राष्ट्रीय
नई दिल्ली, 30 अगस्त | प्रधानमंत्री संग्रहालय आजादी के बाद भारत के प्रत्येक प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि है और पिछले 75 वर्षों में हमारे देश के विकास में उनके योगदान का कथात्मक रिकॉर्ड है। यह सामूहिक प्रयास का इतिहास है और भारत के लोकतंत्र की रचनात्मक सफलता का शक्तिशाली प्रमाण है। हमारे प्रधानमंत्री समाज के हर वर्ग से आए थे क्योंकि लोकतंत्र के द्वार सभी के लिए समान रूप से खुले थे। प्रत्येक प्रधानमंत्री ने विकास, सामाजिक सद्भाव, आर्थिक सशक्तिकरण की यात्रा में महत्वपूर्ण पद चिन्ह छोड़ा है जिसमें भारत को स्वतंत्रता को सही अर्थ देने में सक्षम बनाया है। हमें ब्रिटिश उपनिवेशवाद के मलबे से एक गरीब भूमि विरासत में मिली थी जिसे सभी प्रधानमंत्री ने मिलकर एक नया जीवन दिया है।
तीन मूर्ति स्टेट भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का घर था। प्रधानमंत्री संग्रहालय के लिए ये सबसे उपयुक्त जगह मानी गई। संग्रहालय को निर्मित और नवीनीकृत नेहरू संग्रहालय भवन से शुरू किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान से जुड़े हुए बातों को तकनीकी रूप से और भी सरल तरीके से लोगों के बीच रखा गया है और इसमें एक नया सेक्शन शुरू किया गया है जिसमें प्रधानमंत्री को देश भर से मिले दुर्लभ उपहारों की एक बड़ी संख्या है जिसे प्रदर्शित किया गया है। इससे पहले यह लोगों के बीच प्रदर्शित नहीं किया गया था।
प्रधानमंत्री संग्रहालय की सोच की नींव 2016 में पड़ी। इसके डिजाइन का विचार उभरते भारत से निकल कर आया। नए बने प्रधानमंत्री संग्रहालय को बनाने की शुरूआत अक्टूबर 2018 में हुई। पर्यावरण का विशेष ध्यान रखते हुए किसी भी पेड़ को यहां पर नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।
प्रधानमंत्री संग्रहालय की बात करें तो इसका कुल क्षेत्रफल 15,619 स्क्वायर मीटर है। जिसमें से नेहरू स्मारक संग्रहालय का क्षेत्रफल 5,128 मीटर है और प्रधानमंत्री संग्रहालय का क्षेत्रफल 10,491 स्क्वायर मीटर है। संग्रहालय का लोगो भारतीय हाथों में धर्म चक्र की तरह है जो हमारे लोकतंत्र का प्रतीक है। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 306 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। (आईएएनएस)