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हसदेव में कल आदिवासी समाज का प्रदर्शन, लिसिप्रिया भी शामिल होंगी
13-Oct-2022 9:56 AM
हसदेव में कल आदिवासी समाज का प्रदर्शन, लिसिप्रिया भी शामिल होंगी

बिलासपुर, 13 अक्टूबर। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति व सर्व आदिवासी समाज की ओर से 14 अक्टूबर को प्रदेश की कांग्रेस सरकार को वादा याद दिलाने के लिए एक बड़ा प्रदर्शन रखा गया है। इस आंदोलन में बाल पर्यावरण कार्यकर्ता लिसीप्रिया कंगुजम भी शामिल हो रही हैं।

संघर्ष समिति की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि हसदेव क्षेत्र के हरिहरपुर में रखे गए इस प्रदर्शन में क्षेत्र के प्रभावित आदिवासी, आदिवासी समाज के लोग और हसदेव क्षेत्र को हो रही क्षति से चिंतित समाजिक संगठन और कार्यकर्ता शामिल होंगे।

समिति की ओर से जयनंदन सिंह पोर्ते, मुनेश्वर सिंह पोर्ते, आनंदराम खुसरो, मंगल साय, उमेश्वर आर्मो आदि ने कहा कि हसदेव क्षेत्र में जंगल, जमीन, आजीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ग्रामीण आदिवासी और ग्राम सभायें पिछले एक दशक से आंदोलनरत हैं। 2 मार्च 2022 से शुरू हुआ अनिश्चितकालीन धरना अनवरत जारी है। हसदेव अरण्य के सरगुजा जिले में परसा, परसा ईस्ट, केते बासन और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक एवं कोरबा जिले में मदनपुर साउथ एवं पतरिया गिदमुड़ी ब्लॉक में ग्राम सभा के निर्णय को दरकिनार करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य और केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। इसके साथ ही परसा कोल ब्लॉक में फर्जी ग्राम सभा का प्रस्ताव बनाकर कंपनी ने वन स्वीकृति कंपनी ने हासिल कर ली। इसके खिलाफ आदिवासियों ने 4 अक्टूबर 2021 से 14 अक्टूबर 2021 तक 300 किलोमीटर की पदयात्रा करके रायपुर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा था कि वह पांचवी अनुसूची क्षेत्र की प्रशासक हैं। उनके रहते हसदेव के आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होगा। दुखद रूप से आज फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव की जांच भी नहीं हुई है। पांचवी अनुसूची क्षेत्र होने के बावजूद ग्राम सभा से सहमति लिए बिना ही भारी फोर्स की मौजूदगी में हजारों पेड़ों को काट दिया गया। आंदोलनकारियों पर लगातार फर्जी मामले भी पंजीबद्ध किए जा रहे हैं।

समिति ने प्रेस नोट में कहा है कि 2015 में राहुल गांधी ने मदनपुर में सभा करके हसदेव को बचाने का वादा किया था। उसके बाद पिछले एक वर्ष में उन्होंने कई बार हसदेव के आंदोलन को न केवल सही बताया बल्कि इसके शीघ्र समाधान की बात भी कही। आज हसदेव को बचाने की बात तो दूर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को कुचले जाने पर भी वे मौन हैं। शायद कारपोरेट के सामने वह भी अपने सिद्धांत और वादों से पीछे हट चुके हैं। इन परिस्थितियों में हसदेव के आदिवासियों के पास अपने आंदोलन को जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हसदेव नदी और उसके जल से सिंचित हो रहे लाखों हेक्टेयर खेती की जमीन वन्य प्राणियों के आवास और अस्तित्व के साथ निर्भरता, आजीविका, संस्कृति और अस्तित्व का विनाश नहीं होने दिया जाएगा। संघर्ष तब तक जारी रखा जाएगा जब तक सरकार खनन परियोजना और उससे जुड़ी समस्त सहमतियों  को निरस्त नहीं कर देती।

इधर बिलासपुर में आंदोलनरत संगठनों के प्रतिनिधि प्रथमेश ने बताया है कि चाइल्ड क्लाइमेट एक्टिविस्ट लिसीप्रिया कंगुजम हसदेव अरण्य में वन कटाई और कोयला खनन के विरोध में 14 अक्टूबर को हो रहे सर्व आदिवासी समाज सम्मेलन में और 15 अक्टूबर की शाम 4 बजे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रखे गए सेव हसदेव रैली में शामिल होंगीं।

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