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अशोक गहलोत के 'सियासी पावरप्ले' को क्या नहीं भाँप पाई कांग्रेस?
26-Sep-2022 11:45 AM
अशोक गहलोत के 'सियासी पावरप्ले' को क्या नहीं भाँप पाई कांग्रेस?

रविवार को राजस्थान में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी का अंदरुनी घमासान खुलकर देखने को मिला. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष की दावेदारी पेश करने की ख़बरों के बीच राज्य में 90 से अधिक विधायकों ने इस्तीफ़ा देने की धमकी दी.

विधायक, अशोक गहलोत और सचिन पायलट दो नेताओं के गुट में बंट गए हैं. अशोक गहलोत के समर्थक विधायक चाहते हैं कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन हो इस पर उनसे राय ली जाए. राजस्थान की इस राजनीतिक सरगर्मी की ख़बरें सभी अख़बारों में प्रमुखता से छपी हैं.

अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस अपने मुख्य पन्ने पर एक ख़ास रिपोर्ट छापी है. पढ़िए विस्तार से यही ख़बर.

इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि रविवार को अशोक गहलोत का सियासी पावर प्ले पूरे स्विंग में रहा और गांधी परिवार अशोक गहलोत के बेहद नपे-तुले सियासी क़दम को समझ में फेल रही.

अशोक गहलोत ने इशारों-इशारों में ये बताया कि वह पार्टी के शीर्ष पद पर ना रह कर राज्य के नेता बने रहना चाहते हैं.

गहलोत ने कई बार ये साफ़ कहा कि वह अपने विधायकों की राय राज्य के नए मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले जानना चाहते हैं.

अशोक गहलोत ये चाहते थे कि उनका क़रीबी ही राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया जाए. वह सचिन पायलट को सूबे का मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ़ थे और शायद इसीलिए उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया था कि कांग्रेस का अध्यक्ष चुने जाने तक वो राज्य का मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस नेतृत्व उनके इस इशारे को समझ नहीं सका.

अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ गहलोत खेमे के सूत्रों ने कहा कि नए सीएम की नियुक्ति के लिए सीएलपी की बैठक बुलाने का निर्णय चौंकाने वाला था क्योंकि मुख्यमंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र भी दाखिल नहीं किया था.

कुछ कांग्रेस नेताओं का मानना है कि सार्वजनिक तौर पर इशारों में राहुल गांधी का ये कहना कि गहलोत दोनों पदों पर नहीं बने रह सकते. उनके क़द के नेता के लिए शर्मिंदा करने वाला था जो आने वाले दिनों में पार्टी के अध्यक्ष हो सकते हैं.

अशोक गहलोत खेमे के सूत्रों का दावा है कि सचिन पायलट विधायकों को फोन कॉल कर रहे थे और कह रहे थे कि वह विधायक दल के नेता चुने जाएंगे और ये सब अशोक गहलोत के नामांकन भरने से पहले से ही चल रहा है.

अशोक गहलोत खेमे का कहना है कि इसके कारण ही विधायकों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी. ऐसे में सवाल ये है कि क्या गांधी परिवार से सिग्नल मिलते ही सचिन पाटयलट ने आगे बढ़कर ये कवायद शुरू कर दी? (bbc.com/hindi)

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