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24 गांवों के आदिवासियों ने सीएम को ज्ञापन सौंपकर प्रक्रिया निरस्त करने की रखी मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर 13 सितंबर। तमनार ब्लॉक के 24 गांव के ग्रामीणों ने रायगढ़ जिले के दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कोयला खदानों की स्वीकृति निरस्त करने की मांग करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा।
प्रभावित ग्रामीणों ने ज्ञापन में कहा है कि इस क्षेत्र में पहले से ही जिंदल, ईसीसीएल, हिंडालको, अंबुजा, छत्तीसगढ़ पावर कारपोरेशन, रायगढ़ एलाइंस आदि की खदानें चालू हैं, जिसके कारण व्यापक स्तर पर प्रदूषण है और सडक़ दुर्घटनाओं से मौत हो रही है। साथ ही लोगों में विभिन्न बीमारियां फैल रही है। इसे लेकर एनजीटी में याचिका भी दायर की गई है। इसके बाद भी महाराष्ट्र पावर जनरेशन गारे सेक्टर 2 ईसीसीएल पेल्मा कोयला खदान शुरु करने की प्रक्रिया चालू की गई है। इसके लिए प्रभावित 24 गांवों की ग्राम सभा से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है, न ही कोई सूचना दी गई है। इससे प्रभावित ग्रामीणों में आक्रोश है। वे अपनी भूमि पर कृषि पशुपालन और वनोपज संग्रह कर जीवन-यापन करना चाहते हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन ग्रामीणों पर बार-बार दबाव बना रहा है कि वे ग्राम सभा से खदान को संचालित करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करें।
ग्रामीणों का आरोप है कि महाराष्ट्र पावर जनरेशन कंपनी ने केंद्रीय जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा किया है। यह क्षेत्र ओडिशा के झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ जिले से लगा हुआ है। यहां हाथियों का आना-जाना लगा रहता है। साथ ही काला चीतल, कोटरी, हिरण व अन्य जंगली जानवरों का भी विचरण होता है। क्षेत्र में आदिवासियों की आस्था के कई केंद्र हैं जिनकी वे पूजा करते हैं। कोयला खदान खोलने से वे खत्म हो जाएंगे और इससे आदिवासियों की संस्कृति भी नष्ट हो जाएगी।
ज्ञापन में कहा गया कि पांचवी अनुसूची का पालन करते हुए ग्राम सभा के निर्णय का सरकार सम्मान करे और विधिवत कार्रवाई सुनिश्चित कर कोयला खदान को निरस्त करे।