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मोदी के दूसरे कार्यकाल में पहली बार मंत्रिमंडल में फेरबदल
06-Jul-2021 6:44 PM
मोदी के दूसरे कार्यकाल में पहली बार मंत्रिमंडल में फेरबदल

पिछले कई हफ्तों से केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. अब आठ राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति किए जाने के बाद माना जा रहा है कि कैबिनेट में फेरबदल जल्द ही हो सकती है.

 डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट- 

अगर ऐसा होता है तो ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में फेरबदल का पहला मौका होगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल में इस समय प्रधानमंत्री के अलावा 21 मंत्री, नौ स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 23 राज्य मंत्री हैं. संविधान के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या लोक सभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत, यानी 81, से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. यानी मोदी अगर चाहें तो मंत्रिमंडल में 27 और सदस्यों को शामिल कर सकते हैं.

हालांकि माना जा रहा है कि इस बार इस पूरी कवायद का उद्देश्य कई मंत्रियों के प्रभार को कम करना और कुछ मंत्रियों को हटा कर कुछ नए चेहरों को लाना है. प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय कैबिनेट में कम से कम 10 ऐसे मंत्री हैं, जिनके पास एक से ज्यादा मंत्रालयों का प्रभार है.

कई कार्यभार

जैसे नरेंद्र सिंह तोमर कृषि के अलावा ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय भी देख रहे हैं; रवि शंकर प्रसाद कानून, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालयों को देख रहे हैं; प्रकाश जावड़ेकर पर्यावरण, भारी उद्योग और सूचना और प्रसारण मंत्रालयों को देख रहे हैं; पियूष गोयल रेल, वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों को देख रहे हैं; प्रल्हाद जोशी संसदीय मामले, कोयला और खनन मंत्रालयों को देख रहे हैं.

संभव है कि इनमें से कई मंत्रियों से उनके अतिरिक्त कार्यभार को लेकर दूसरों को दे दिया जाए. इसके अलावा कई राज्यों में चुनावी समीकरण भी बैठाने हैं और पहले मिले चुनावी लाभ का कुछ लोगों को इनाम भी देना है. छह जुलाई की ही सुबह थावर चंद गेहलोत को केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री के पद से हटा कर कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया. इससे मंत्रिमंडल में एक पद तुरंत खाली हो गया.

मदद का इनाम

कर्नाटक के अलावा मिजोरम, गोवा, हरियाणा, त्रिपुरा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्यपालों को भी बदल दिया गया. माना जा रहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान अलग अलग राज्यों में बीजेपी को चुनाव जीतने या सरकार बनाने में मदद करने वालों को भी मंत्रिपद देने की योजना है. इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम को लेकर सबसे ज्यादा अटकलें लग रही हैं.

सिंधिया मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ कर कर भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके बाद मध्य प्रदेश में उनके खेमे के कई विधायक भी बीजेपी में आ गए. राज्य में कमल नाथ के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार गिर गई और एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गई. सिंधिया 2012 से 2014 तक यूपीए सरकार में बिजली मंत्रालय का स्वतंत्र कार्यभार संभाल रहे थे. बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चला रही जेडीयू भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की उम्मीद लगाए बैठी है.

इसी साल असम में हुए चुनावों के बाद हेमंता बिस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिए जाने से पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल केंद्र सरकार में पद मिलने के इन्तजार में बताए जा रहे हैं. इसके अलावा फरवरी-मार्च 2022 में चुनावों का सामना करने वाले उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से भी कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. महाराष्ट्र से पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को भी मंत्री बनाने की अटकलें लग रही हैं. (dw.com)
 

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