राष्ट्रीय

महामारी से उबरने में अपनी हिस्सेदारी मांग रही महिलाएं
14-Jul-2021 7:02 PM
महामारी से उबरने में अपनी हिस्सेदारी मांग रही महिलाएं

महामारी से उबरने की कोशिशों में पीछे छूट जाने के खिलाफ महिलाओं ने रोम में एक मुहिम शुरू की है. जी20 के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में इटली से उम्मीद की जा रही है कि महिलाओं के अधिकारों की मांगों का देश समर्थन करेगा.

(dw.com)  

रोम में एक तीन-दिवसीय गोष्ठी की शुरुआत हुई है जिसका उद्देश्य है महिलाओं को पुरुषों के साथ बराबरी पर लाने के तरीके निकालना. गोष्ठी में विशेष रूप से इस बात पर भी ध्यान दिया जाएगा कि पूरी दुनिया में महामारी से उबरने की कोशिशों में कहीं महिलाएं पीछे ना छूट जाएं. महिला अधिकार कार्यकर्ता चाह रहे हैं कि इटली के जी-20 के मौजूदा नेतृत्व का फायदा उठाते हुए लैंगिक बराबरी के मुद्दों को उठाया जाए.

इनमें वेतन में बराबरी, फैसले लेने की प्रक्रिया में ज्यादा शामिल किया जाना और महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली पारम्परिक धारणाओं को तोड़ना शामिल है. पहले ही दिन यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने गोष्ठी को संबोधित किया और राजनीतिक नेतृत्व में महिलाओं की कमी पर खेद जताया. उन्होंने कहा, "संभव है कि रोम में होने वाले जी-20 के अगले शिखर सम्मलेन में मैं इकलौती महिला नेता रहूंगी."

आर्थिक मदद की शर्त

फॉन डेय लाएन ने इसे और विस्तार से तो नहीं समझाया लेकिन संभव है कि वो जर्मनी में सितंबर में होने वाले चुनावों के बाद अंगेला मैर्केल के जर्मनी की सरकार का नेतृत्व खत्म होने की बात कर रही हों. गोष्ठी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होती हुई फॉन डेय लाएन ने  कहा,"लैंगिक बराबरी का सफर अभी और कितना लम्बा है इसका इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता."

यूरोपीय संघ कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित सदस्य देशों को उबरने के लिए अरबों यूरो की मदद दे रहा है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ. इनमें से एक शर्त यह भी है कि आर्थिक बहाली की योजनाओं में और ज्यादा महिलाओं को काम करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाए. संघ के सदस्य देशों में से इटली में ऐतिहासिक रूप से कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत बहुत कम रहा है.

प्रधानमंत्री मारिओ द्राघी ने प्रण लिया है कि उबरने की योजनाऐं महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने का काम करेंगी. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश का विकास उतना मजबूत नहीं रह पाएगा. दशकों से इटली में महिलाएं उनके बच्चों का ख्याल रखने वाले सस्ते संस्थाओं की कमी के बारे में शिकायत करती रही हैं. पुरुषों की घर के कामों में हाथ बताने में भी अरुचि रहती है और महिलाओं का कहना है कि इन दोनों कारण उन्हें नौकरियां करने और उनमें टिकने से रोकते हैं.

महिलाओं को सही तरह का समर्थन

इटली के इंफ्रास्ट्रक्चर और सस्टेनेबल मोबिलिटी के मंत्री एनरिको जीओवानिनी ने माना कि महामारी से उबरने के लिए दी जा रही राशि महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की मदद करेगी इसका जोखिम है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कई नौकरियां पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान माने जाने वाले निर्माण क्षेत्र में हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि जिन देशों को यह धनराशि मिल रही है उन्हें ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे सिर्फ पुरुषों के लिए ही रोजगार के अवसर ना बनें.

फॉन डेय लाएन ने कहा कि अगर यूरोपीय संघ को इस दशक के अंदर रोजगार में लैंगिक फासले को 50 प्रतिशत घटाने के अपने लक्ष्य को हासिल करना है तो "महिलाओं को सही तरह का समर्थन" देना होगा. उन्होंने अभिभावकों के लिए लाभ, माताओं और पिताओं के लिए अवकाश और बच्चों और बुजुर्गों के लिए और ज्यादा देखभाल के इंतजाम की मांग की. उन्होंने कहा, "इन नीतियों के लिए सांस्कृतिक स्तर पर बदलाव के साथ साथ पर्याप्त संसाधनों की भी जरूरत है." (dw.com)

सीके/एए (एपी)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news