कहा, “उसी के अनुरूप, बिना कोई पोर्टफोलियो लिए और देश की भलाई की सोचते हुए एसजेबी ने आज अपनी संसदीय समूह चर्चा में आर्थिक सुधार के प्रयासों में वर्तमान सरकार का पूरा समर्थन करने का निर्णय लिया।”
समर्थन के लिये हालांकि कुछ शर्तें भी हैं।
उसने कहा, “अगर सरकारी समूह एसजेबी से पाला बदलने वालों को समायोजित करने की कोशिश करते हैं या एसजेबी सांसदों को पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ गतिविधियों के लिए अपने साथ जोड़ते हैं, तो संसदीय समूह ने बिना शर्त इस समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है।”
एसजेबी ने पूर्व में सर्वदलीय अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के तौर पर विक्रमसिंघे का समर्थन करने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके पास कोई जनादेश नहीं है क्योंकि वह 225 सदस्यीय संसद में अपनी पार्टी के एकमात्र प्रतिनिधि हैं।
पिछले हफ्ते अपनी नियुक्ति के बाद विक्रमसिंघे ने एसजेबी नेता सजित प्रेमदासा को पत्र लिखकर समर्थन का आग्रह किया था।
विक्रमसिंघ ने लिखा, “हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि श्रीलंका एक बड़े आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। इसमें कोई संशय कि हर दिन तीव्र हो रहे इस संकट को समाप्त करने और एक स्थिर अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए हम सभी को एकजुट होना चाहिए। हम सभी की अगली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, यह देखते हुए कि इस समय में किए गए हमारे काम इस देश का आगे का रास्ता तय करेंगे।”
एसजेबी के सशर्त समर्थन के बावजूद, विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में 21वें संशोधन पर अटॉर्नी जनरल के विभाग के साथ चर्चा की जाएगी ताकि इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में प्रस्तुत किया जा सके।
21वें संशोधन के 20ए को निष्प्रभावी करने की उम्मीद है, जिसने 19वें संशोधन को समाप्त करने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को निरंकुश शक्तियां प्रदान की थीं। 19वें संशोधन ने संसद को राष्ट्रपति पर शक्तिशाली बना दिया था।
विक्रमसिंघे ने ट्वीट किया था, “21वां संशोधन : इस पर कल (सोमवार) अटॉर्नी जनरल के विभाग के साथ चर्चा की जाएगी और फिर अनुमोदन के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।”
इसबीच विक्रमसिंघे ने रविवार को विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के प्रतिनिधियों के साथ देश के मौजूदा आर्थिक संकट को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों वित्तीय संस्थानों ने दवा, भोजन और उर्वरक जैसी आवश्यक वस्तुओं की खरीद में सहायता करने का वादा किया है।
गौरतलब है कि श्रीलंका 1948 में आजादी के बाद से अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। (भाषा)
इस्लामाबाद, 16 मई। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-ज़रदारी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से पैसे की भीख मांगेंगे ताकि वो सत्ता में वापस ना आ सकें. इमरान खान ने कहा कि बिलावल ब्लिंकेन को नाराज करने की जुर्रत नहीं कर सकते क्योंकि बिलावल और उनके पिता आसिल अली ज़रदारी ने दुनियाभर में अपनी संपत्ति छिपा रखी है.
न्यूज़ इंटरनेशनल के मुताबिक इमरान खान ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन इस तथ्य से अवगत हैं. बिलावल ब्लिंकेन को नाराज नहीं कर सकते हैं वर्ना वो सब कुछ खो देंगे.
इमरान खान ने कहा, "क्योंकि बिलावल की संपत्ति देश से बाहर इकठ्ठा, वो अमेरिका को नाराज नहीं कर सकते, वर्ना वो सब कुछ खो देंगे."
फैसलाबाद की रैली के दौरान इमरान खान ने बिलावल और उनके पिता आसिफ अली ज़रदारी पर भष्ट होने और अपनी काली कमाई को दुनिया में अलग-अलग जगह छिपाने का आरोप लगाया. इमरान खान ने अमेरिका पर भी निशाना साधा. इमरान खान ने कहा कि अमेरिका स्वार्थी है और अपना हित देखे बिना किसी देश की मदद नहीं करता. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत पर हुक्म चलाने का जुर्रत नहीं कर सकता क्योंकि वो एक स्वतंत्र देश है.
अमेरिका का गुलाम पाकिस्तान!
मीडिया पोर्टल के मुताबिक इमरान खान ने कहा, "अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसपैठ किए बिना देश को अपना गुलाम बना लिया है. पाकिस्तान के लोग कभी भी एक आयातित सरकार को नहीं अपनाएंगे."
इसके अलावा, फैज़लाबाद जलसे में भीड़ को संबोधित करते हुए, इमरान खान ने यह भी कहा कि अगर उन्हें कुछ भी होता है तो पाकिस्तान उनके लिए इंसाफ मांगेगा. इमरान खान का यह बयान उनकी सियालकोट की रैली में आया जहां उन्होंने कहा कि उन्हें मारने की साजिश हो रही है और उन्होंने एक वीडियो रिकॉर्ड किया है जिसमें इस साजिश में शामिल लोगों के नाम हैं. सियालकोट रैली में पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर उन्हें कुछ भी होता है तो यह वीडियो सार्वजनिक किया जाएगा.
इमरान खान की अगली सार्वजनिक सभाएं 16 मई को स्वाबी में, 17 मई को कोहाट में और 19 मई को चकवाल में और 20 मई को मुल्तान में होनी हैं. (ndtv.com)
दुबई, 16 मई। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के इंतकाल के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को देश की राजधानी पहुंच रहा है।
प्रतिनिधिमंडल शेख खलीफा बिन जायेद अल नाहयान के निधन पर शोक व्यक्त करने के साथ ही, यूएई के नए राष्ट्रपति एवं अबू धाबी के नए हुक्मरान शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान से भी मुलाकात करेगा। शेख मोहम्मद दिवंगत शेख खलीफा के सौतेले भाई हैं। उनका शुक्रवार को इंतकाल हो गया था। वह लंबे वक्त से बीमार थे।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में हैरिस के अलावा विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स और जलवायु दूत जॉन किर्बी शामिल हैं।
गौरतलब है कि शेख मोहम्मद लंबे वक्त से शासन चला रहे थे और उन्होंने देश की विदेश नीति को आकार दिया है, क्योंकि शेख खलीफा को करीब 10 साल पहले मस्तिष्क आघात हुआ था और तब से ही वह बीमार थे।
शेख खलीफा के निधन के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन दुख जताने के लिए सप्ताहांत पर अबू धाबी पहुंचने वाले शुरुआती यूरोपीय नेता थे।
अबू धाबी के लिए रवाना होने से पहले हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से शेख खलीफा के निधन पर शोक व्यक्त करने और यूएई के साथ अमेरिका के अहम रिश्तों को मजबूत करने के लिए जा रही हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा “अमेरिका यूएई के साथ हमारे संबंधों और साझेदारी की मजबूती को काफी गंभीरता से लेता है। हम वहां अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए जा रहे हैं।”
भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शेख खलीफा के निधन पर रविवार को भारत की ओर से शोक व्यक्त किया। नायडू ने कहा कि भारत और उसके लोग इस मुश्किल समय में यूएई के साथ खड़े हैं। (एपी)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेहत को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं. इस बीच एक पूर्व ब्रिटिश जासूस ने दावा किया है कि पुतिन गंभीर रूप से बीमार है. जबकि एक रूसी कुलिन की रिकॉर्ड की गई बातचीत में उसे यह कहते हुए सुना गया है कि पुतिन को ब्लड कैंसर है.
रूसी नेता के करीबी संबंधों वाले एक कुलीन को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया है कि "पुतिन ब्लड कैंसर से बहुत बीमार हैं". एक अमेरिकी पत्रिका न्यू लाइन्स द्वारा प्राप्त एक रिकॉर्डिंग में, अज्ञात कुलीन को पश्चिमी पूंजीपति के साथ पुतिन के स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए सुना गया था.
यूक्रेन युद्ध के बाद से ही लग रही हैं पुतिन की सेहत को लेकर अटकलें
यूक्रेन युद्ध के बाद से रूसी राष्ट्रपति के स्वास्थ्य के बारे में अटकलें तेज हो गईं क्योंकि वह पिछले सप्ताह विजय दिवस समारोह सहित अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में कमजोर दिखाई दिए.
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो में, पुतिन ने अपने पैरों पर घने हरे रंग का कवर लपेटा हुआ था, जब वह मास्को के रेड स्क्वायर में एक सैन्य परेड देखने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गजों और वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों के बीच बैठे थे. इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लैक बॉम्बर जैकेट में पुतिन को खांसते हुए भी देखा गया था और वह अपने समूह के एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें अपेक्षाकृत हल्के 9-डिग्री सेल्सियस मौसम से निपटने के लिए अतिरिक्त कवरिंग की आवश्यकता थी.
‘पुतिन ने कुछ समय पहले करवाई अपनी पीठ की सर्जरी’
रूसी कुलीन ने रिकॉर्डिंग में कहा कि यूक्रेन पर हमले का आदेश देने से कुछ समय पहले पुतिन ने अपने ब्लड कैंसर से जुड़ी अपनी पीठ की सर्जरी करवाई. उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति "पागल" हो गए हैं.
कुलीन ने कहा, "हम सभी को उम्मीद है कि पुतिन मर जाएंगे. उन्होंने रूस की अर्थव्यवस्था, यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया समस्या उसके सिर के साथ है. एक पागल आदमी दुनिया को उल्टा कर सकता है." न्यू लाइन्स मैगैनाइज की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी व्यवसायी ने कुलीन का नाम गुप्त रखा है क्योंकि बिना उसकी अनुमति के बातचीत रिकॉर्ड की गई थी.
ब्रिटिश जासूस का दावा
इस बीच एक ब्रिटिश जासूस ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन "गंभीर रूप से बीमार" हैं और यह यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है, उसका एक "तत्व" है. उन्होंने कहा, "यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं है कि यह बीमारी क्या है - चाहे वह लाइलाज हो या टर्मिनल, या जो भी हो. लेकिन निश्चित रूप से, मुझे लगता है कि यह समीकरण का हिस्सा है." क्रिस्टोफर स्टील, जिन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प पर एक डोजियर लिखा और 2016 के अमेरिकी चुनाव अभियान में रूसी हस्तक्षेप का आरोप लगाया, ने स्काई न्यूज को बताया, "निश्चित रूप से, जो हम रूस और अन्य जगहों के स्रोतों से सुन रहे हैं, वह यह है कि पुतिन वास्तव में काफी गंभीर रूप से बीमार हैं."
इस बीच यूक्रेन के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने भी दावा किया है कि क्रेमलिन नेता को कैंसर और अन्य बीमारियां हैं. उन्होंने स्काई न्यूज को बताया कि पुतिन "बहुत खराब मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्थिति में हैं और वह बहुत बीमार हैं." (abplive.com)
पाकिस्तान के पेशावर में स्थित सरबंद इलाक़े में सिख समुदाय के दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
ये दोनों ही लोग सरबंद के बाटा ताल बाज़ार में मसाले की दुकान चलाते थे. अज्ञात हमलावरों ने 42 साल के सरजीत सिंह और 38 साल के रणजीत सिंह पर गोलिया बरसाईं और दोनों की ही मौके पर ही मौत हो गई.
इस मामले में अज्ञात हमलावरों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ कर ली गई है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा है कि दोषियों को ज़ल्द से ज़ल्द ग़िरफ्तार किया जाना चाहिए.
बिलावल भुट्टो की तरफ़ से जारी एक बयान में कहा गया है, ''किसी को भी देश में अलग-अलग धर्मों के बीच सद्भाव बिगाड़ने और राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने नहीं दिया जाएगा. हम सभी समुदायों की पार्टी हैं, सिख समुदाय को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा.''
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सिख समुदाय के लोगों की हत्या पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, "ख़ैबरपख़्तूनख़्वाह के पेशावर में हमारे सिख नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा करता हूं. पाकिस्तान पर उसके सभी शहरियों का हक़ है. तथ्यों की पड़ताल के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं. क़ातिलों को गिरफ़्तार किया जाएगा और उन्हें ऐसी सज़ा दी जाएगी, जो दूसरों के लिए नज़ीर बनेगी. शोकसंतप्त परिजनों को मेरी संवेदनाएं."(bbc.com)
पेशावर. पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी शहर पेशावर में अज्ञात हमलावरों ने सिख समुदाय के दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. मारे गए लोगों की पहचान कुलजीत सिंह (42) और रंजीत सिंह (38) के रूप में हुई है. स्थानीय पुलिस ने कहा कि ये दोनों दुकानदार थे जो सरबंद इलाके के बाटा ताल बाजार में मसाले बेचते थे. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जाता रहा है. इसमें हिंदू और सिख दोनों शामिल हैं.
हमलावर बाइक पर सवार हो कर आए थे. गोली मारते ही दोनों फरार हो गए. अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. सोशल मीडिया पर इस हमले के कई वीडियो वायरल हो रहे है. ये ऐसे वीडियो हैं जो किसी को भी विचलित कर सकती है. दुकान पर डेड बॉडी पड़ी है. और चारों तरफ खून ही खून दिख रहे हैं.
किसी ने नहीं ली है ज़िम्मेदारी
खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने हमले की कड़ी निंदा की है और पुलिस को दोषियों की गिरफ्तारी के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है. उन्होंने घटना को अंतर्धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश करार देते हुए कहा कि मृतकों के परिवारों को न्याय दिलाया जाएगा. पुलिस मौके पर पहुंची और अपराधियों को पकड़ने के लिए इलाके को घेर लिया. किसी ने भी तत्काल इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
निशाने पर अल्पसंख्यक
पेशावर में पिछले आठ महीने में सिख समुदाय पर इस तरह का ये दूसरा हमला है. पिछले साल सितंबर में पेशावर में एक प्रसिद्ध सिख ‘हकीम’ की अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पेशावर में लगभग 15,000 सिख रहते हैं. ज्यादातर प्रांतीय राजधानी के पड़ोस जोगन शाह में है. पेशावर में सिख समुदाय के अधिकतर सदस्य व्यवसाय से जुड़े हैं, जबकि कुछ फार्मेसियां भी चलाते हैं.
कायराना हरकत
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है. एसजीपीसी के अध्यक्ष अधिवक्ता एस. हरजिंदर सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यकों की इस तरह की हत्याएं पूरी दुनिया और खास कर सिखों के लिए बेहद चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, ‘हम पेशावर, खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान में दो सिखों की कायरतापूर्ण हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं. दोनों देशों की सरकारों को पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक सिखों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.’
भुट्टो ने की हत्या की निंदा
विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने पेशावर में सिख नागरिकों की हत्या की निंदा और चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा है कि सिख नागरिकों की हत्याओं में शामिल आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि किसी को भी धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. (भाषा इनपुट के साथ) (news18.com)
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दिवंगत राष्ट्रपति शेख ख़लीफ़ा बिन ज़ाएद अल नाह्यान को श्रद्धांजलि देने के लिए दुनिया भर के नेता और अधिकारी पहुँच रहे हैं.
यूएई के दूसरे राष्ट्रपति का शुक्रवार को निधन हुआ था. इसके बाद शनिवार को शेख मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान को उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था.
यूएई की यात्रा का एलान करने वाले शीर्ष नेताओं में फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी शामिल हैं. मैक्रों रविवार को यूएई पहुँचेंगे. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी रविवार को श्रद्धांजलि देने यूएई जाएंगे.
उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की अगुवाई में अमेरिकी अधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल भी यूएई जाएंगी. हैरिस यहां यूएई के नए राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन ज़ाएद अल नाह्यान से भी मुलाक़ात करेंगी.
इसके साथ ही जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह द्वितीय, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल सीसी, ट्यूनिशियाई राष्ट्रपति कैस सईद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मोहम्मद शहबाज़ शरीफ़, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलीह ने भी यूएई की यात्रा का एलान किया है.
तीन नवंबर, 2004 से यूएई के राष्ट्रपति और अबु धाबी के शासक रहे शेख़ ख़लीफ़ा का 73 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.(bbc.com)
न्यूयॉर्क में हुई गोलीबारी में दस लोग मारे गए हैं, जिसकी जांच नस्लीय रूप से प्रेरित हेट-क्राइम के रूप में की जा रही है.
न्यूयॉर्क के बफ़ैलो में हुई इस गोलीबारी की घटना में एक 18 साल के लड़के को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि पुलिस ने उसका नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किया है.
शनिवार दोपहर को संदिग्ध व्यक्ति व्यस्त सुपरमार्केट में घुस गया और फ़ायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने कहा है कि इस हमले को उसने कैमरे के ज़रिए ऑनलाइन स्ट्रीम किया.
एफबीआई ने गोलीबारी की इस घटना को 'हिंसक उग्रवाद' बताया है.
एफ़बीआई के बफ़ैलो कार्यालय के एजेंट प्रभारी स्टीफ़न बेलोंगिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम इस घटना की जांच हेट-क्राइम और नस्लीय रूप से प्रेरित हिंसक चरमपंथ के मामले के रूप में कर रहे हैं."
बफ़ैलो पुलिस आयुक्त जोसेफ ग्रैमाग्लिया ने बताया है कि 13 लोगों को गोली मार दी गई और मरने वालों में अधिकांश लोग काले हैं.
घटना में तीन घायल लोग सुपरमार्केट में काम करते थे, जिन्हें जानलेवा चोटें नहीं आई हैं.
सुपरमार्केट में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम कर रहे एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने संदिग्ध को गोली मारने की कोशिश की, लेकिन इस हमले में वो मारे गए.
एरी काउंटी के ज़िला अटॉर्नी जॉन फ्लिन ने कहा कि संदिग्ध को फर्स्ट-डिग्री मर्डर का अभियुक्त बनाया गया है, और शनिवार को उसे अदालत में पेश किया जाएगा.
न्यूज़ चैनल सीबीएस से बात करते हुए, एक पुलिस सूत्र ने दावा कि है हमलावर व्यक्ति ने हमले के दौरान नस्लीय अपशब्द का इस्तेमाल किया था.
बफ़ेलो के मेयर बायरन ब्राउन ने कहा है, "यह एक बेहद बुरे सपने जैसा है और कोई भी समुदाय इसका निशाना बन सकता है. मैं दुख हूं और मुझमें बेहद गुस्सा है."
"हम इन नफ़रती लोगों को खुद को बांटने नहीं दे सकते"
हमले के चश्मदीद ग्रैडी लेविस ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्होंने उस व्यक्ति को गोली मारते हुए देखा.
उन्होंने कहा, "मैंने देखा कि आदमी सेना के जवान की तरह अंदर जाता है, थोड़ा झुकता है और लोगों पर ताबड़तोड़ गोली चलाने लगता है."
हमले के दौरान सुपमार्केट में काम कर रही शोनेल हैरिस ने बफ़ेलो न्यूज़ को बताया कि जब वो पीछे के दरवाज़े से जान बचाकर इमारत बाहर भाग रही थी तो उन्होंने 70 से ज्यादा गोलियां चलने की आवाज सुनीं.
वह कहती हैं, "वीकेंड के कारण सुपरमार्केट भरा हुआ था, ये बेहद डरावना था."
हमले के बाद के बारे में बताते हुए एक पुलिस अधिकारी ने बफ़ेलो न्यूज़ को बताया, "यह एक डरावनी फिल्म जैसा था लेकिन दुखद ये है कि ये सब कुछ सच में आंखों के सामने हो रहा था."
शनिवार को न्यूयॉर्क के गवर्नर कैथी होचुल ने कहा कि संदिग्ध एक " गोरा वर्चस्ववादी था जो आतंकवाद के काम में शामिल था."
उन्होंने कहा, "ये हमला आर्मी की शैली में किया गया और निशाना वो लोगो बने जो घरों से बाहर घर का सामान खरीदने आए थे."
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा, " इस घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को यह दुख सहने की शक्ति मिले राष्ट्रपति और प्रथम महिला की यही प्रार्थना है." (bbc.com)
बफेलो (अमेरिका), 15 मई। सेना की वर्दी पहने 18 वर्षीय श्वेत युवक ने अमेरिका के बफेलो शहर के एक सुपरमार्केट में शनिवार को राइफल से अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने इसे ‘नस्ली भावना से प्रेरित हिंसक चरमपंथ’ करार दिया है।
उन्होंने बताया कि हमलावर ने ढाल के तौर पर कवच धारण कर रखा था। उसने एक हेलमेट भी पहन रखा था, जिस पर लगे कैमरे से उसने घटना का सीधा प्रसारण किया।
खबरों के मुताबिक, हमलावर ने टॉप्स फ्रेंडली मार्केट में ज्यादातर अश्वेत खरीदारों और कर्मचारियों को निशाना बनाया। कम से कम दो मिनट तक उसने स्ट्रीमिंग मंच ‘ट्विच’ पर गोलीबारी का प्रसारण किया। हालांकि, इस मंच ने तुरंत ही उसका प्रसारण रोक दिया।
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने से पहले हमलावर ने 11 अश्वेत और दो श्वेत लोगों को गोली मारी। बाद में वह एक न्यायाधीश के समक्ष पेश हुआ और उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
गवर्नर कैथी होचुल ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करती हूं कि यह शख्स, यह श्वेत वर्चस्ववादी, जिसने एक निर्दोष समुदाय के खिलाफ घृणा अपराध को अंजाम दिया है, वह अपनी बाकी की पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे काटेगा।’’
हमलावर की पहचान दक्षिण-पूर्वी बफेलो से करीब 320 किलोमीटर दूर स्थित न्यूयॉर्क के कॉन्क्लिन निवासी पैटन गेंड्रोन के रूप में की गई है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह हमले को अंजाम देने के लिए गेंड्रोन कॉन्क्लिन से बफेलो क्यों आया। सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में उसे अपनी कार से सुपरमार्केट पहुंचते देखा जा सकता है।
बफेलो के पुलिस आयुक्त जोसेफ ग्रामाग्लिया ने बताया कि हमलावर ने स्टोर के बाहर चार लोगों को गोली मारी। जवाब में स्टोर के अंदर एक सुरक्षाकर्मी ने कई गोलियां चलाईं और एक गोली बंदूकधारी की बुलेटप्रूफ जैकेट पर लगी, जिसका उस पर कोई असर नहीं पड़ा। यह सुरक्षाकर्मी बफेलो पुलिस का सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी है।
आयुक्त के अनुसार, इसके बाद हमलावर ने सुरक्षाकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी और स्टोर में अन्य लोगों पर गोलियां बरसाने लगा।
बफेलो के मेयर बायरन ब्राउन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह किसी भी समुदाय के लिए सबसे बुरे सपनों में से एक है और हम अभी बेहद आहत हैं। पीड़ितों के परिजन और हम सभी अभी जो दर्द महसूस कर रहे हैं, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।’’
खबरों के मुताबिक, पुलिस ने स्टोर में पहुंचकर हमलावर का सामना किया। ग्रामाग्लिया ने कहा, ‘‘उस वक्त हमलावर ने अपनी ही गर्दन पर राइफल तान दी थी। इसके बाद दो अधिकारियों ने उससे राइफल नीचे रखने के लिए कहा।’’
इससे पहले, एक संवाददाता सम्मेलन में एरी काउंटी के शेरिफ जॉन गार्सिया ने गोलीबारी को ‘घृणा अपराध’ बताया था। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से शत्रुतापूर्ण कृत्य है। यह हमारे समुदाय से बाहर के किसी व्यक्ति का नस्ली भावना से प्रेरित घृणा अपराध है।’’
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में कोलोराडो के बोल्डर के किंग सूपर्स ग्रॉसरी में हुए इसी तरह के एक हमले में 10 लोगों की मौत हो गई थी।
इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन घटना और इससे संबंधित जांच पर नियमित जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने और प्रथम महिला जिल बाइडन ने पीड़ितों और उनके परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। (एपी)
ऑस्ट्रेलिया के जाने माने क्रिकेट ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई है.
साइमंड्स की कार शनिवार की रात क्वींसलैंड के टाउन्सविले में दुर्घटनाग्रस्त हो गई.
वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के सदस्य रह चुके साइमंड्स 46 साल के थे.
2008 की भारत-ऑस्ट्रेलिया सिरीज़ के दौरान क्रिकेटर हरभजन सिंह और साइमंड्स की मैदान में ही झड़प हो गई थी. इसके बाद से साइमंड्स भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के बीच खासे चर्चित रहे.
साइमंड्स ऑस्ट्रेलिया के लिए 198 वनडे खेले और उस टीम के अहम सदस्य थे जिसने बग़ैर एक भी मैच गंवाए 2003 और 2007 में लगातार दो बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया.
एंड्रयू साइमंड्स को 2003 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ शतक के साथ ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाने के लिए विशेष तौर पर याद किया जाएगा.
दाएं हाथ के बल्लेबाज़ साइमंड्स ने 26 टेस्ट मैचों में भी ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व किया. भारत और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ उन्होंने टेस्ट शतक भी बनाए.
साइमंड्स ऑस्ट्रेलियाई टीम में ऑफ़-ब्रेक और मिडियम पेस गेंदबाज़ी के भी अच्छे विकल्प थे.
मैदान में अपनी शानदार फील्डिंग की बदौलत साइमंड्स की गिनती रिकी पॉन्टिंग और माइकल क्लार्क सरीखे दिग्गज क्रिकेटरों के साथ होती थी.
विश्व क्रिकेट ने हाल ही के दिनों में एंड्रयू साइमंड्स के रूप में अपने युग के दूसरे बड़े क्रिकेटर को खोया है.
इसी साल मार्च के महीने में दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न की मौत हो गई थी. उससे ठीक पहले विकेटकीपर रॉड मार्श की भी मौत हो गई थी. (bbc.com)
उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैलता दिख रहा है और अब यहां के नेता किम जोंग उन ने तेजी से बढ़ते संक्रमण को बड़ी आपदा करार दिया है.
उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने ये जानकारी दी है कि शनिवार को किम जोंग उन ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और संक्रमण से निपटने के लिए कोशिशों को और तेज करने की बात कही है.
किम जोंग उन का ये बयान और बैठक की जानकारी ऐसे समय सामने आई है जब गुरुवार को पहले कोरोना केस की आधिकारिक पुष्टि की गई. हालांकि, विशेषज्ञ ये मानते हैं कि कोरोना वायरस कुछ समय से उत्तर कोरिया में फैल रहा है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि बढ़ते संक्रमण के गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं.
दरअसल, उत्तर कोरिया की 2.5 करोड़ की आबादी वैक्सीनेशन प्रोग्राम की कमी और ख़राब हेल्थकेयर सिस्टम की वजह से कोरोना की चपेट में आ सकता है. शनिवार को सरकारी मीडिया ने बताया कि हाल के हफ्तों में क़रीब 5 लाख रहस्यमयी बुखार के मामले सामने आए हैं. टेस्टिंग की पर्याप्त सुविधा नहीं होने की वजह से बहुत सारे ऐसे केस में कोविड की पुष्टि नहीं हो सकी है.
केसीएनए न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, किम जोंग उन ने नौकरशाही और चिकत्सकीय अक्षमता को इस संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया है और सुझाव दिया है कि देश को चीन जैसे पड़ोसी देशों से सबक लेना चाहिए. सरकारी मीडिया के मुताबिक़, बुखार की वजह से अप्रैल में अबतक 27 लोगों की मौत हो चुकी है. (bbc.com)
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख़ खलीफ़ा बिन ज़ायेद अल नहयान के निधन के एक दिन बाद शनिवार को शेख़ मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नहयान को राष्ट्रपति चुन लिया गया है.
न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने आधिकारिक मीडिया के हवाले से ये जानकारी दी है.
फेडरल सुप्रीम काउंसिल ने ये नियुक्ति की है, इससे पहले शेख़ मोहम्मद ने फेडरल सुप्रीम काउंसिल के सदस्यों से मुलाकात की थी.
शेख़ मोहम्मद संयुक्त अरब अमीरात के संस्थापक राष्ट्रपति शेख़ ज़ायेद बिन सुल्तान अल नहयान के तीसरे बेटे हैं और शेख़ खलीफ़ा के सौतेले भाई हैं.
ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें ही देश की बागडोर सौंपी जाएगी.
शेख़ मोहम्मद को ऐसे नेता के तौर पर देखा जाता है जो मध्य-पूर्व में तेजी से उभरे हैं. इसराइल के साथ यूएई के संबंधों को मजबूत करने और सऊदी अरब के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखने में उनका अहम योगदान रहा है. (bbc.com)
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के एक लड़के से मिलने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इस वीडियो में लड़का ख़ासा भावुक है जिसके बाद इमरान ख़ान लड़के के कुर्ते पर ऑटोग्राफ़ दे रहे हैं.
दरअसल, इस लड़के से इमरान ख़ान की मुलाक़ात एक वायरल वीडियो के बाद हो पाई है. इसके बाद इस मुलाक़ात का वीडियो भी वायरल हो रहा है.
हाल ही में एबटाबाद की एक रैली में अबू बकर नामक लड़का पीटीआई के चेयरमैन इमरान ख़ान से मुलाक़ात करना चाहता था लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया जिसके बाद उसका एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो रो रहा था और कह रहा था कि वो इमरान ख़ान से मिलकर रहेगा.
इसके बाद गुरुवार को अबू बकर ने इमरान ख़ान के आवास पर उनसे मुलाक़ात की. इस मुलाक़ात के दौरान भी अबू बकर भावुक हो गए. इस घटना का वीडियो इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई ने ट्वीट किया है.
इस दौरान अबू बकर ने इमरान ख़ान को एक अंगूठी भी दी. अबू बकर ने इमरान ख़ान को बताया कि वो नौवीं क्लास के छात्र हैं.
इमरान ख़ान ने अबू बकर को चुप कराते हुए कहा कि 'जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हें बड़े काम करने हैं, रोने की ज़रूरत नहीं है.'
पीटीआई ने ट्वीट में लिखा है, "मोहम्मद अबू बकर ख़ान मरवत लक्की मरवत से एबटाबाद जलसे में शिरकत के लिए ख़ासतौर पर आया था. बनी गाला में इमरान ख़ान ने उसके जज़्बे को देखते हुए बुलाया और इमरान ख़ान साहब से मुलाक़ात हुई और ऑटोग्राफ़ दिया."
पुतिन ने शहबाज़ शरीफ़ से ऐसा क्या कहा कि इमरान ख़ान आए निशाने पर
पाकिस्तानी सांसद आमिर लियाक़त पर 31 साल छोटी उनकी पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप
मुलाक़ात के बाद अबू बकर ने कहा
इमरान ख़ान से मुलाक़ात के बाद का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें अबू बकर रो रहे हैं.
रोते हुए अबू बकर कह रहे हैं कि उन्होंने इमरान ख़ान से मुलाक़ात की है और उन्हें बहुत अच्छा लगा है.
वो अपने कुर्ते को दिखाते हुए कह रहे हैं कि इमरान ख़ान ने उन्हें ऑटोग्राफ़ दिया है.
सोशल मीडिया पर आलोचना भी
एक ओर जहां सोशल मीडिया पर लोग अबू बकर की इमरान ख़ान से मुलाक़ात की तारीफ़ कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अबू बकर को मनोचिकित्सक के पास ले जाने को कह रहे हैं.
पाकिस्तान के पत्रकार ख़ुर्रम शहज़ाद ने ट्वीट किया है कि इस लड़के को मनोचिकित्सक की ज़रूरत है.
वो लिखते हैं, "इस बच्चे को मनोचिकित्सक की ज़रूरत है. भावनाओं को काबू करने के लिए इलाज की ज़रूरत है. किसी को चाहना ठीक है लेकिन भावनात्मक रूप से ढह जाने का मतलब है कि आप मानसिक रूप से कमज़ोर हैं."
इलहान उमर: जिनके पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर जाने पर भारत ने जताया विरोध
शहबाज़ शरीफ़ कब तक रह पाएँगे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री?
वहीं काज़िम हुसैन चन्ना नामक एक शख़्स ट्वीट करते हैं कि 'इस लड़के को अपनी भावनाओं को काबू पाने के लिए मनोचिकित्सक की ज़रूरत है.'
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत से यूज़र हैं जो इस मुलाक़ात की तारीफ़ कर रहे हैं.
अल्ताफ़ अब्बास नामक एक यूज़र लिखते हैं कि यह सोशल मीडिया की ताक़त को दिखाता है.
पाकिस्तान में ट्विटर पर अबू बकर नाम से अब तक साढ़े 14 हज़ार से अधिक ट्वीट किए जा चुके हैं. (bbc.com)
नूर सुल्तान. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स एक इमारत की 8वीं मंजिल पर फंसे बच्चे को रेस्क्यू करता नजर आ रहा है. वीडियो कजाकिस्तान का बताया जा रहा. वीडियो में देखा जा सकता है कि इमारत की खिड़की पर एक छोटे बच्चे को झूलता देख शख्स ने बच्चे को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी. बच्चे को बचाने वाले व्यक्ति की पहचान 37 वर्षीय सबित शोंतकबाएव के रूप में हुई है. वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर हर कोई सबित की तारीफ कर रहा है.
घटनास्थल पर मौजूद एक सोशल मीडिया यूजर ने यह वीडियो शेयर किया है. वीडियो के साथ कैप्शन पर लिखा है कि सबित एक दोस्त के साथ जा रहे थे, तभी उन्होंने इमारत के पास भीड़ देखी, वहां हंगामा हो रहा था. तभी उन्होंने एक बिल्डिंग की 8वीं मंजिल की खिड़की पर एक बच्चे को लटका हुआ देखा, वह जल्दी से सातवीं मंजिल पर पहुंचे और बच्चे को बचा लिया. वीडियो में वह बिना किसी झिझक या हेलमेट के तीन साल की बच्ची को बचाने के लिए खिड़की से बाहर चढ़ता हुए दिखाई दे रहे हैं.
सोशल मीडिया पर देश के आपातकालीन स्थिति विभाग ने लिखा है कि सुबह 10 बजे के आसपास उन्हें सूचना मिली थी कि एक बच्चा नूर-सुल्तान की डाला स्ट्रीट स्थित एक इमारत की खिड़की पर लटका हुआ है. इसके बाद सात कर्मियों और उपकरणों की 2 यूनिट को घटनास्थल पर भेजा गया था. वहां पहुंचने पर पता चला कि एक व्यक्ति ने आठवीं मंजिल पर लटके एक बच्चे को बचाया. (news18.com)
कोलंबो. गहरे आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को भारत ने 65,000 टन यूरिया की तत्काल आपूर्ति का भरोसा दिलाया है, जिसका इस्तेमाल धान की खेती में किया जाएगा. स्थानीय मीडिया में शनिवार को प्रकाशित खबरों के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित श्रीलंकाई उच्चायुक्त मिलिंदा मोरागोडा ने गत बृहस्पतिवार को उर्वरक सचिव राजेश कुमार चतुर्वेदी के साथ मुलाकात में उर्वरक का मुद्दा उठाया. इस दौरान चतुर्वेदी ने उन्हें भरोसा दिलाया कि भारत जल्द ही श्रीलंका को 65,000 टन यूरिया की आपूर्ति करेगा.
श्रीलंका के उच्चायोग ने एक संदेश में इस मदद के लिए भारत को धन्यवाद देते हुए कहा कि फसलों के चालू ‘याला’ सत्र के लिए यूरिया की आपूर्ति करने का फैसला भारत ने आपूर्ति पर लगाई पाबंदी के बावजूद लिया है. इसके पीछे श्रीलंका को धान की खेती वाले याला सत्र में तत्काल मदद पहुंचाने का उद्देश्य है.
इस कदम के लिए श्रीलंकाई उच्चायुक्त ने चतुर्वेदी के प्रति आभार जताया तो उर्वरक सचिव ने कहा कि यह फैसला ‘पड़ोसी पहले’ की भारतीय नीति के अनुरूप है. चतुर्वेदी ने कहा कि यूरिया की इस खेप को जल्द-से-जल्द श्रीलंका पहुंचाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इस बैठक में दोनों ही अधिकारियों ने भारत की तरफ से श्रीलंका को दी गई ऋण-सुविधा के तहत रासायनिक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के तौर-तरीकों पर चर्चा की.
श्रीलंका में संकट गहराते जाने के साथ ही भारत गत जनवरी से अब तक करीब तीन अरब डॉलर का कर्ज, ऋण-सुविधा एवं ऋण अदला-बदली सुविधा दे चुका है. श्रीलंका की सरकार ने ऑर्गेनिक खेती की तरफ कदम बढ़ाने के लिए पिछले साल रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया था. इसकी वजह से चावल एवं चाय जैसी कृषि उपज पर गहरा असर पड़ा था. (news18.com)
नई दिल्ली, 14 मई । संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का शुक्रवार को निधन हो गया था, जिसके बाद राष्ट्रपति की कुर्सी खाली हो गई थी. अब शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयानUAE के अगले राष्ट्रपति होंगे. 13 मई को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक हिज हाइनेस शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का निधन हो गया था.
संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मामलों के मंत्रालय ने राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का निधन पर दुख व्यक्त करते हुए 40 दिनों का शोक रखने की घोषणा की है. इसके अलावा सभी मंत्रालयों और प्राइवेट सेक्टर में तीन दिन तक कामकाज बंद रहेगा.
वहीं आज दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में आज भारत में एक दिन का राजकीय शोक है. संदेश के अनुसार, एक दिन के राजकीय शोक के दौरान, सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया और मनोरंजन का भी कोई आधिकारिक कार्यक्रम आज नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख खलीफा बिन जायद अल नाह्यान के निधन पर शुक्रवार को शोक जताया और कहा कि उनके नेतृत्व में भारत और यूएई के संबंध समृद्ध हुए. नाह्यान का शुक्रवार को निधन हो गया. वह 73 साल के थे. शेख खलीफा तीन नवंबर 2004 से यूएई के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक के रूप में सेवाएं दे रहे थे. (abplive.com)
लंदन: ब्रिटेन के एक रोजगार न्यायाधिकरण ने कहा है कि कार्यस्थल पर किसी व्यक्ति को गंजा कहना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है. न्यायाधीश जोनाथन ब्रेन नीत तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण को यह फैसला करना था कि किसी व्यक्ति के कम बाल होने का जिक्र करना अपमान है या यह उत्पीड़न के समान है.
टोनी फिन नामक एक व्यक्ति ने वेस्ट यॉर्कशायर स्थित ब्रिटिश बंग कंपनी के खिलाफ अनुचित बर्खास्तगी और यौन भेदभाव का आरोप लगाया था. फिन को पिछले साल मई में कंपनी से निकाल दिया गया था. फिन ने कंपनी में 24 साल तक इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम किया था.
न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा, ‘हमारे फैसले में एक ओर ‘गंजा’ शब्द और दूसरी ओर सेक्स की संरक्षित विशेषता के बीच संबंध है.’ न्यायाधिकरण ने स्वीकार किया कि ब्रिटिश बंग कंपनी लिमिटेड की ओर से पेश वकील की यह दलील उचित है कि महिलाओं के साथ पुरुष भी गंजे हो सकते हैं. फैसले में कहा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में गंजापन अधिक देखा जाता है और हम इसे स्वाभाविक रूप से सेक्स से संबंधित पाते हैं.
इस मामले की सुनवाई फरवरी और अप्रैल में उत्तरी इंग्लैंड के शेफील्ड में हुई थी. इस सप्ताह की शुरुआत में यौन उत्पीड़न, अनुचित और गलत तरीके से बर्खास्तगी के फिन के दावों को बरकरार रखा गया. फिन को मिलने वाले मुआवजे के संबंध में फैसला करने के लिए भविष्य में कोई तारीख निर्धारित की जाएगी.
बता दें कि, गंजापन भी दुनिया के कई देशों में पुरुषों में तेजी से बढ़ती एक समस्या है. यह अब सामाजिक समस्या और भेदभाव के तौर पर भी देखी जाने लगी है. गंजेपन के शिकार लोगों को अक्सर निराश करने वाली टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है. (news18.com)
काबुल. अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने इस देश की सूरत बदल दी है. पूरे अफगानिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई पर पाबंदी लगी है. उन्हें बुर्के में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वहीं इससे उलट तालिबान की हिप्पोक्रेसी भी सामने आई है. एक ओर तालिबानी राज में जहां अफगानी बहू-बेटियों पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं दी है. दूसरी ओर, तालिबानी नेता अपनी बेटियों को विदेशों में पढ़ा रहे हैं. उन्हें मेडिकल-इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे देशों में भेजा गया है. इसका कबूलनाना खुद तालिबान के मुख्य प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने किया है.
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता सुहैल शाहीन मीडिया के सामने आकर अफगानिस्तान की महिलाओं पर लगने वाली नई नई पाबंदियों का ऐलान करते हैं. उन्होंने स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध के बावजूद उनकी बेटियां स्कूल जाती हैं. उन्होंने टीवी एंकर पियर्स मॉर्गन के टॉक टीवी पर नए शो में यह खुलासा किया है.
सुहैल शाहीन के इस खुलासे के बाद तालिबान की हिप्पोक्रेसी जाहिर होती है कि एक तरह वो अफगानिस्तान की तमाम लड़कियों को इस्लामी आदेश के नाम पर मुर्ख बनाकर रखना चाहता है, लेकिन यही तालिबानी नेता अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखा रहे हैं, ताकि उनकी तरक्की हो सके.
टीवी एंकर पीयर्स मॉर्गन अनसेंसर्ड द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए शो की एक क्लिप के मुताबिक, मॉर्गन ने तालिबान के प्रवक्ता से पूछा था कि क्या उनकी बेटियों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति दी गई है. जिसके जवाब में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा, ‘हां बिल्कु्ल. वे हिजाब में दिख रही हैं और इसका मतलब है कि हमने अपने लोगों के लिए कड़े नियम नहीं बनाए हैं.’ टीवी शो में तनावपूर्ण बातचीत के दौरान पीयर्स मॉर्गन ने तालिबान के मुख्य प्रवक्ता और बड़े नेता सुहैल शाहीन को कहा, ‘आपकी बेटियों को शिक्षा मिलती है क्योंकि वे वही करती हैं जो आप उन्हें बताते हैं’. आपको
दोहा में पढ़ती है सुहैल शाहीन की बेटियां
बता दें, सुहैल शाहीन की दो बेटियां हैं और दोनों कतर की राजधानी दोहा में पढ़ाई करती हैं. इतना ही नहीं, जिस स्कूल में सुहैल शाहीन की बेटियां पढ़ती हैं, उसमें लड़कियां फुटबॉल तक खेलती हैं. लड़कियों को अलग अलग तरह की शिक्षा दी जाती है.
इन नेताओं की बेटियां भी विदेशों में ले रहीं तालीम
एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के दो दर्जन से अधिक शीर्ष नेता अपनी बेटियों को दोहा, पेशावर और कराची के स्कूलों में शिक्षा दे रहे हैं. इन नेताओं में स्वास्थ्य मंत्री कलंदर एबाद, उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई और प्रवक्ता सुहैल शाहीन शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर तालिबान को बताया पाखंडी
सोशल मीडिया यूजर्स ने क्लिप पर प्रतिक्रिया देते हुए तालिबान को पाखंडी करार दिया है. एक ट्विटर यूजर ने कहा, ‘इस आदमी की बेटियां हिजाब पहनती हैं, और शिक्षा प्राप्त करती हैं. इस शख्स की एक बेटी कतरी फुटबॉल टीम में खेलती है और इस शख्स की एक बेटी का बॉयफ्रेंड भी है. लेकिन, अफगान लड़कियों के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है और उनकी पढ़ाई-लिखाई बंद करवा दी गई है, और वे खेल नहीं खेल सकतीं’.
वहीं, एक और ट्विटर यूजर ने कहा, ‘तालिबान अपने बच्चों को स्कूल जाने और दूसरों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है.’ तालिबान के पिछले वादों के बावजूद अफगानिस्तान में स्कूल अभी भी लड़कियों के लिए फिर से नहीं खोले गए हैं कि वे अपनी शिक्षा फिर से शुरू कर पाएंगे. (news18.com)
लंदन। कोरोना की मार से ब्रिटेन उबर नहीं पा रहा है। लिहाजा, सरकारी खर्चों में कटौती करने के लिए ब्रिटेश सरकार करीब 91 लाख सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने जा रही है। इस लिहाज से ब्रिटेन में हर पांच सरकारी कर्मचारियों में से एक की नौकरी चली जाएगी।
ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने भी डेली मेल अखबार को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि हमें जीवन यापन की लागत को कम करने के लिए सरकारी खर्च को कम करना होगा।
बोरिस जॉनसन ने यह भी कहा कि कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि करीब 91 हजार सरकारी नौकरियों को खत्म करना होगा। इसका मतलब है कि ब्रिटेन में करीब 20 फीसदी सरकारी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। इससे सालाना 3.5 अरब ब्रिटिश पाउंड की बचत होगी।
ब्रिटेन सरकार के वरिष्ठ मंत्री जैकब रीस-मोग के मुताबिक यह कार्रवाई सरकारी खर्च को कम करने के मकसद से की जा रही है। जैकब रीस-मोग ने कहा- सुनने में अजीब लगता है, लेकिन सरकारी नौकरियां उतनी ही पहुंच रही हैं, जितनी साल 2016 में थीं।
गौरतलब है कि ब्रिटेन सरकार कोरोना के बाद से ही अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश में लगी हुई है। सरकार का कहना है कि कोरोना काल में अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और सरकार जो भी कदम उठा रही है वह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए है। जैकब रीस-मोग ने कहा कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद भी लोग घर से काम कर रहे हैं।
जैकब रीस-मोग के अनुसार, हर साल 38,000 लोग सरकारी नौकरियों से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में सही होगा कि सरकारी नौकरियों में होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी जाए। (cinanews.in)
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने अपना दूतावास 17 मई से कीव में फिर से खोलने का फैसला किया है. रूसी हमलों के दौरान 13 मार्च को भारत ने अपना दूतावास अस्थाई रूप से वारसा (पोलैंड) में स्थानांतरित कर दिया था. विदेश मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी कि आगामी 17 मई से भारत एक बार फिर से यूक्रेन की राजधानी कीव में अपने दूतावास का परिचालन शुरू करेगा.
कीव में दूतावास का परिचालन फिर से शुरू करने का निर्णय कई पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन की राजधानी में अपना मिशन दोबारा खोलने के फैसले के बीच आया है. यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान के बाद युद्धग्रस्त देश में तेजी से खराब होते हालात के मद्देनजर भारत ने कीव से दूतावास को पोलैंड स्थानांतरित करने का निर्णय किया था .
रूसी सैनिकों ने मारियुपोल में सबसे ज्यादा हमले किए
आपको बता दें कि राजधानी कीव के बाहरी इलाकों में रूसी सैनिक लगातार गोलाबारी कर रहे थे. उस समय उस इलाके में रूस के आक्रमण से मारियुपोल सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. 430,000 आबादी वाले शहर में लोगों का जीना मुहाल हो गया था. पूरे इलाके में रूसी सैनिकों की गोलीबारी की वजह से स्थानीय लोगों को मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम होना पड़ा था. रूसी सैनिकों के हमले में मारियुपोल में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे और शवों को सामूहिक कब्रों में दफनाने के प्रयास भी गोलाबारी के कारण बाधित हो रहे थे.
जेलेंस्की ने रूस पर देश को तोड़ने का आरोप लगाया था
इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस पर उनके देश को तोड़ने और ‘‘आतंक के एक नए चरण’’ को शुरू करने और मारियुपोल के पश्चिम में एक शहर के महापौर को हिरासत में लेने का आरोप लगाया था. यूक्रेन के राष्ट्रपति वालोदिमीर जेलेंस्की ने जारी किया था वीडियो. इस वीडियो में संबोधन के दौरान कहा, ‘‘वे मारियुपोल पर 24 घंटे बमबारी कर रहे हैं, मिसाइलें दाग रहे हैं. यह नफरत है. वे बच्चों को मार रहे हैं.’’ (abplive.com)