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कोरोना के बीच पर्यटन स्थलों और बाजारों में भीड़ से चिंता बढ़ी
12-Jul-2021 6:52 PM
कोरोना के बीच पर्यटन स्थलों और बाजारों में भीड़ से चिंता बढ़ी

पहाड़ी राज्यों में पर्यटकों का छुट्टी मनाने के लिए टूट पड़ना सरकार और स्थानीय प्रशासन के लिए मुसीबत बना हुआ है. नियमों की अनदेखी के बाद सख्ती की जा रही है और लोगों को अपना व्यवहार बदलने को कहा जा रहा है.

  डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 9 जुलाई को मसूरी स्थित कैम्पटी फॉल का वीडियो दिखाकर चेताया था कि कोरोना महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई अभी भी जारी है. मंत्रालय ने कहा था कि कोविड से लड़ाई के लिए कड़ाई बेहद जरूरी है और लोगों से कोविड अनुरुप व्यवहार का पालन करने की अपील की थी.

इसके बाद फिर अगले दिन यानी 10 जुलाई को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा, "पहाड़ों में घूमना जान बचाने से ज्यादा जरूरी तो नहीं है. घूमने के लिए तो पूरा जीवन पड़ा है. फिलहाल घर पर रहें और कोविड उचित व्यवहार बनाए रखें."

हालांकि, केंद्र सरकार और राज्यों की अपील के बावजूद पर्यटकों की भारी भीड़ पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया पर मनाली और मसूरी के वीडियो तेजी से वायरल हुए थे, जिनमें लोगों को बिना मास्क के घूमते और उचित दूरी के नियमों की अनदेखी करते देखा गया था. इन तस्वीरों पर स्वास्थ्य मंत्रालय से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने चिंता जताई थी.

केंद्र सरकार संभावित तीसरी लहर से बचने के उपाय कर रही है, लेकिन पर्यटन स्थलों और बाजारों में लॉकडाउन में ढील देने के बाद से भीड़ उमड़ रही है. उस पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने पिछले सप्ताह कहा था, "पहाड़ों पर जाने वाले पर्यटक कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं कर रहे हैं. अगर प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया तो हम प्रतिबंधों में ढील को फिर से रद्द कर सकते हैं."

कोविड थकान दूर करने के लिए उठा रहे जोखिम

देश में कोविड की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई, अप्रैल और मई के महीने में लोग ऑक्सीजन, वेंटीलेटर वाले बिस्तर, रेमेडिसिवर और अन्य जरूरी दवाओं के लिए भागते-दौड़ते नजर आए. श्मशानों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई. लेकिन जब दूसरी लहर थोड़ी शांत हुई और पाबंदियों में ढील मिली तो लोग पहाड़ों पर छुट्टी मनाने के लिए निकल गए.

स्वास्थ्य जानकार लोगों के बिना मास्क बाहर घूमने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं करने पर चिंता जता रहे हैं. वे चेतावनी दे रहे हैं कि क्या वे ऐसा कर तीसरी लहर को न्योता तो नहीं दे रहे हैं. शिमला, कुफरी, कसौली, धर्मशाला, नैनीताल, देहरादून, मनाली, मसूरी और जम्मू-कश्मीर में बीते दिनों पर्यटकों की भारी भीड़ देखने को मिली.

महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के शशांक जोशी एक निजी चैनल से कहते हैं, "कोरोना का मौजूदा स्वरूप डेल्टा है जो बहुत तेजी के साथ फैलता है. भारत में कोविड अभी भी खत्म नहीं हुआ है. हर रोज 41 हजार के करीब मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि 50 फीसदी मामले केरल और महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं."

जोशी का मानना है कि भीड़ से लोगों को बचना चाहिए और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए. वे कहते हैं, "हम यात्रा के खिलाफ नहीं है. अगर किसी को काम के लिए जाना है तो वे जरूरी सावधानियों के साथ यात्रा कर सकते हैं. लेकिन लापरवाह रवैया हमें चिंता में डालता है." जोशी का कहना है कि डेल्टा वेरिएंट भारत से ही निकला है और इसको लेकर हमें खास सावधान रहना चाहिए.

क्या किए जा रहे उपाय

उत्तराखंड सरकार ने पर्यटकों के आने को लेकर नियम कड़े किए हैं. कैम्पटी फॉल में एक बार में अधिकतम 50 लोगों को इजाजत दी जा रही है. झरने के पास आधे घंटे से अधिक रुकने पर पाबंदी लगा दी गई है. मसूरी में कोई भी पर्यटक अब कोरोना निगेटिव रिपोर्ट (72 घंटे अंतर्गत) और सिटी पोर्टल पर पंजीकरण करवाए बिना दाखिल नहीं हो सकेगा.

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार पर्यटन उद्योग को बचाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी कोविड-19 खत्म नहीं हुआ है और होटलों को एसओपी का पालन करने का आदेश दिया है. ठाकुर के मुताबिक, "हम प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या को लेकर चिंतित हैं. पर्यटकों का यहां स्वागत है लेकिन मैं उनसे कोविड-19 मानदंडों का पालन करने की अपील करता हूं."

कांवड़ यात्रा का क्या होगा

पहली लहर के दौरान पिछले साल कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई थी. इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे दी है और उत्तराखंड सरकार ने यात्रा को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है. जानकारों का कहना है कि कांवड़ यात्रा एक "सुपरस्प्रेडर" आयोजन हो सकता है और वे इसको लेकर पहले से ही चेतावनी दे रहे हैं.

पिछले के सालों में कांवड़ यात्रा के दौरान दो से पांच करोड़ के बीच कांवड़िए हरिद्वार पहुंच थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार अगर इजाजत मिलती है तो एक पखवाड़े में तीन से चार करोड़ यात्री हरिद्वार आएंगे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 10 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की थी और चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा के मु्द्दे पर चर्चा की थी.

वहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी जमकर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. जिन बाजारों में नियमों का पालन नहीं हो रहा है वह बंद कर दिए जा रहे हैं. प्रशासन उन दुकानों को भी सील कर दे रहा है जहां पर लापरवाही बरती जा रही है. दिल्ली में 23 अप्रैल से लेकर 7 जुलाई के बीच कोविड उपयुक्त व्यवहार का उल्लंघन करने पर लोगों से 51 करोड़ से अधिक जुर्माना वसूला किया जा चुका है. सबसे ज्यादा चालान मास्कर नहीं पहनने को लेकर काटे गए. 2,67,897 लोगों पर मास्क नहीं पहनने को लेकर जुर्माना लगाया गया. (dw.com)

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