स्थायी स्तंभ
अलार्मिंग है सत्ता पक्ष के लिए
विधानसभा में मतविभाजन के दौरान कभी भी सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन फ्लोर मैनेजमेंट तो करना होगा। एनी टाइम, कम से कम विपक्ष (35 )से एक दो अधिक विधायक सदन में रखने ही होंगे। क्योंकि मायावी महंत के साथ अनुभवी बघेल हैं,कब वोटिंग मांग ले पता नहीं। हम ऐसा इसलिए कह रहे कल ऐसा ही कुछ हुआ। मंडी संशोधन विधेयक के पारण पर नेता प्रतिपक्ष ने वोटिंग मांग ली। विधेयक 47 के मुकाबले 27 से पारित हो गया। सत्ता पक्ष से 7 और विपक्ष से 8 कम थे। हर समय सदन में मौजूद रहने की ताकीद के बाद भी विधायकों की अनुपस्थिति दोनों खासकर सत्ता पक्ष के लिए अलार्मिंग है। एक दो चलता है, एक साथ 6-7 अनुपस्थित। यह सचेतक और संसदीय कार्य मंत्री के लिए सचेत रहने की स्थिति है। वैसे विधायकों की अनुपस्थिति के लिए कोई नाराजगी, विरोध जैसे कारण नहीं थे। खासकर सत्ता पक्ष में। दोनों ओर से सभी विधायक विधानसभा परिसर में ही मौजूद थे। बस वोटिंग के लिए नहीं पहुंच पाए। वोटिंग से पहले सदन के सभी दरवाजे जिन्हें लॉबी डोर कहते हैं बंद कर दिए जाते हैं। ताकि कोई दूसरा न घुस सके। वही हुआ और दोनों पक्षों के 15 विधायक वोट नहीं कर सके। वैसे फ्लोर मैनेजर के लिए यह स्थिति भी ठीक नहीं। उम्मीद है शीत सत्र से सभी चौकन्ने रहेंगे।
सीईसी के लिए सुझाव
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त का पद दो साल से खाली है। इस पद पर नियुक्ति के लिए सिफारिशें आ रही हैं, लेकिन सरकार ने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है। इन सबके बीच राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पाण्डेय ने सीएम विष्णुदेव साय से मिलकर एक अलग ही मांग की है। उन्होंने कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर किसी नौकरशाह की जगह न्यायिक सेवा, अथवा किसी सीनियर वकील को नियुक्त किया जाना चाहिए।
सूचना आयोग के गठन के बाद तीनों मुख्य सूचना आयुक्त नौकरशाह ही रहे हैं। सबसे पहले पूर्व सीएम एके विजयवर्गीय मुख्य सूचना आयुक्त बनाए गए। इसके बाद रिटायर्ड एसीएस सरजियस मिंज को मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया। फिर एसीएस एमके राऊत के रिटायर होने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त का दायित्व सौंपा गया। राऊत का कार्यकाल खत्म होने के बाद से अब तक पद खाली पड़ा है।
वीरेन्द्र पाण्डेय ने सीएम से कहा कि सूचना के ज्यादातर मामले नौकरशाहों से जुड़े रहते हैं। ऐसे में कई बार नौकरशाह सूचना देने की राह में रोड़ा बन जाते हैं। सरकार, वीरेन्द्र पाण्डेय के सुझावों पर क्या फैसला करती है यह देखना है।
पेपर जांचने वालों के नाम लीक?
सीजी पीएससी 2021-22 की जांच अभी शुरू ही हुई है कि सन् 2023 में लिए गए एग्जाम की गोपनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है। कुछ सोशल मीडिया समूहों में कुछ टीचर्स के नाम, उनके मोबाइल फोन नंबर के साथ वायरल हो रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इनको मेंस एग्जाम के पेपर जांचने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि उच्च-शिक्षा विभाग विषय विशेषज्ञों की सूची जारी करता है लेकिन उसमें यह स्पष्ट नहीं होता कि इनमें से किसी को पेपर जांचने के काम में लगाया जाएगा। यदि वायरल हो रही सूची सही है तो परीक्षा परिणाम के किस तरह से हेराफेरी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार ने यूपीएससी परीक्षाओं की तर्ज पर सीजीपीएससी परीक्षा को भी दुरुस्त करने का ऐलान किया है लेकिन उसकी कोई नीति अभी सामने नहीं आई है।
बारिश में उड़ान जारी
इसे हवाई सेवाओं को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं का असर कहें, या लगातार चल रहे आंदोलन का, मगर इस बार लगातार बारिश के बावजूद बिलासपुर एयरपोर्ट से लैंडिंग और टेकऑफ जारी है। इसके पहले थोड़ी सी बारिश में फ्लाइट कैंसिल कर दी जाती थी। ठंड के मौसम में कोहरे और गर्मी में तापमान का हवाला देते हुए भी ऐसा ही किया जाता रहा है।
- 26 जुलाई : आसमान से बरसी आफत, किसी के सपने बह गए किसी के अपने
- नयी दिल्ली, 26 जुलाई। जून का महीना खत्म होते-होते देश के तमाम हिस्सों में बारिश की टिप-टिप सुनाई देने लगती है और जुलाई में सावन अपने शबाब पर होता है, लेकिन 2005 में 26 जुलाई के दिन बादलों से बारिश नहीं बल्कि आफत बरसी।
- देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई हिस्से बारिश के इस सितम का शिकार हुए। जो जहां था वहीं थम गया, जिसने कुदरत के इस कहर से मुकाबला करने की कोशिश की, उसे मौत ने लील लिया। लोग कई दिनों तक अपने घरों, दफ्तरों, फैक्टरियों और रेलवे स्टेशनों पर फंसे रहे। स्कूल कॉलेज बंद करने पड़े और राज्य को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा।
- मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार उस दिन महाराष्ट्र में कुल 944 मिमी. (37.17 इंच) बारिश हुई। वर्षा जनित घटनाओं में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई और इस तेज रफ्तार महानगर को दोबारा अपनी चाल पर वापस लौटने में कई हफ्ते लगे।
- देश दुनिया के इतिहास में 26 जुलाई की तारीख पर दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1844: भारत के प्रमुख शिक्षाविद् गुरुदास बनर्जी का जन्म।
- 1876 : कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन की स्थापना।
- 1945 : विंस्टन चर्चिल ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
- 1951 : नीदरलैंड ने जर्मनी के साथ युद्ध खत्म किया।
- 1953 : कम्युनिस्ट क्रांतिकारी फ़िदेल कास्त्रो के नेतृत्व में क्यूबा की क्रांति की शुरूआत।
- 1956 : मिस्र ने स्वेज नहर पर कब्ज़ा किया।
- 1965 : मालदीव ब्रिटेन के कब्जे से स्वतंत्र हुआ।
- 1974 : फ्रांस ने मुरूओरा द्वीप में परमाणु परीक्षण किया।
- 1997 : श्रीलंका ने क्रिकेट एशिया कप जीता।
- 1998 : महानतम महिला एथलीट जैकी जायनर कर्सी ने एथलेटिक्स से सन्यास लिया।
- 2002 : इंडोनेशिया की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति सुहातों के पुत्र को 15 वर्ष कारावास की सज़ा सुनायी।
- 2005 : मुंबई में अभूतपूर्व बरसात से जनजीवन ठप्प, एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत।
- 2005 : नासा शटल डिस्कवरी का प्रक्षेपण।
- 2007 : पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति सम्पन्न क्रूज मिसाइल बाबर हत्फ़-7 का सफल परीक्षण किया।
- 2008 : यूरोपीय वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के बाहर एक और नये ग्रह की खोज की।
- 2008 : गुजरात के अहमदाबाद शहर में 21 धमाके, 56 लोग मारे गए और 200 से ज्यादा जख्मी।
- 2012 : सीरिया में हिंसक घटनाओं में एक दिन में करीब 200 लोगों की मौत।
- 2013 : पाकिस्तान के पराचिनार में बम विस्फोट, 57 मरे। भाषा
ट्रांसफर की धुकधुकी
विधानसभा का सत्र कल निपटते ही ट्रांसफर की धुकधुकी बढ़ जाएगी। सत्ता पक्ष के निशाने में रहे कई एसपी-कलेक्टर से लेकर अपर कलेक्टर और एडिशनल एसपी भी हटाए जाएंगे। इनमें से कई अधिकारी ऐसे थे, जो तबादला रुकवाने में कामयाब हो गए थे, लेकिन अब जाना पड़ सकता है। पिछले सप्ताह तीन आईएएस के तबादले कर सरकार ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। वैसे कुछ अधिकारी तो नगरीय निकाय चुनाव तक के लिए अभयदान ले चुके हैं। बाकी का जाना लेकिन तय है। सीएम हाउस के सूत्र बताते हैं कि नीति आयोग की बैठक से लौटने के बाद अगले सप्ताह पहली लिस्ट आ सकती है। नहीं निकली तो फिर स्वतंत्रता दिवस आयोजन के बाद तय माना जा रहा है । तब तक तो धकधक करते रहेंगे अफसर।
रेल फंड पर चुनावी तडक़ा
केंद्रीय रेल मंत्री ने कल वीडियो कांफ्रेंस के जरिये कई चरणों में पत्रकार वार्ताएं लीं। इसमें सबसे अलग हटकर बात यह थी कि वे केंद्रीय बजट में रेलवे के मद से राज्यवार आवंटित राशि का ब्यौरा दे रहे थे। इसके पहले किस रेलवे जोन को कितना मिला, यही बताया जाता है। जब बजट का डिटेल आता है तब भी जोन को आवंटित राशि का आंकड़ा उसमें होता है। देश में कुल 18 रेलवे जोन मुख्यालय हैं। कोलकाता मेट्रो रेल को भी अलग जोन बना दिया है, उस हिसाब से 19 जोन होते हैं। उसके और भीतर जाएं तो मंडल (डिवीजन), जो देश में कुल 70 हैं, को कितना आवंटित किया गया है, उसका विवरण होता है। पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यों के हिसाब से ब्योरा दिया। हिंदी बेल्ट के राज्यों की मीडिया से बात करते हुए उन्होंने शुरुआत महाराष्ट्र से की और झारखंड का भी प्रमुखता से जिक्र किया। महाराष्ट्र को लेकर उन्होंने साफ बताया कि वहां मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 15 हजार 940 करोड़ रुपये बजट में दिए हैं। यह यूपीए सरकार के, 1171 करोड़ के मुकाबले 13.5 गुना अधिक है। शिंदे की सरकार जब से आई है, रेलवे को राज्य से बड़ा सहयोग मिल रहा है। ध्यान देने की बात है कि इन दोनों राज्यों में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। कुछ अफसरों ने बताया, जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उनमें रेलवे कितना खर्च कर रही है, यह बताने के लिए बाकी राज्यों का भी आंकड़ा अलग किया गया। जैसे छत्तीसगढ़ के बारे में यह बताया गया कि इस राज्य को 6900 करोड़ रुपये मिले। पर बिलासपुर रेलवे जोन में कुछ हिस्से ओडिशा और महाराष्ट्र के स्टेशन भी आते हैं। उन्हें मिलाकर यह रकम मंजूर राशि 7800 करोड़ हो जाती है।
प्रकृति की शक्ति और सुंदरता
सावन के मौसम में बस्तर का तीरथगढ़ वॉटरफॉल पूरी तरह से ओवरफ्लो हो गया है। लगातार बारिश के कारण जलप्रपात के पास जाने वाली लकड़ी की पुलिया भी डूब चुकी है। बारहों महीने दर्शनीय तीरथगढ़ वॉटरफॉल इस समय अपने पूरे वैभव पर है।
- 25 जुलाई : पहले टेस्ट ट्यूब शिशु का जन्म
- नयी दिल्ली, 25 जुलाई। दुनिया के इतिहास में 25 जुलाई की तारीख पर विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि दर्ज है। दरअसल इसी दिन पहले टेस्ट ट्यूब शिशु का जन्म हुआ था। इंग्लैंड के ओल्डहैम शहर में 1978 में दुनिया के पहले आईवीएफ शिशु लुई ब्राउन का जन्म हुआ। लगभग ढाई किलोग्राम वजन के लुई ब्राउन आधी रात के बाद सरकारी अस्पताल में पैदा हुए।
- यह प्रणाली दुनियाभर के नि:संतान दंपतियों के लिए एक वरदान साबित हुई और लुई के जन्म की खबर फैलते ही अकेले ब्रिटेन के ही लगभग 5000 दंपति ने इस नयी प्रणाली के जरिए संतान प्राप्त करने की इच्छा जाहिर की। आज यह पद्धति भारत सहित दुनियाभर में प्रचलित है और हर दिन हजारों महिलाएं इसके जरिए गर्भ धारण कर रही हैं। यह जान लेना दिलचस्प होगा कि इसके बाद आईवीएफ तकनीक की सफलता की याद में हर साल आईवीएफ तकनीक से जन्मे लुई जॉय ब्राउन के जन्मदिन यानी 25 जुलाई को वर्ल्ड एंब्रियोलॉजिस्ट डे के रूप में मनाया जाता है।
- देश-दुनिया के इतिहास में 25 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1689 : फ्रांस ने इंग्लैंड के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
- 1813 : भारत में पहली बार नौका दौड़ प्रतियोगिता कलकत्ता में आयोजित।
- 1837 : इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ के इस्तेमाल का पहली बार सफलतापूर्वक प्रदर्शन।
- 1943 : इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने सत्ता छोड़ी, जिसके बाद राजा विक्टर इमैनुएल ने मार्शल पायत्रो बादोग्लिओ को नया प्रधानमंत्री बनाया।
- 1948 : आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भारतीय टीम के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल कर रिकॉर्ड बनाया।
- 1963 : अमेरिका, रूस और ब्रिटेन ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए।
- 1978 : दुनिया के पहले आईवीएफ शिशु लुई ब्राउन का इंग्लैंड के ओल्डहैम शहर में जन्म।
- 1994 : जॉर्डन और इजरायल के बीच 46 वर्ष से चल रहा युद्ध समाप्त।
- 2000 : एयर फ्रांस का एक कॉनकार्ड विमान उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त होकर एक होटल पर गिरा। हादसे में 109 विमान यात्रियों के अलावा होटल में मौजूद चार लोग भी जान गंवा बैठे।
- 2007 : प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भारत की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। (भाषा)
अपने-परायों दोनों से दर्द
विधानसभा में कांग्रेस आक्रामक है। टक्कर का संख्या बल भी है और मुद्दे भी हैं। यह शुरुआत है। जैसे-जैसे साल बीतते जाएंगे, यह आक्रामकता बढ़ती जाएगी। एकतरफा नहीं, दो तरफा। मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले भाजपा के कुछ विधायक भी भरे बैठे हैं। अपनों से नाराजगी नहीं, लेकिन सिस्टम से नाराजगी है। कांग्रेस ने जो सिस्टम तैयार किया था, वही जारी है। कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बदलाव नजर नहीं आ रहा। नए नवेले मंत्री संतुष्ट भी नहीं कर पा रहे हैं। सदन में संतोषजनक जवाब नहीं आएगा तो अपने भी अब विपक्ष की तरह सवाल पूछने लगे हैं, मंत्री तो मंत्री सीएम तक अपने नहीं रहे इनके लिए, यह दो दिनों में ही देख चुके हैं।
सूना-सूना सा सदन
बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा से एक युग का अंत हो गया। सरकार और विपक्ष दोनों में ही बृजमोहन की आवाज की धमक सुनाई देती थी। पिछले कार्यकाल में जब भाजपा के पास सिर्फ 14 विधायक थे, तब ओपनिंग बैट्समैन बृजमोहन ही होते थे। संसदीय ज्ञान, परंपरा के साथ फ्लोर मैनेजमेंट के माहिर। इस बार फ्लोर मैनेजमेंट की जिम्मेदारी केदार कश्यप के पास है। उनके लिए यह बड़ी चुनौती रहेगी क्योंकि बृजमोहन अपने दल के ही नहीं दूसरे दल को भी साधकर चलने वाले नेता थे।
मुसाफिरों की जेब में हाथ, फिर भी...
रेल बजट, जो कभी आम बजट से एक दिन पहले आता था, अब सिर्फ बीते समय की बात बनकर रह गया है। कभी लोग इस बात का बेसब्री से इंतजार करते थे कि उनके राज्य को कौन-सी नई ट्रेन मिलेगी, मुसाफिरों के लिए कौन-कौन सी रियायतें दी जाएगी। कमोबेश रेल मंत्री का जलवा वित्त मंत्री के बराबर होता था। लेकिन अब रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया है, और इसके प्रावधानों की अलग से चर्चा नहीं होती।
फिर भी, हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। रेलवे ने पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में माल भाड़े से एक लाख 69,000 करोड़ रुपए कमाए, और यात्रियों से 73,000 करोड़ रुपए। यह रेलवे के कुल राजस्व का लगभग 43.20 प्रतिशत है। अगले साल यात्रियों से 80,000 करोड़ रुपए और माल भाड़े से 1 लाख 80,000 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। अगले साल यात्रियों का योगदान 44.44 प्रतिशत होगा।
यानी कि, यात्रियों से होने वाली आमदनी बढ़ेगी और माल भाड़े से होने वाली घटेगी। अब, लोक कल्याणकारी राज्य की भावना के विपरीत, रेलवे की टिकट पर लिखा होता है कि आपकी यात्रा का 49त्न खर्चा रेलवे वहन करता है। इसे पढक़र यात्री अपने आपको दोषी महसूस करता है, जैसे कि उसकी यात्रा रेलवे पर कोई बोझ हो।
लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि रेलवे जो माल का परिवहन करती है, उसके उपभोक्ता भी हम ही हैं। कोयला, सीमेंट, पेट्रोल, राशन समुद्र में तो नहीं फेंका जाता। अगर हम-आप इसकी खपत नहीं करेंगे, तो यह परिवहन कैसे होगा?
तो क्या रेलवे से यह उम्मीद कर सकते हैं कि टिकट पर ऐसा लिखें, हमारा 43-44 प्रतिशत राजस्व आप सम्मानित यात्रियों से आता है। आपकी आरामदायक और सुरक्षित यात्रा हमारी जिम्मेदारी है।
काम नहीं करवाना, रिकॉर्डिंग करनी थी
भाजपा नेता और वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक का एक कथित ऑडियो कांग्रेस के कुछ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में एक व्यक्ति, जो खुद को भाजपा का कार्यकर्ता बताता है, अपनी समस्या बताते हुए उनसे नाराजगी के साथ बात कर रहा है।
ऑडियो में कार्यकर्ता शिकायत करता है कि उसके बच्चे का एडमिशन स्कूल में नहीं हो रहा है, और इस समस्या से परेशान होकर वह कांग्रेस में जाने की धमकी देता है। वह शिकायत करता है, कार्यकर्ता का काम नहीं होता, इसीलिए भाजपा हार जाती है। जिस पर कौशिक बार-बार उसे आकर मिलने को कहते हैं, लेकिन वह आने तैयार नहीं होता, ज़ाहिर तौर पर वह बातचीत रिकॉर्ड करते हुए उकसाते हुए दिखता है।
ऐसे में उसकी धमकी पर कौशिक झल्लाकर जवाब देते हैं, चले जाओ कांग्रेस में। ऐसे कार्यकर्ता की जरूरत भी नहीं। कौशिक ने उसे समस्या लेकर घर आने को कहा, लेकिन कार्यकर्ता कहता है, दो बार गया, आप नहीं मिले। कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर बातचीत डाल देने की धमकी भी दी, कौशिक ने कहा कर दो, उसने ऐसा कर भी दिया। बातचीत में गर्मी बढ़ रही थी, शायद इसे भांपकर कौशिक ने फोन रख दिया। पर कांग्रेस के लिए यह पर्याप्त था कि कौशिक ने किसी को कांग्रेस में चले जाने की सलाह दे दी। वायरल ऑडियो में कौशिक की झल्लाहट तो है, पर वाकये में सनसनी का अभाव है।
- 24 जुलाई : एस विजयलक्ष्मी शतरंज की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बनीं
- नयी दिल्ली, 24 जुलाई। शह और मात के खेल शतरंज में अपने धैर्य से प्रतिद्वंद्वी को गलती करने पर मजबूर करने वाली एस विजयलक्ष्मी ने वर्ष 2000 में 24 जुलाई के दिन देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर होने का गौरव हासिल किया था।
- 25 मार्च 1979 को जन्मी विजयलक्ष्मी ने बड़ी कम उम्र से ही शतरंज के टूर्नामेंट जीतना शुरू कर दिया था। राष्ट्रीय खिताब के अलावा वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने फन का लोहा मनवाने में कामयाब रहीं और वर्ष 2000 में उन्हें देश की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव हासिल हुआ।
- देश-दुनिया के इतिहास में 24 जुलाई की तारीख पर दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1793 : फ्रांस ने कॉपीराइट कानून बनाया।
- 1823 : चिली में दास प्रथा समाप्त हुई।
- 1870 : अमेरिका में पहली रेल सेवा की शुरुआत।
- 1890 : सोवा बाजार क्लब ने पहली बार किसी इंग्लिश फुटबाल टीम (ईस्ट सरे) के खिलाफ जीत दर्ज की।
- 1911 : हैरम बेहन द्वारा माया सभ्यता के लुप्त शहर माचुपिच्चु को खोज निकाला गया।
- 1923 : लौसन की संधि। स्विट्जरलैंड में ग्रीस, बुल्गारिया और प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल अन्य देशों के बीच हुई इस संधि के द्वारा आधुनिक तुर्की की सीमाओं को व्यवस्थित किया गया।
- 1932 : रामकृष्ण मिशन सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना।
- 1937: दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार का जन्म।
- 1938 : इंस्टेंट काफी की खोज हुई।
- 1969 : अपोलो 11 अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर वापस लौटा।
- 1974 : अमेरिका की शीर्ष अदालत ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन को वाटरगेट मामले से जुड़े़ सभी टेप जांच एजेंसियों के हवाले करने का आदेश दिया।
- 1987 : मशहूर उपन्यासकार जेफ़री आर्चर ने डेली स्टार अखबार के खिलाफ लाखों पाउंड का मानहानि का मुक़दमा जीता।
- 1989 : लोकसभा में विपक्ष के लगभग सभी सदस्यों ने इस्तीफा दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
- 1999 : अमेरिकी अंतरिक्ष यान कोलंबिया का सफल प्रक्षेपण।
- 2000 : एस विजयलक्ष्मी शतरंज की पहली महिला ग्रैंडमास्टर बनी।
- 2005 : कोरियाई क्षेत्र को परमाणु हथियारों से मुक्त करने हेतु उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच आम सहमति बनी।
- 2014: एयर अल्जीरी की उड़ान संख्या 5017 के रवाना होने के 50 मिनट बाद इसका हवाई नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटा। माली में मिला विमान का मलबा। सभी 116 यात्रियों की मौत। (भाषा)
ईमानदार-गरीब चले
विधानसभा के बजट और मानसून सत्र के बीच की अवधि में पांच पूर्व विधायक गुजर गए। इनमें से चार पूर्व विधायक अमीन साय, मक़सूदन लाल चंद्राकर, अग्नि चंद्राकर और लक्ष्मी प्रसाद पटेल व अंतुराम कश्यप को श्रद्धांजलि दी गई। जबकि मनेन्द्रगढ़ के पूर्व विधायक विजय सिंह का 6 दिन पहले ही निधन हुआ है और इसकी सूचना विधानसभा सचिवालय तक नहीं पहुंची थी। इसलिए उन्हें सदन में श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकी।
साय और अंतुराम कश्यप की आर्थिक स्थिति का भी सदन में जिक्र हुआ। अमीन साय सरगुजा के सामरी से विधायक रहे हैं। वो एक ईमानदार नेता रहे हैं। जीवन पर्यंत वे गांव में खपरैल के मकान में रहे। कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने उन्हें याद करते हुए कहा कि अमीन साय को पता चला कि पूर्व विधायकों का पेंशन 20 हजार रूपया हो गया है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब तो एक लाख तक पहुंच गया है। कुल मिलाकर उनका गुजारा पेंशन से ही चलता था।
कुछ इसी तरह अंतुराम कश्यप भी रहे। हालांकि वो शिक्षक की नौकरी छोडक़र विधानसभा का चुनाव लड़े और उस वक्त के भाजपा के सबसे बड़े नेता बलीराम कश्यप को हराकर बस्तर से विधायक बने। अंतुराम कश्यप दो बार विधायक रहे लेेकिन वो अंतिम वक़्त तक बस्तर के ही अपने पैतृक मकान में रहे। उन्होंने राजनीति में आकर और नेताओं की तरह धन नहीं कमाया। कुछ इसी तरह मनेन्द्रगढ़ के आदिवासी विधायक विजय सिंह का भी जीवन रहा। विजय सिंह दो बार विधायक रहे। पंच से सरपंच, और जनपद अध्यक्ष बनने के बाद विधायक बने लेकिन वो अपनी ईमानदारी और सादगी की वजह से दूसरे समाजों में भी लोकप्रिय रहे। अब ऐसे ईमानदार नेताओं की कमी महसूस की जाने लगी है।
पहली बार में छाप छोड़ी सांसद ने
बस्तर के पहली बार के भाजपा सांसद महेश कश्यप ने अपने पहले ही भाषण में लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। कश्यप पंचायत प्रतिनिधि से सीधे सांसद बने हैं और लोकसभा में बजट सत्र के पहले दिन उन्हें दो मिनट बोलने का मौका मिला तो उन्होंने सीमित समय में काफी कुछ कह दिया।
महेश कश्यप ने बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार की मांग रखी। उन्होंने रावघाट रेल परियोजना को जगदलपुर तक ले जाने और रायपुर-धमतरी रेल लाइन को जगदलपुर से जोडऩे की मांग जोरदार तरीके से रखी। उन्होंने गीदम-बीजापुर नए रेल लाइन की भी मांग रखी। उन्होंने रेल मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया है। महेश कश्यप की मांग कितनी पूरी होती है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा। मगर उन्होंने पहले ही दिन अपनी अलग छाप छोड़ी है। इसकी पार्टी के भीतर काफी सराहना हो रही है।
गडकरी सब ठीक करेंगे
देश में सडक़ों का जाल बिछाने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की ख्याति ऐसी हो गई है कि उन्हें पीएम पद का दावेदार भी कहा जाने लगा है। इस बात पर यकीन करते हुए महासमुंद जिले के बंबूरडीह के सरपंच शत्रुघ्न चेलक ने सोचा कि अब तो सीधे दिल्ली जाकर गडकरी जी से ही बात करनी चाहिए। सरपंच ने जिला कलेक्टर और राज्य के मंत्रियों को ओवरलुक किया। दिल्ली में सरपंच की बात पर कौन ध्यान देता, तो उन्होंने गडकरी के निवास तक दो किलोमीटर तक जमीन पर लोटते हुए जाने का फैसला किया। जब वे गडकरी के ऑफिस पहुंचे, तो ज्ञापन सौंपकर कहा कि जब आप बड़े-बड़े हाईवे बना रहे हैं, तो मेरे गांव तक जाने वाले दो किलोमीटर लंबे पहुंच मार्ग को बनवाना तो मंत्री के लिए चुटकी का काम है। सरपंच बहुत उम्मीदों के साथ वापस लौटे हैं, अब देखना होगा कि गडकरी की चुटकी बजेगी या नहीं।
पुलिस अब चोर से कहेगी-स्माइल प्लीज
नए कानून लागू होते के बाद थानों में फिल्म की शूटिंग सा माहौल बन गया है। आईपीसी और सीआरपीसी की धाराएं तो जैसे पुलिस के दिमाग में छपी थीं, पर अब तीन नए कानूनों के नाम ठीक ठीक लेते नहीं बनता। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को संक्षेप में बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए कहकर याद रखने की जद्दोजहद चल रही है।
खासकर बीएसए के तहत 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले मामलों की वीडियो रिकॉर्डिंग के प्रावधान ने पुलिसवालों को कुछ ज्यादा ही एक्शन में ला दिया है। छत्तीसगढ़ के एक थाने में गांजा तस्कर पकड़ा गया। वीडियो रिकॉर्डिंग चालू होते ही वह चिल्लाने लगा- प्यासे मार रहे हो, खाना नहीं दिया। घर वालों को बुलाओ, वकील को बुलाओ, पीट रहे हो...। पुलिसवालों का माथा घूम गया। आखिरकार तस्कर को मान-मनौव्वल के बाद वीडियो के लिए तैयार किया गया। अब पुलिस के सामने मजबूरी है कि अपराधियों का नखरा सहे और कहे- शॉट रेडी... स्माइल प्लीज!
- 23 जुलाई : मुंबई से नियमित रेडियों प्रसारण की शुरुआत
- नयी दिल्ली, 23 जुलाई। देश में आज रेडियो और टेलीविजन चैनलों की भरमार है, लेकिन एक वक्त था, जब समाचार और मनोरंजन का एकमात्र साधन रेडियो और दूरदर्शन ही हुआ करते थे। आकाशवाणी की स्थापना 1927 में 23 जुलाई के दिन की गई थी और उस समय इस सेवा का नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इंडियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन) रखा गया था।
- देश में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में सन 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से की गई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और 1957 में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया।
- सरकारी प्रसारण संस्थाओं को स्वायत्तता देने के इरादे से 23 नवंबर 1997 को प्रसार भारती का गठन किया गया। प्रसार भारती, जिसे हम ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से भी जानते हैं, भारत की एक सार्वजनिक प्रसारण संस्था है। इसमें मुख्य रूप से दूरदर्शन एवं आकाशवाणी शामिल हैं।
- देश दुनिया के इतिहास में 23 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
- 1555 : सरहिंद में सिकन्दर सूरी को हराकर मुगल शासक हुमायूं दिल्ली पहुंचा।
- 1829 : अमेरिका के विलियम ऑस्टिन बर्ट ने टाइपोग्राफ का पेटेंट कराया, जिससे बाद में टाइपराइटर का विकास हुआ।
- 1877 : हवाई में पहली टेलीफोन और टेलीग्राफ लाईन बिछायी गयी।
- 1881 : अंतर्राष्ट्रीय जिम्नास्टिक संघ ने खेल परिसंघ की स्थापना की। यह विश्व का सबसे पुराना खेल परिसंघ है।
- 1903 : मोटर कंपनी फोर्ड ने अपनी पहली कार बेची।
- 1920 : ब्रिटेन के कब्जे वाले पूर्वी अफ्रीका का नामकरण केन्या किया गया और इसे ब्रिटिश उपनिवेश बना दिया गया.
- 1927 : बम्बई से रेडियो सेवा का नियमित प्रसारण शुरू हुआ।
- 1974 : यूनान में सैन्य शासन का अंत और पूर्व प्रधानमंत्री कौन्सटैनटिन कारमनालिस को दोबारा सत्ता संभालने का न्यौता दिया गया।
- 2001 : मेघावती सुकर्णोपुत्री इंडोनेशिया की राष्ट्रपति बनीं।
- 2005 : मिस्र के शर्म-अल-शेख के रिजॉर्ट में हुए बम धमाकों में 88 लोग मारे गए थे।
- 2012 : इराक में सिलसिलेवार हमलों में ।03 लोग मारे गए।
- 2019 : यूरोपीय संघ से अलग होने के मुद्दे पर ब्रिटेन में जारी राजनीतिक अनिश्चितता के बीच बोरिस जॉनसन देश के नए प्रधानमंत्री चुन लिए गए। भाषा
जब दो नेताओं ने पद बांट लिए
कल रायपुर शहर जिला भाजपा कार्यसमिति की विस्तारित बैठक थी। एकात्म परिसर खचाखच भरा था। सांसद, विधायक ,पदाधिकारी सभी मौजूद थे। सभी ने राजधानी की चारों विधानसभा और लोकसभा में भी चारों में रिकार्ड मतदान के साथ जीत पर कार्यकर्ताओं की पीठ ठोंकी। फिर लक्ष्य दिया निगम चुनाव का। रायपुर में दो निगम है, पुराना शहर और बीरगांव। अभी दोनों ही जगह कांग्रेस के मेयर हैं। इसे देखते हुए जमकर मेहनत करने और जीतने का संकल्प लिया गया ।
बैठक के बाद जब चाय को साथ चर्चा हो रही थी तब नेताओं ने अपने अपने लिए पद बांट लिए। एक दूसरे से कहा अभी खाली हैं, अपन दोनों में से कोई एक लड़ लेते हैं। इनमें से एक मिनिस्टर इन वेटिंग हैं तो एक वेटिंग एमएलए। यह देख सुन साथ खड़े कार्यकर्ताओं ने आंखे तरेर कर एक दूसरे से कहा, हां बांट लो... तुम्हीं लोग हर पद पर रहोगे। हम लोगों को तो बस आभार ही मिलेगा। दूसरे ने कहा-इस बार ऐसा नहीं चलेगा। अगली पीढ़ी को आगे आना है।
आरक्षण तक अटकी दावेदारी
नगरीय निकाय चुनावों के लिए प्रशासनिक तैयारियों में तेजी आ गई है, लेकिन दावेदारी की गतिविधियों में अभी भी ठहराव है। इसका मुख्य कारण आरक्षण प्रक्रिया है। लोकसभा और विधानसभा की तरह नगरीय निकायों में सीटों का आरक्षण पहले से निर्धारित नहीं होता। रायपुर नगर निगम तीन बार से सामान्य सीट है, जिनमें एक बार सन् 2014 में महिला सामान्य सीट थी। पिछली बार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव नहीं हुआ था। पिछले तीन चुनावों में क्रमश: किरणमयी नायक, सुनील सोनी, और एजाज ढेबर को मौका मिला।
ओबीसी के लिए आरक्षण का अलग प्रावधान केवल नगरीय निकायों में है, लेकिन इन्हें सामान्य सीटों में भी सफलता मिलती रही है। पिछले चुनाव में बिलासपुर में महापौर रामशरण यादव और जगदलपुर में सफीरा साहू चुने गए थे। पिछली बार दोनों बड़े नगर निगमों रायपुर, बिलासपुर में महापौर पद अनारक्षित थे। जगदलपुर सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। अनुसूचित जाति के लिए प्रदेश के 13 नगर निगमों में दो सीट आरक्षित हैं, जिनमें भिलाई-चरौदा और रायगढ़ को पिछली बार मौका मिला था। रायगढ़ महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। अनुसूचित जनजाति के लिए एक सीट आरक्षित थी, जो अंबिकापुर को मिली। इनमें हर बार की तरह इस बार भी बदलाव होना तय है।
हर पांच साल में आरक्षण की प्रक्रिया होने के कारण नगरीय निकायों में महापौर व अध्यक्ष पद पर काम करने वालों को अंत तक पता नहीं होता कि उन्हें दोबारा मौका मिलेगा या नहीं। इसी वजह से कई महापौर अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं होते। फिलहाल, जो लोग इन चुनावों में दावेदारी करना चाहते हैं, वे भी शांत बैठे हैं। स्थिति अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितंबर के पहले हफ्ते में ही स्पष्ट होगी, जब आरक्षण की पर्ची खुलेगी।
अपना नियाग्रा वाटरफॉल
बस्तर में इन दिनों नदी-नाले उफान पर हैं। कई पुलिया बह गई हैं, और बांध के कुछ हिस्से भी टूट गए हैं। मगर इस बारिश ने यहां के प्राकृतिक वैभव को और निखार दिया है। मंत्री केदार कश्यप ने अपने सोशल मीडिया पर जिला मुख्यालय से करीब 38 किलोमीटर दूर चित्रकोट जलप्रपात के विहंगम दृश्य का एक वीडियो शेयर किया है। चित्रकोट जलप्रपात, इस मौसम में अद्वितीय और मनोहारी दिख रहा है। बारिश की वजह से जलप्रपात का जलस्तर बढ़ गया है और यह अपने पूरे वैभव में बह रहा है। यहां की खूबसूरती न केवल स्थानीय निवासियों को बल्कि पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर रही है। ([email protected])
- 22 जुलाई : संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया
- नयी दिल्ली, 22 जुलाई। भारत की आजादी के इतिहास में 22 जुलाई की तारीख का एक खास महत्त्व है। यह दिन देश के राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ा है। दरअसल वह 22 जुलाई 1947 का दिन था, जब संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया था। देश को आजादी मिलने के कुछ समय पहले ही यह फैसला किया गया था कि भगवा, सफेद और हरे रंग से सजा तिरंगा देश का राष्ट्रीय ध्वज होगा।
- देश दुनिया के इतिहास में 22 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:-
- 1731 : स्पेन ने वियना संधि पर हस्ताक्षर किए।
- 1918 : भारत के पहले कुशल पायलट इन्द्रलाल राय प्रथम विश्वयुद्ध के समय लंदन में जर्मनी से हुई लड़ाई में मारे गए।
- 1947: संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अंगीकार किया
- 1969 : सोवियत संघ ने स्पूतनिक 50 और मोलनिया 112 संचार उपग्रहों का प्रक्षेपण किया।
- 1981 : भारत के पहले भूस्थिर उपग्रह एप्पल ने कार्य करना शुरू किया।
- 1988 : अमेरिका के 500 वैज्ञानिकों ने पेंटागन में जैविक हथियार बनाने के शोध का बहिष्कार करने की प्रतिज्ञा ली।
- 1999 : अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक की कार्य योजना लागू।
- 2001 : शेर बहादुर देउबा नेपाल के नये प्रधानमंत्री बने
- 2001 : समूह-आठ के देशों का जिनेवा में सम्मेलन सम्पन्न।
- 2003 : इराक में हवाई हमले में तानाशाह सद्दाम हुसैन के दो बेटे मारे गए।
- 2012 प्रणव मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित।
- 2019: श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण। (भाषा)
चैम्बर पर निगाहें
व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन चेम्बर ऑफ कामर्स के चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई है। चेम्बर में पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी की अगुवाई वाले एकता पैनल का दबदबा रहा है। लेकिन पिछले चुनाव में अमर पारवानी ने एकता पैनल का वर्चस्व खत्म कर दिया था। मगर इस बार लड़ाई पहले से ज्यादा संघर्षपूर्ण होने के आसार दिख रहे हैं।
श्रीचंद ने प्रत्याशी तय करने के लिए एक पंच कमेटी बनाई है। कमेटी की अनुशंसा के आधार पर प्रत्याशी तय किए जाएंगे। कुछ लोगों का अंदाजा है कि एकता पैनल से संघ पृष्ठभूमि के तरल मोदी अध्यक्ष प्रत्याशी हो सकते हैं। दूसरी तरफ, पारवानी के खिलाफ पिछले कुछ समय से व्यापारियों के एक तबके में नाराजगी रही है। लेकिन पारवानी नाराज व्यापारियों को फिर अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। पारवानी की व्यापारियों में पकड़ बरकरार है। ये अलग बात है कि वो खुद चुनाव लड़ेंगे या किसी को खड़ा करेंगे, यह साफ नहीं है। मगर व्यापारियों के इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की भी नजर टिकी है।
रितु सेन के नाम रिकार्ड
राज्य प्रशासन में विभागों की कमी नहीं है, 45 विभाग होते हैं । उस पर एक सुशासन विभाग और गठित कर दिया गया। इनके लिए आईएएस अफसर भी पर्याप्त हो गए हैं। तो कुछ डेपुटेशन से लौट रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने आईएफएस, आईपीएस अफसरों को भी बैक टू पवेलियन कर दिया है । उसके बाद भी एसीएस, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव स्वतंत्र प्रभार के रूप में एक दो या अधिक विभागों के प्रभार सम्हाल रहे हैं। और जो आ रहे उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा है। इस वेटिंग का रिकार्ड रितु सेन ने तोड़ दिया है । रितु ने इंतजार के दिनों का अर्धशतक पूरा कर लिया है। और न जाने कितने दिन करना होगा। वैसे तो वेटिंग लिस्ट वाली वह अकेली अफसर नहीं है।
शुरुआत पिछली सरकार में गौरव द्विवेदी से होती है। गौरव को 20दिनों बाद स्कूल शिक्षा दिया गया। बाद में वे सीएम के सचिव भी बनाए गए। इसी बीच आधा दर्जन अफसरों ने रायपुर से दिल्ली का रूख कर लिया। ये भी 23 में लौटने लगे तो पोस्टिंग के लिए वेट करना पड़ा।आते ही विभाग मिल गया हो ऐसा नहीं है, कारण जो भी हों।
पीएस सोनमणि बोरा को एक माह बाद विभाग मिला। एसीएस रिचा शर्मा को भी दो सप्ताह वेट करना पड़ा। और रितु के लिए तो रिकार्ड ही बन गया है। अब तो उनके पति डॉ. रोहित यादव भी आने वाले हैं। कहीं ऐसा तो नहीं दोनों को एक साथ पोस्टिंग देने का इंतजार किया जा रहा। वैसे पोस्टिंग के मामले में ड़ॉ. आलोक शुक्ला भाग्यशाली रहे, चुनाव आयोग से रिलीव होने से पहले ही रमन सरकार (2013-18 ) ने उन्हें स्वास्थ्य, खाद्य विभाग दिया था। लेकिनस वे विश्वास पर खरा नहीं उतर सके, और नान घोटाले में सरकार को फंसा गए।
छत्तीसगढ़ में यूसीसी लागू होगा?
छत्तीसगढ़ में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो पाएगी? भाजपा के प्रमुख एजेंडे में शामिल होने के बावजूद भाजपा शासित राज्यों में यह लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाया, उत्तराखंड को छोडक़र। वैसे, गोवा में यह 1961 से लागू है, लेकिन उत्तराखंड में ने इसे लोकसभा चुनाव के पहले लागू किया। लोकसभा चुनाव में उसे सभी सीटों पर जीत मिली। पर हाल के विधानसभा उप चुनाव में वह दोनों सीटें बद्रीनाथ व मेंगलोर हार गई। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों के बीच का समय तो इतना कम था कि यूसीसी लाने के लिए जगह ही नहीं बची। दिल्ली में डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने मीडिया के सामने बड़ा बयान दिया है कि छत्तीसगढ़ में यूसीसी जरूर लागू होगा। इससे ऐसा लगा कि विधानसभा में इसका प्रस्ताव आ सकता है। लेकिन, कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
उत्तराखंड तो एक कदम आगे बढ़ चुका है, यहां तक कि लिव-इन रिश्तों को भी दायरे में ले लिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में 33 प्रतिशत से अधिक आदिवासी आबादी है, जिनकी अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज हैं। यानी, यहां यूसीसी लागू करना आसान नहीं होगा। निकट भविष्य में कोई चुनाव भी नहीं है। अभी इस पर कोई ठोस कदम उठने के आसार नहीं दिखते।
ऊपरवाला चालान काटेगा...
अब तो ऊपरवाला भी चालान काटेगा! जी हां, कुछ शहरों में चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे और लाउड स्पीकर से यह व्यवस्था की गई है इनमें बिलासपुर भी शामिल है। लोगों को यह बताने के लिए बिलासपुर पुलिस ने एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया है, जिसे 10 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं। जैसे ही आप जेब्रा क्रॉसिंग पार करते हैं या रेड सिग्नल जम्प करते हैं, कैमरा आपकी हरकत को कैद करके कंट्रोल रूम भेज देता है। अब नया सिस्टम इतना स्मार्ट है कि कंट्रोल रूम से ही लाउड स्पीकर पर अनाउंस कर देगा – गाड़ी नंबर एक्सवाईजेड, आप जेब्रा क्रॉसिंग से पीछे हो जाएं वरना चालान कट जाएगा!
अब तक इस सिस्टम ने एक करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे के दिनों में लोग सुधरते हैं या ट्रैफिक पुलिस की आमदनी बढ़ती है। ([email protected])
पीएचई की बड़ी कार्रवाई के पीछे दिल्ली?
जल जीवन मिशन की कार्यों में लापरवाही बरतने पर आधा दर्जन ईई को निलंबित कर दिया गया। और चार ईई को नोटिस जारी किया गया है। एक साथ सीनियर अफसरों के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई पीएचई विभाग में पहली बार हुई है। इससे विभाग में हडक़ंप मच गया है। विभाग में कुछ को तो कार्रवाई होने का अंदाजा था लेकिन इतनी जल्दी कार्रवाई होगी, इसका अनुमान नहीं था।
दरअसल, सारी कार्रवाई के पीछे केन्द्रीय मंत्री सीआर पाटिल की भूमिका मानी जाती है जो कि केन्द्र सरकार में पीएचई मंत्रालय देख रहे हैं। जल जीवन मिशन के कार्यों की बारीक मानिटरिंग कर रहे हैं। एक बैठक में पाटिल ने मिशन के कार्यों पर असंतोष जाहिर कर दिया था। इसके बाद से पीएचई मंत्री अरूण साव मिशन के कार्यों पर नजर रखे हुए थे। फिर उन्होंने एक झटके में बड़ी कार्रवाई कर दी। पिछले 7 महीने के कार्यकाल में अरूण साव विभागीय अफसरों पर नरम रहे हैं। ये अलग बात है कि गंभीर शिकायत पर ही उन्होंने पीडब्ल्यूडी और नगर प्रशासन के कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी की है। मगर इस बार उनके तेवर कुछ अलग ही नजर दिखे हैं। इसकी विभाग में काफी चर्चा हो रही है।
बैज की अस्तित्व की लड़ाई
कानून व्यवस्था के मसले पर कांग्रेस 24 तारीख को विधानसभा घेराव की जोरदार तैयारी कर रही है। खुद प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज सभी जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं को घेराव में शामिल होने का न्यौता दे रहे हैं। जिलेवार प्रभारी भी बनाए गए हैं। करीब 25 हजार कार्यकर्ताओं के जुटने की उम्मीद जताई जा रही है।
दरअसल, 8 महीने बाद कांग्रेस का अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन होगा। यह प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के लिए भी परीक्षा की घड़ी है। जिन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हार के बाद से बदलने की मांग दबे-छिपे तरीके से हो रही है। हालांकि कई प्रमुख नेताओं का बैज को समर्थन भी है। बैज ने सबको साथ लेकर प्रदर्शन को सफल बनाने की रणनीति बनाई है। उनकी रणनीति किस हद तक कामयाब रहती है, यह तो 24 तारीख को ही पता चलेगा।
कुछ लोगों का मानना है कि विधानसभा घेराव-प्रदर्शन पर भी कुछ हद तक बैज का भविष्य टिका है। यदि प्रदर्शन सफल नहीं होता तो यह मैसेज चला जाएगा कि बैज के साथ कार्यकर्ता नहीं है। इससे उन्हें हटाने की मांग जोर पकड़ सकती है। आगे क्या होता है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पिटबुल डॉग में खूबियां भी हैं..
खम्हारडीह में एक ऑटो चालक पर हमला करने वाले पिटबुल डॉग के मालिक को रायपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। कई बार लोग कुत्तों को पालने के बाद उसका प्रदर्शन करना जरूरी समझते हैं। उन्हें आनंद आता है जब कोई आगंतुक उसे देखकर डरता है या पीछा छुड़ाता है। कई देशों में इसका इस्तेमाल अपराधियों और गुम हुए लोगों की तलाश में लगाया जाता है। कई घुमंतू जातियां भी अपनी सुरक्षा के लिए इसे पालती हैं। पिटबुल डॉग कुत्तों की उन 24 नस्लों में शामिल हैं, जिन्हें खतरनाक होने के कारण भारत में पालने पर भी प्रतिबंध है।
साहसी और निडर पिटबुल डॉग की नस्ल विशेष रूप से अमेरिका में विकसित हुई है। सन् 2017 में टेक्सास के जंगलों में एक प्लेन क्रैश हुआ था, जिसमें 3 साल की बच्ची गुम हो गई थी। 200 से ज्यादा सैनिकों को उसकी खोज में तैनात किया गया था। डेक्सटर नाम के पिटबुल को भी इस मिशन में शामिल किया गया था, जिसने बच्ची को ढूंढ निकाला था। रायपुर की घटना ने पिटबुल को खलनायक बना दिया। कार्रवाई तो मालिक पर ही होनी थी क्योंकि डॉग तो वही करेगा, जैसा उसे प्रशिक्षण मिलेगा।
कांग्रेस की जमीन हाथ से खिसकी
कांग्रेस सरकार ने जमीन बांटने के संबंध में चार फैसले लिए थे, जिनमें ज्यादा विवाद 7500 वर्गफीट सरकारी जमीन का सिर्फ आवेदन के आधार पर बांटने पर था। सितंबर 2019 में आदेश जारी होने के करीब 6 माह के भीतर ही इसके खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर हो गई थी। सुनवाई के दौरान बताया गया था कि इसका बड़े कारोबारी और भू माफिया फायदा उठा रहे हैं। याचिका लगाने वालों में से एक सुशांत शुक्ला अब विधायक हैं। पिछले जून महीने में इस मामले की आखिरी सुनवाई हुई। सरकार बदलने के बाद कोर्ट में जवाब बदला गया। यह बताया गया कि यह नियम रद्द किया जाएगा, जरूरत होगी तो नई नीति बनाएंगे। तब चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने याचिका निराकृत कर दी। अब कैबिनेट ने हाईकोर्ट में दिए वचन के अनुसार निर्णय ले लिया है। मगर अब तक करीब 200 एकड़ जमीन अलग-अलग जिलों में बांटी जा चुकी है। कांग्रेस नेताओं के नाम तो है ही, कांग्रेस भवन के लिए भी जमीन दी गई। इनमें से एक जिला कांग्रेस कमेटी बिलासपुर की जमीन भी है। पुराना बस स्टैंड की इस जमीन के आवंटन के खिलाफ भी भाजपा नेता कोर्ट गए थे। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि वे नियमों के मुताबिक फैसला लें। भाजपा नेता इस आदेश से असंतुष्ट थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। मगर, अब कैबिनेट के फैसले के बाद शायद इसकी नौबत नहीं आएगी।