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केयर्न समेत कई कंपनियों से विवाद निपटाने को भारत ने बदला टैक्स नियम
06-Aug-2021 1:08 PM
केयर्न समेत कई कंपनियों से विवाद निपटाने को भारत ने बदला टैक्स नियम

विदेशी कंपनियों के साथ टैक्स को लेकर जारी विवाद खत्म करने के लिए भारत ने अपने टैक्स संबंधी कानून बदल दिए हैं.

(dw.com)

गुरुवार को भारत ने टैक्स कानूनों में बदलाव का ऐलान किया जिसका मकसद विदेशी कंपनियों के साथ जारी अरबों डॉलर के विवादों को खत्म करना माना जा रहा है. कई विदेशी कंपनियों ने विदेशों में स्थित भारत सरकार की संपत्तियों को जब्त करने की धमकी दी थी.

नए नियमों के तहत वोडाफोन और केयर्न एनर्जी आदि कंपनियों को धन लौटाया जा सकेगा, बशर्ते वे पिछले लगभग एक दशक से जारी विवाद खत्म कर दें. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय नियामक मंचों ने इन मामलों में भारत के खिलाफ फैसला दिया था.

क्यों करना पड़ा बदलाव?
फ्रांस की एक अदालत ने पिछले महीने केयर्न एनर्जी की एक याचिका पर आदेश देते हुए पैरिस में भारत में 20 संपत्तियों को फ्रीज कर दिया था. केयर्न ने एयर इंडिया की संपत्तियां जब्त करने की भी धमकी दी थी. केयर्न भारत सरकार से अपने 1.2 अरब डॉलर वापस चाहती है. इन धनराशि की वापसी का आदेश पिछले साल एक स्वतंत्र पैनल ने दिया था.

विश्लेषकों का कहना है कि इस विवाद में कुल मिलाकर 6 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि शामिल है और यह मामला इतना बढ़ गया था कि कई देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों पर आंच आ रही थी.

गुरुवार को भारत सरकार ने कहा कि नए नियमों के तहत मई 2012 से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर लगे टैक्स को शून्य किया जा सकेगा. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं जिनमें कानूनी दावे वापस लेना और नुकसान की भरपाई के नए दावे ना करने का वादा शामिल है.

अधिकारियों ने यह भी कहा कि वापस की जा रही धनराशि पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा. एक वकालत फर्म जे सागर असोसिएट्स के साझीदार कुमारमंगलम विजय ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "यह सच में सरकार की ओर से एक व्यवहारिक कदम है. इससे वोडाफोन और केयर्न जैसे और दावों को रोकने में मदद मिलनी चाहिए. इस हार में नुकसान नहीं है.”

कौन जीता, कौन हारा?
नए नियमों पर केयर्न ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और बस इतना कहा है कि वह हालात पर निगाह रखे हुए है.

भारत सरकार के रेवन्यू सचिव तरुण बजाज ने समाचार चैनल एनडीटीवी से कहा कि यह फैसला दबाव में नहीं लिया गया है. उन्होंने कहा, "यह कहना अन्यायपूर्ण है कि हमने दबाव में यह फैसला किया है क्योंकि एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावे किए जा रहे थे.”

हालांकि बजाज ने माना कि भारत के सामने एक बड़ी लड़ाई बाकी है. उन्होंने कहा कि नए प्रस्ताव के तहत एक अरब डॉलर ही वापस करने होंगे. यह राशि केयर्न के दावे से भी कम है.

वोडाफोन से भारत सरकार 3 अरब डॉलर की मांग कर रही थी. वोडाफोन ने 2007 में भारत में हचीसन वैंपोआ की 11 अरब डॉलर की संपत्तियां खरीदी थीं.

कई कंपनियों से भारत का विवाद
15 से ज्यादा कंपनियों का कई साल से भारत के साथ विवाद चल रहा है. इस विवाद की वजह 2012 का एक कर कानून है, जिसके आधार पर भारत उन कंपनियों से पिछले सालों का भी टैक्स ले सकता है, जिन्होंने भारत की कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है.

नीदरलैंड्स के द हेग स्थित एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने पिछले साल फैसला दिया था कि मोबाइल कंपनी वोडाफोन पर लगाया गया टैक्स और जुर्माना भारत और नीदरलैंड्स के बीच हुई संधि का उल्लंघन करता है.

पिछले साल दिसंबर में द हेग स्थित पर्मानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन भारत सरकार को आदेश दिया को केयर्न को 1.2 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि ब्याज सहित वापस करे. हालांकि भारत सरकार ने ट्राइब्यूनल के फैसले को मानने से ही इनकार कर दिया था और कहा था कि वह लड़ाई जारी रखेगी.

वीके/एए (रॉयटर्स)
 

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