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उत्तर भारत के गैंगस्टरों पर एनआईए की कार्रवाई
13-Sep-2022 12:37 PM
उत्तर भारत के गैंगस्टरों पर एनआईए की कार्रवाई

सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उत्तर भारत के राज्यों में सक्रिय गैंगों पर छापेमारी की है. यह छापेमारी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय गैंगों पर की गई है.

    डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी में पंजाब में गैंगों की कथित संलिप्तता और बाद में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में पैसा लगाने के मामले की जांच कर रही है. एनआईए ने सोमवार सुबह ही अपनी कार्रवाई शुरू की. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह छापेमारी देशभर के 50 से अधिक ठिकानों पर हो रही है. बताया जा रहा है कि एनआईए ने उत्तर भारत में सक्रिय गैंगस्टरों पर कार्रवाई के लिए एक फाइल तैयार की है. इस फाइल में 10 से 12 गैंगों की सूची है.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद चर्चा में आए गैंग
एनआईए ने पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में स्थित ठिकानों पर छापे मारे, जिनमें गोल्डी बराड़ और जग्गू भगवानपुरिया के आवास शामिल थे, जो पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी आरोपी हैं. मूसेवाला की हत्या के मामले की जांच पंजाब पुलिस कर रही है, जिसने इस सिलसिले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है और दो आरोपी मुठभेड़ में मारे गए हैं.

मूसेवाला की 29 मई को मनसा में उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह अपने दोस्त और चचेरे भाई के साथ जवाहर के गांव जा रहे थे. लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्य गोल्डी बराड़ ने हत्या की जिम्मेदारी ली थी. इस हत्या के बाद दिल्ली के एक गैंगस्टर नीरज बवाना ने बिश्नोई गैंग से बदला लेने का ऐलान किया था.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इन गैंगस्टरों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और आतंकवादी संगठनों के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद, एनआईए को एक समन्वित राष्ट्रव्यापी छापेमारी करने का आदेश दिया था, जिसके बाद यह कार्रवाई शुरू हुई.

एनआईए के मुताबिक ये भारतीय गैंगस्टर जेल में रहने के अलावा पाकिस्तान, कनाडा और दुबई के अपने मददगारों की मदद से अपनी आपराधिक गतिविधियां जारी रखे हुए हैं. ये गैंगस्टर हथियारों की तस्करी में भी शामिल बताए जा रहे हैं.

मीडिया में एनआईए सूत्रों के हवाले से कहा गया कि छापेमारी इसलिए की जा रही है क्योंकि हाल की जांच में पता चला है कि इनमें से कुछ गैंगस्टर आतंकियों से जुड़े हुए हैं.

यूएपीए के तहत दर्ज किया गया केस
एनआईए ने कहा कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कुछ गैंगस्टरों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था, जिसके बाद जांच शुरू की गई थी.

रविवार को ही पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने कहा था कि सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड में गिरफ्तार किए गए गैंगस्टरों और आतंकी गुटों के बीच गहरी साठगांठ है. उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन कथित तौर पर इस साठगांठ का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं.

कहा जाता है कि गैंगस्टर नीरज बवाना और उसका गिरोह मशहूर हस्तियों की हत्या और सोशल मीडिया पर आतंक फैलाने में शामिल है. भारतीय जेलों में बंद होने के बावजूद भी इस गिरोह के सदस्य अपने मददगारों के माध्यम से देश-विदेश से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं.

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने लॉरेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़ समेत कई गैंगस्टर्स पर यूएपीए के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. स्पेशल सेल को जानकारी मिली है कि ये गैंगस्टर्स देश की अलग-अलग जेलों के अलावा पाकिस्तान, कनाडा और दुबई से अपना गैंग चला रहे हैं.

लॉरेंस बिश्नोई पर यह भी आरोप है कि उसके संबंध खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंडा से है. रिपोर्टों के मुताबिक रिंडा कथित तौर पर पाकिस्तान में रह रहा है.

गैंगस्टरों पर एनआई की बड़ी कार्रवाई
मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआईए को पूरे भारत में इन गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. ये गैंगस्टर उत्तर भारत के कई राज्यों में कहर बरपा रहे हैं. बताया जा रहा है कि गृह मंत्री इन गैंगस्टरों की गतिविधियों को रोकने के लिए एनआईए से कहा है. आमतौर पर एनआई आतंक से जुड़े मामलों की जांच करती है लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है उसमें विदेशों से गैंगों के सक्रिय होने की है और ये गैंग टार्गेट किलिंग में शामिल हैं और ऐसे में इन गिरोहों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी एजेंसी को दी गई है.

एनआईए भारत की केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जांच करती है.

इसका गठन मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले के बाद किया गया था. इस हमले के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने एनआई की स्थापना का फैसला किया था.

दिसंबर 2008 में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक पेश किया. यह 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई और साल 2009 में इसने अपना कामकाज शुरू किया. भारत में आतंकी हमले और आतंकी फंडिंग के मामलों की जांच अब इसी एजेंसी से कराई जाती है. (dw.com)
 

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