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संविधान और नागरिकों का सरंक्षक होता है राज्यपाल : भाजपा
23-Oct-2022 2:04 PM
संविधान और नागरिकों का सरंक्षक होता है राज्यपाल : भाजपा

संतोष कुमार पाठक

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर | केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल और राजभवन की भूमिका को लेकर इस देश में लगातार सवाल उठते रहे हैं चाहे केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही हो या तीसरे मोर्चे की सरकार या क्षेत्रीय दलों के समर्थन पर टिकी यूपीए गठबंधन की सरकार रही हो या फिर क्षेत्रीय दलों के ही समर्थन पर टिकी एनडीए गठबंधन की पहली सरकार रही हो। वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ भी राज्यों के राज्यपाल की भूमिका को लेकर कई राज्यों में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल ने मोर्चा खोल रखा है।

तृणमूल कांग्रेस और उसकी मुखिया एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्य के राजभवन के रिश्ते जगजाहिर है। आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद से ही लगातार दिल्ली के उपराज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाती रही है और अब आप के निशाने पर पंजाब के राज्यपाल भी आ गए हैं। अन्य राज्यों की बात करें तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी नीट के मुद्दे पर लगातार राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

तो क्या वाकई, भाजपा राज्यपाल के जरिए विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों को परेशान कर रही है? भाजपा इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए पूरी तरह से निराधार बता रही है।

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से लोक सभा सांसद राजू बिष्ट ने कहा किसी भी राज्य का राज्यपाल संविधान और नागरिकों का सरंक्षक होता है और इसलिए राज्यपालों को संविधान के प्रावधान के अनुसार सख्ती से काम करना होता है लेकिन असंवैधानिक गतिविधियों में शामिल, भ्रष्टाचार की गतिविधियों में सलिंप्त और राजनीतिक विरोधियों को आतंकित करने में लगी राज्य सरकारें ही राज्यपाल की भूमिका पर सवाल खड़े कर रही है।

भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि देश में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं जिनमें से 12 राज्यों में गैर भाजपा या गैर एनडीए दलों की सरकारें हैं लेकिन राज्यपाल के साथ टकराव करने में सिर्फ दो राजनीतिक दल - तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सबसे आगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी 'संघवाद' की बात करती हैं लेकिन वह कभी भी 'सहकारी संघवाद' नहीं बोलती क्योंकि 'सहयोग' नाम का शब्द उनकी डिक्शनरी में ही नहीं है। टीएमसी सरकार पर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने, कट मनी कल्चर को बढ़ावा देने ,भ्रष्टाचार, हिंसा,आगजनी और आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसे कई गंभीर आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद ने कहा कि आखिर राज्य सरकार के इस तरह के रवैये पर कोई भी राज्यपाल या केंद्र सरकार चुप कैसे बैठ सकती है, कैसे नजरअंदाज कर सकती है?

विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बीच भाजपा भी पलटवार करते हुए राज्यपाल की भूमिका को संविधान सम्मत बताते हुए सवाल उठाने वाले मुख्यमंत्रियों पर संविधान और संवैधानिक परंपराओं के लगातार उल्लंघन का आरोप लगाते यह कह रही है कि ये लोग लोकतंत्र का अपमान कर रहे हैं।

दार्जिलिंग से लोक सभा सांसद राजू बिष्ट ममता बनर्जी पर सत्ता में बने रहने के लिए बार-बार संविधान को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। तो वहीं भाजपा राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग पंजाब की भगवंत मान सरकार पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार लगातार संवैधानिक संस्थाओं का अपमान कर लोकतंत्र का अपमान कर रही है। (आईएएनएस)

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