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अफगानिस्तान में निशाने पर पत्रकार और पत्रकारिता
01-Nov-2021 1:41 PM
अफगानिस्तान में निशाने पर पत्रकार और पत्रकारिता

एक मीडिया वॉचडॉग ने कहा कि पिछले दो महीनों में अफगान पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और धमकियों के 30 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत तालिबान द्वारा किए गए हैं.

   (dw.com)

अफगानिस्तान राष्ट्रीय पत्रकार संघ द्वारा दर्ज किए गए 40 फीसदी से अधिक मामले पिटाई के हैं और 40 प्रतिशत के करीब के मामले मौखिक धमकी वाले हैं. संघ के प्रमुख मासोरो लुत्फी ने कहा कि अन्य मामलों में पत्रकारों को एक दिन के लिए कैद किया गया और एक पत्रकार की मौत हुई.

संघ का कहना है राजधानी काबुल के बाहर पूरे अफगानिस्तान में सितंबर और अक्टूबर में अधिकांश मामले दर्ज किए गए थे लेकिन हिंसा के 30 मामले राजधानी में हुए. लुत्फी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा की अधिकाशं घटनाएं या हिंसा की धमकियां तालिबान के सदस्यों द्वारा की गई थीं लेकिन 30 में से तीन मामलों को अज्ञात लोगों द्वारा अंजाम दिया गया.

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अफगानिस्तान के तालिबान शासक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ राजनयिक चैनल खोलने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय औपचारिक रूप से तालिबान के शासन को मान्यता देने के लिए अनिच्छुक नजर आ रहा है. तालिबान की कोशिश है कि वह खुद को जिम्मेदार शासक के रूप में स्थापित करे और वह सभी के लिए सुरक्षा का वादा कर रहा है.

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद का कहना है कि वह पत्रकारों के साथ हिंसा की वारदात से वाकिफ हैं और दोषियों को सजा देने के लिए मामले की जांच कर रहे हैं. उन्होंने समस्या को सुलझा लेने का वादा किया.

अक्टूबर की शुरुआत में पूर्वी नंगरहार प्रांत में एक हमले पत्रकार सैयद मरूफ सादत और उनके चचेरे भाई समेत दो तालिबानी लड़ाके मारे गए थे, इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली थी. अगस्त के अंत में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में सादत समेत तीन पत्रकार मारे गए हैं. राहा न्यूज एजेंसी की रिपोर्टर अलीरेजा अहमदी और जहान ए सेहत टीवी चैनल की एंकर नजमा सादिकी की निकासी के दौरान काबुल हवाईअड्डे पर आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी.

तालिबान ने बार-बार मीडिया से इस्लामी कानूनों का पालन करने का आग्रह किया है, लेकिन विस्तार से बताए बिना. लुत्फी ने कहा कि उनका समूह मीडिया आउटलेट्स और तालिबानी अधिकारियों के साथ एक बिल पर काम कर रहा है ताकि मीडिया अपने दैनिक कार्यों को जारी रख सके.

अफगानिस्तान लंबे समय से पत्रकारों के लिए खतरनाक देश रहा है. द कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स ने सितंबर की शुरुआत में कहा था कि 53 पत्रकार 2001 से देश में मारे गए हैं. इसी साल जुलाई महीने में पुलित्जर विजेता भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों की झड़प को कवर करते हुई थी.

एए/वीके (एपी)

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