राष्ट्रीय
गणेश भट्ट
नई दिल्ली, 4 सितंबर | देश में एक एकीकृत उच्च शिक्षा प्रणाली बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके अंतर्गत जल्द ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाएंगे। 3,000 या अधिक छात्रों वाले संस्थान डिग्री प्रदान करने वाले बहु-विषयक स्वायत्त संस्थान बन जाएंगे। उच्च शिक्षा में इस नए परिवर्तन से जहां छात्रों के समक्ष पहले के मुकाबले अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे वहीं शिक्षण संस्थानों को भी अधिक स्वायत्तता मिलेगी। इस बड़े परिवर्तन को लागू करने के लिए आम सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए देश भर के तमाम उच्च शिक्षण संस्थानों से संपर्क किया गया है। न केवल उच्च शिक्षण संस्थान बल्कि राज्य सरकारें भी इस बदलाव में भागीदार बनेंगी।
इन बदलावों का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि छात्र अपने ही संस्थान में अपने मूल विषय के अलावा अपनी रूचि के अनुसार कोई और विषय पाठ्यक्रम या पूर्ण कालिक कोर्स में भी दाखिला ले सकेंगे। इस नए बदलाव की परिकल्पना तो यूजीसी द्वारा पहले की जा चुकी थी लेकिन अब इस संबंध में ठोस कदम उठाए गए हैं। महज दो दिन पहले यूजीसी ने इस संबंध में एक गाइडलाइन तैयार की है। इन दिशानिर्देशों के मुताबिक उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र दो पाठ्यक्रमों में एक साथ दाखिला ले सकेंगे। उच्च शिक्षा से जुड़े प्रत्येक संस्थान में इसके लिए छात्रों का ओरिएंटेशन व काउंसलिंग की जाएगी। देश भर के सभी विश्वविद्यालय और राज्य सरकारें इस नई व्यवस्था को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने आईएएनएस को बताया कि फिलहाल सभी विश्वविद्यालयों और राज्य सरकारों को अपने संस्थानों के लिए इस संबंध में नियम तय करने के लिए कहा गया है। राज्य सरकार एवं विभिन्न विश्वविद्यालय अपने स्तर पर अपने अपने संस्थानों के लिए इस संबंध में नियम बनाएंगे।
यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक एकीकृत उच्च शिक्षा प्रणाली में पेशेवर उच्च शिक्षा क्षेत्र, व्यावसायिक शिक्षा और समग्र शिक्षा शामिल होगी। एकीकृत उच्च शिक्षा प्रणाली में बहु-विषयक विषयों के लिए आवश्यक विभागों को खोलने का भी सुझाव दिया गया है। उच्च शिक्षण संस्थानों में जिन आवश्यक विभागों को खोलने का सुझाव दिया गया है उनमें विभिन्न भाषाएं, साहित्य, संगीत, दर्शन, इंडोलॉजी, कला, नृत्य, रंगमंच, शिक्षा, गणित, सांख्यिकी, शुद्ध और अनुप्रयुक्त विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या जैसे विषय शामिल हैं।
नए बदलावों के अंतर्गत विश्वविद्यालय और सिंगल डोमेन शिक्षण संस्थान जैसे कि लॉ, इंजीनियरिंग, एजुकेशन या मेडिकल की पढ़ाई कराने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को भी अब यह मल्टी डिसिप्लनरी मोड अपनाना होगा। उच्च शिक्षा में किए जा रहे इन नए बदलावों के उपरांत देश में तीन तरह के उच्च शिक्षण संस्थान होंगे। इनमें रिसर्च यूनिवर्सिटी, टीचिंग यूनिवर्सिटी और ऑटोनॉमस कॉलेज होंगे। तीन हजार से ज्यादा छात्र हैं तो कॉलेज अपने स्तर पर डिग्री दे सकेंगे।
यूजीसी का कहना है कि भारत में डोमेन विशिष्ट स्टैंड-अलोन कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं। यहां तक कि बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थानों में भी अनुशासनात्मक सीमाएं इतनी कठोर हैं कि विभिन्न विषयों को सीखने के कम ही अवसर तलाशे जाते हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, एक बहु-विषयक विश्वविद्यालय की स्थापना और उसे बनाए रखने की संस्कृति तेजी से बढ़ रही है, जिसमें अनुसंधान और विकास, नवाचार और ऊष्मायन पर अधिक ध्यान देने के साथ उत्पादकता को अधिकतम किया जा रहा है। इसलिए, उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए यह प्रासंगिक है कि मौजूदा व्यवस्था की बजाय उच्च शिक्षण संस्थान क्लस्टर और बहु-विषयक उच्च शिक्षण संस्थान बनाने के लिए स्टैंड-अलोन और डोमेन-विशिष्ट संस्थानों को चरणबद्ध किया जाए।
वहीं इसके साथ एक नई व्यवस्था भी जोड़ी गई है जिसके अंतर्गत देश में उच्च शिक्षा हासिल कर रहे छात्र अब तीन अलग अलग माध्यमों से एक ही कोर्स की पढ़ाई भी कर सकते हैं। उच्च शिक्षा में किए जा रहे नए प्रावधानों के अंतर्गत छात्र परंपरागत रूप से क्लासरूम में होने वाली पढ़ाई के अलावा ऑनलाइन मोड व डिस्टेंस लनिर्ंग से अपना कोर्स पूरा कर पांएगे। यह नियम तो उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा सत्र 2022-23 से ही शुरू किया जा सकता है। (आईएएनएस)|