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आलिया और रणबीर की शादी से बॉलीवुड का पुराना डर छूटा पीछे
14-Apr-2022 2:46 PM
आलिया और रणबीर की शादी से बॉलीवुड का पुराना डर छूटा पीछे

इमेज स्रोत,UNIVERSAL PR

-वंदना

यूँ तो क़िस्सा आलिया भट्ट की शादी का है और ये उनके लिए एक निजी रस्म भर ही होनी चाहिए लेकिन इस शादी के अलग मायने हैं क्योंकि एक दौर था जब हिंदी फ़िल्मों की हीरोइन शादी या करियर में से एक साथ किसी एक को ही चुन पाती थी.

पिछले कुछ सालों में करीना, अनुष्का, दीपिका, प्रियंका, कटरीना और अब आलिया भट्ट की शादी ने इसे बहुत हद तक नॉर्मलाइज़ कर दिया है.

लेकिन 80 के दशक से लेकर नई सदी के पहले दशक का दौर कुछ अजीबोग़रीब सा दौर रहा, जहाँ फ़िल्मी हीरोइन का करियर उसकी शादी और माँ बनने के ग्राफ़ से चढ़ता-उतरता था.

इसकी एक छोटी सी मिसाल 90 के दशक में मिलती है, जब माधुरी और जूही चावल जैसी हीरोइनें करियर की पीक पर थीं.

जूही चावला एक के बाद एक हिट फ़िल्में दे रही थीं लेकिन माँ के अचानक गुज़र जाने के बाद वो निजी ज़िंदगी में बहुत मुश्किल वक़्त से गुज़र रही थीं. उसी दौरान उनकी मुलाक़ात जय मेहता से हुई. दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ीं और जूही ने शादी कर ली. लेकिन ये शादी एक सिक्रेट था. जूही ने लंबे वक़्त तक इसे ज़ाहिर नहीं किया.

बरसों बाद जूही चावला ने इस बारे में कई बार बात की. पूर्व पत्रकार राजीव मसंद से इंटरव्यू में जूही ने बताया था, "तब मैंने फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई थी और मैं अच्छा काम कर रही थी. उसी दौरान जय मेरी ज़िंदगी में आए. मुझे डर था कि मेरा करियर डूब जाएगा. मैं काम करते रहना चाहती थी और मुझे लगा कि शादी छिपाना बीच का एक रास्ता होगा."

यानी एक सफल अभिनेत्री को सिर्फ़ करियर बचाने के लिए ऐसा सोचना पड़ा? जबकि उनके साथ के हीरो- चाहे वो आमिर हों या शाहरुख़ या कोई और किसी को इस तरह शादी छिपाने की नौबत नहीं पड़ी.

बरसों से फ़िल्मी दुनिया को कवर करती आईं वरिष्ठ पत्रकार भारती दुबे कहती हैं कि 80 के दशक से लेकर नई सदी के पहले दशक तक हिंदी फ़िल्मी एक अजीबोग़रीब दौर से गुज़री, जहाँ ये धारणा सी बनती गई कि शादी के बाद अभिनेत्री का करियर ख़त्म हो जाएगा.

हालांकि 80 के दशक से पहले तक, ख़ासकर 50, 60, 70 के दशक में हिंदी फ़िल्म की हीरोइन इस मायने में ज़्यादा आज़ाद नज़र आती हैं. इसे समझने के लिए हमें थोड़ा अतीत में झांकना होगा.

50 के दशक में नूतन ने नागिन, हम लोग जैसी फ़िल्मों से शुरुआत की और 1952 में वो मिस इंडिया बन गईं. 1955 में आई सीमा और 1959 में आई सुजाता के बाद वो टॉप की हीरोइनों में शुमार हो गईं.

इसी बीच 1959 में नूतन ने रजनीश बहल से शादी की. लेकिन उनके करियर पर नज़र डालें तो उनके करियर की बेहतरीन फ़िल्में शादी के बाद ही रिलीज़ हुईं और वो अंत तक काम करती ही रहीं.

छलिया, बंदिनी, सरस्वती चंद्र, मिलन, सौदागर, मैं तुलसी तेरे आंगन की, मेरी जंग ये सारी फ़िल्में शादी के बाद रिलीज़ हुईं, जिसमें से ज़्यादातर कॉमर्शियल फ़िल्में थीं और नूतन मुख्य हीरोइन थीं और उन्होंने कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीते.

बंदिनी में एक क़ैदी के रोल निभाने वाली नूतन को 1964 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था. बिमल रॉय की इस फ़िल्म की शूटिंग के वक़्त तो नूतन गर्भवती थीं और फ़िल्म इसी दौरान शूट भी की गई.

नूतन की ही साथी कलाकार मीना कुमारी ने भी 50 के दशक में कमाल अमरोही से शादी की. अगले 10-15 साल में मीना कुमारी ने फ़िल्मों में एक से बढ़कर एक रोल किए. हालांकि ये अफ़वाहें हमेशा रहीं कि कामयाबी के शिखर पर बैठीं मीना कुमारी के फ़िल्मों में काम करते रहने को लेकर ही कमाल अमरोही और उनके बीच दरार आई.

लेकिन शादी शुदा होना कभी मीना कुमारी और किसी रोल के बीच में नहीं आया चाहे वो कोहिनूर, आज़ाद, साहिब बीबी और ग़ुलाम, आरती या दिल अपना और प्रीत पराई जैसी फ़िल्मों हों. 1972 में आई पाकीज़ा उनका आख़िरी सलाम साबित हुआ.

70 के दशक तक आते-आते शर्मिला टैगोर जैसी अभिनेत्रियों का दौर आ चुका था. सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट थी. सितंबर 1969 में रिलीज़ हुई आराधना ने धूम मचाई हुई थी. उसी के तीन महीने बाद शर्मिला टैगोर ने मंसूर अली पटौदी से शादी कर ली.

लेकिन शर्मिला ने अपना बेहतरीन काम शादी के बाद ही किया और सारे बड़े अभिनेताओं का साथ काम किया. अमर प्रेम, मौसम, सफ़र, दाग़, आविष्कार, चुपके चुपके ये सारी फ़िल्में उनकी शादी की बाद की हैं.

असित सेन की फ़िल्म सफ़र की शूटिंग के दौरान वो माँ बनने वाली थीं. दरअसल, शादी के बाद तो शर्मिला टैगोर पहले से भी ज़्यादा कामयाब होती गईं.

फ़र्स्ट पोस्ट में पत्रकार सुभाष के झा को दिए इंटरव्यू में शर्मिला टैगोर ने कहा था, ''फ़िल्म 'बेशर्म' की शूटिंग जब चल रही थी, तो सबा पैदा होने वाली थी. लोग शायद ऐसा सोचते हैं कि कुछ दर्शक शादीशुदा अभिनेत्रियों को फ़िल्मों में देखना पसंद नहीं करते. पर मैं सोचती हूँ कि अगर आप दर्शकों को एक अच्छी कहानी और अच्छी फ़िल्म देंगे, तो वो आपको नज़रअंदाज़ नहीं कर पाएँगे. उन दिनों समाज ये स्वीकार नहीं करता था कि एक औरत काम पर जाए और बच्चों को घर पर छोड़ जाए.

यहाँ तक कि अपने ग्लैमरस और वैंप वाले रोल के लिए मशहूर बिंदू भी जब फ़िल्मों में आईं तो उनकी शादी हो चुकी थी.

वो उस वक़्त काफ़ी छोटी थीं लेकिन निर्देशक राज खोसला ने उन्हें 1969 में आई दो रास्ते में मुमताज़ के साथ साथ मेन रोल दिया. देखते ही देखते उन्होंने इत्तेफ़ाक, आया सावन झूम के, अभिमान, कटी पतंग साइन कर ली, जिसमें उनका कैबरे ख़ूब मशहूर हुआ.

ये वो भी दौर था जब 1973 में राज कपूर की टीनएज रोमांस वाली फ़िल्म बॉबी रिलीज़ हुई थी. महज़ 16 साल की डिंपल कपाड़िया ने तुरंत राजेश खन्ना से शादी कर ली और फ़िल्मों को अलविदा कह दिया लेकिन राजेश खन्ना से अलग होकर 1984 में ज़ख़्मी शेर मे कमबैक किया. सागर, काश, रामलखन, रुदाली ये फ़िल्में कीं.

लेकिन यहाँ 80 के दशक से लेकर नई सदी के पहले दशक का दौर कुछ अजीबोग़रीब सा दौर रहा जहाँ फ़िल्मी हीरोइन का करियर उसकी शादी और माँ बनने के ग्राफ़ से चढ़ता-उतरता था.

ये वो दौर भी था जहाँ एंग्री यंग मैन वाले दौर में या तो हीरो के आगे बात ज़्यादा बढ़ती नहीं था या हीरोइन बहुत सारी फ़िल्मों में सिर्फ़ रोमांस करने तक ही सीमित रहने लगी.

नीतू कपूर ने भी ऋषि कपूर से शादी के बाद फ़िल्में छोड़ दीं. दरअसल, करिश्मा और करीना कपूर से पहले तक तो कहा जाता था कि शादी के बाद कपूर ख़ानदान की लड़कियाँ फ़िल्मों में काम नहीं करतीं चाहे वो नीतू हों या बबीता.

वरिष्ठ पत्रकार भारती दुबे कहती हैं, "मौसमी चटर्जी का ही उदाहरण देखें. उन्होंने शादी के बाद भी फ़िल्में कीं. लेकिन फिर एक समय ऐसा आया जब अभिनेत्रियों के लिए शादी करना और करियर बनाना संभव नहीं था. उस समय फिल्में एक ऐसा माध्यम था, जिसमें लोग हीरोइन के बारे में एक ख़ास तरह की कल्पना करते थे. उन दिनों अगर आप करियर के दौरान शादी कर भी लेते थे तो एक्ट्रेस 5 से 10 साल तक अपनी शादी को सीक्रेट रखती थीं."

"इसलिए निर्माता ऐसी अभिनेत्री को फ़िल्म के लिए साइन नहीं करना चाहते थे और 2000 तक ऐसा ही चला. कुछ एक्ट्रेस जब वापसी करती भी हैं तो हमेशा उन्हें पॉज़िटिव रिस्पॉन्स नहीं मिलता था. माधुरी दीक्षित ने भी वापसी की लेकिन शुरुआत में उन्हें मनचाही प्रतिक्रिया नहीं मिली."

लेकिन नई दौर की हीरोइनों ने इस पुरानी स्क्रिप्ट के स्क्रीनप्ले को धीरे-धीरे बदल दिया है.

आज अगर विकी कौशल और रणवीर सिंह जैसे टॉप हीरो शादी के बाद करियर को आगे बढ़ा रहे हैं तो कटरीना और दीपिका भी.

प्रियंका चोपड़ा ने भी करियर के ऐसे मकाम पर शादी की जब वो बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड तक पहुँच चुकी थीं.

बीबीसी मराठी से बात करते हुए भारती दुबे कहती हैं, "अब समाज बदल गया है, शादी का ऐलान खुलेआम किया जाता है. दीपिका पादुकोण की हालिया फिल्म 'गहराइयां' पर नज़र डालें तो आप समझ जाएंगे कि शादी के बाद इंटीमेट सीन देना कोई बड़ी बात नहीं रही है. आलिया की बात करें तो आलिया और उनके फैंस उनकी शादी से प्रभावित नहीं हैं. उल्टे उनके फैंस उनके लिए ख़ुश हैं."

इससे पहले 2012 में करीना कपूर ने शादी की थी और वो लगातार काम कर रही हैं और माँ बनने के बाद भी. आज उनका भाई रणबीर कपूर शादी कर रहा है तो उनकी होने वाली दुल्हन आलिया भटट् सफलता की चोटी पर बैठी है.

हालांकि ये बहुत निजी फ़ैसला है कि शादी के बाद कोई अपने करियर को क्या दिशा देना चाहता है. लेकिन अपनी मर्ज़ी से फ़िल्म न करना और शादी के बाद फ़िल्में न मिलना दोनों में फ़र्क है.

यूँ तो आलिया भट्ट की शादी किसी भी दूसरी लड़की की शादी की तरह एक रस्म भर है और इसमें विश्लेषण करने जैसी कोई बात या गुंजाइश होनी नहीं चाहिए.

लेकिन चाहे-अनचाहे ही सही, हाईवे, राज़ी और गंगूबाई जैसे अपने लीक से हटकर रोल्स की तरह, आलिया भट्ट ग्लैमर वर्ल्ड और औरतों से जुड़े स्टीरियोटाइप को अपने तरीके से दूर तो कर ही रही हैं.

यहाँ अंग्रेज़ी फ़िल्म नॉटिंग हिल का एक सीन याद आता है जिसमें जूलिया रॉबर्टस, ह्यू ग्रांट के पास जाती हैं. फ़िल्म में जूलिया हॉलीवुड की टॉप हीरोइन का रोल कर रही हैं और उन्हें ह्यू ग्रांट से प्यार हो जाता है जो फ़िल्मी दुनिया से नहीं हैं. अपने करियर की ऊँचाई पर बैठी जूलिया के बारे में जब ये ख़बरें फैलती हैं तो काफ़ी हंगामा होता है.

जूलिया ह्यू ग्रांट से अपने दिल की बात कुछ यूँ कहती हैं- ''आई एम ऑलसो जस्ट ए गर्ल, स्टेडिंग इन फ़्रंट ऑफ़ ए बॉय, आस्किंग हिम टू लव हर.'' यानी मैं भी तो एक साधारण सी लड़की हूँ, जो एक लड़के के सामने खड़े होकर बस इतना कह रही है कि वो उससे प्यार करे.

यूँ तो सीधे-सीधे इस सीन का इस लेख से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन जब भी भारत में किसी टॉप हीरोइन की शादी होती है तो चर्चे होने लगते हैं कि शादी के बाद क्या होगा, हीरोइन का करियर चलेगा या नहीं.

तब अक्सर यही लाइन याद आ जाती है कि आख़िर पर्दे के पीछे वो हीरोइन भी तो एक साधारण लड़की है जो अपने निजी ज़िंदगी के फ़ैसले भर लेने की कोशिश कर रही है. (bbc.com)

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