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बेलारूस से लगी सीमा पर दीवार बनाएगा लिथुआनिया
09-Jul-2021 8:13 PM
बेलारूस से लगी सीमा पर दीवार बनाएगा लिथुआनिया

यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि बेलारूस से यूरोपीय संघ में बड़ी संख्या में अवैध प्रवास के मामले सामने आते हैं. लिथुआनिया का कहना है कि प्रतिबंधों के जवाब में बेलारूस यूरोपीय ब्लॉक को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है.

(dw.com)  

लिथुआनिया की प्रधानमंत्री इनग्रिडा शिमोनाइट ने बुधवार को घोषणा की कि उनकी सरकार लिथुआनिया और बेलारूस को अलग करने वाली सीमा पर एक अतिरिक्त अवरोध का निर्माण करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी देश बेलारूस से आने वाले लोगों की निगरानी के लिए इस सीमा पर सैनिक भी तैनात किए जाएंगे. हालांकि प्रधानमंत्री शिमोनाइट ने कुछ समय पहले इस योजना को "समय की बर्बादी" कहा था.

पूर्व सोवियत संघ के ये दोनों देश एक-दूसरे से 678 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं और इस सीमा की बाड़बंदी पर करीब डेढ़ करोड़ यूरो का खर्च आएगा.

इस अचानक हृदय परिवर्तन की सबसे बड़ी वजह पिछले कुछ हफ्तों में बड़ी संख्या में सीमा पार करके आने वाले प्रवासी हैं. यह सीमा यूरोपीय संघ की बाहरी सीमा है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों का मानना है कि बेलारूस, चुनाव में धांधली और मानवाधिकार हनन समेत कई मुद्दों पर पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का बदला लेना चाह रहा है.

लिथुआनिया की सरकार का कहना है कि साल 2021 के पहले छह महीनों में अवैध रूप से सीमा पार करने के 1300 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि साल 2020 में यह संख्या सिर्फ 81 थी.

राजनीतिक हथियार के तौर पर प्रवासियों का इस्तेमाल?

शिमोलाइट कहती हैं, "हम इस प्रक्रिया का आकलन हाइब्रिड आक्रामकता के रूप में करते हैं, जो लिथुआनिया के खिलाफ नहीं बल्कि पूरे यूरोपीय संघ के खिलाफ है. प्रतिबंधों की वजह झूठे चुनाव परिणाम, नागरिक समाज के दमन और मानवाधिकार हनन थे."

मंगलवार को बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्जेंडर लुकाशेंको ने धमकी दी थी कि युद्धग्रस्त देशों के प्रवासियों को यूरोपीय संघ में बिना किसी बाधा के प्रवेश करने दिया जाएगा. लिथुआनिया में प्रवेश करने वाले ज्यादातर प्रवासी अफगानिस्तान, इराक और सीरिया के हैं.

शिमोनाइट कहती हैं, "बेलारूसी शासन एजेंसियां अवैध प्रवासियों के प्रवाह को जारी रखने में सक्रिय और निष्क्रिय रूप से शामिल हैं. सीमा पार करने के लिए परिस्थितियां जानबूझकर बनाई गई हैं और हमें लगता है कि इसके पीछे अन्य बातों के अलावा, हमारे राज्य को नुकसान पहुंचाने और स्थिति को अस्थिर करना ही उद्देश्य है."

हालांकि यह स्थिति नई नहीं है लेकिन हाल के हफ्तों में यह काफी ज्यादा बढ़ गई है. जून में यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन से पहले लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानास नौसेदा ने यूरोपीय नेताओं से कहा था कि बेलारूस तेजी से प्रवासियों को एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर रहा है.

तुर्की की क्या भूमिका है?

लिथुआनिया के विदेश मंत्री गेब्रियालियस लैंड्सबर्गिस ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बेलारूस के दूतावास के प्रमुख को बेलारूस से लगी सीमा के पार प्रवासियों के प्रवाह को रोकने संबंधी बातचीत के लिए बुलाया था.

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उन्होंने तुर्की के विदेश मंत्री से बेलारूस से लिथुआनिया में आने वाले प्रवासियों की पहचान करने में मदद करने के लिए कहा था. उनका कहना था, "बेलारूस से लिथुआनिया में प्रवेश करने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा तुर्की से, तुर्की एयरलाइंस के जरिए आता है. हम मानते हैं कि तुर्की उनकी पहचान जानता है. तुर्की के सहयोग से, हम उनकी पहचान और मांग को आसानी से निर्धारित कर सकते हैं."

शिमोनाइट कहती हैं, "बेलारूस की राजधानी मिन्स्क को बगदाद से जोड़ने के लिए कई ट्रैवल एजेंसीज और सीधी उड़ानें हैं. साथ ही बेलारूस और अन्य देशों में कई एजेंसियां ऐसी हैं जो पर्यटकों को बेलारूस जाने के लिए लुभाती हैं. जहाज से मिन्स्क आने वाले ज्यादातर लोग इराक की राजधानी बगदाद से ही आते हैं."

लिथुआनियाई सरकार के मुताबिक, उन्हें यह भी पता चला है कि कई प्रवासियों के पास तो सीमा पर पहुंचते वक्त बेलारूस की सरकारी हवाई कंपनी बेलाविया के बोर्डिंग कार्ड भी थे.

यूरोपीय संघ के परिवहन को अवरुद्ध करने की धमकी

लिथुआनिया की राजधानी विलनियस में सरकार अगले हफ्ते संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाएगी, जिसमें कानून के मसौदों के अनुमोदन पर विचार किया जाएगा. ये कानून "शरणार्थियों की आवेदन प्रक्रियाओं को सरल और तेज" करेगा, क्योंकि ऐसे मामलों में वैध प्रवासियों के साथ भी कई बार दुर्व्यवहार होता है.

यूरोपीय संघ में प्रवासियों के अवैध प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के अलावा, बेलारूस के मजबूत नेता लुकाशेंको ने बेलारूस के रास्ते से जाने वाले यूरोपीय सामानों को अवरुद्ध करने की भी धमकी दी है.

साल 1994 में रूस से स्वतंत्र होने के बाद से लेकर अब तक बेलारूस पर शासन करने वाले लुकाशेंको ने दावा किया कि पिछले साल अगस्त में उनके दोबारा चुने जाने के बाद चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए देश में उथल-पुथल करने की कोशिश की गई, जिसकी वजह से महीनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और सामूहिक गिरफ्तारियां हुईं. उन्होंने अपनी कार्रवाइयों पर पश्चिमी प्रतिबंधों का बार-बार विरोध किया है. (dw.com)

एसएम/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)

 

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