मनोरंजन
-मधु पाल
कोरोना के चलते हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए पिछले दो साल बहुत मुश्किल भरे थे.
इसलिए जब 2022 आया, तो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की उम्मीदें बढ़ीं और पिछले दो साल तक जो फ़िल्में रिलीज़ नहीं हो पाई थीं, वो भी इस साल रिलीज़ हुईं.
कुल मिलाकर इस साल 850 हिंदी फिल्में रिलीज़ हुईं. ये वो फ़िल्में हैं, जिन्हें सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया.
जबकि ओटीटी पर कम से कम 200 बड़ी और छोटी फ़िल्में आईं.
इन फ़िल्मों में ना कहानी ने फ़ैन्स को लुभाया और ना ही उनके पसंदीदा एक्टर्स ने.
शायद ये एक वजह रही कि फ़िल्म निर्माताओं को भारी नुक़सान उठाना पड़ा.
इस साल आईं उन फ़िल्मों की बात करते हैं जो बड़े स्टार और बड़े बजट के बावजूद फ़्लॉप रहीं.
इन 23 फ़िल्मों पर थी सबकी नज़र
आम तौर पर हर साल बॉलीवुड की लिस्ट में 30 फ़िल्में ऐसी होती हैं जिनका कलेक्शन ब्लॉकबस्टर रहता है.
बॉक्स ऑफ़िस पर इनके कलेक्शन को देख उन्हें हिट या सुपर हिट की श्रेणी में रखा जाता है.
बीबीसी हिंदी से बात करते हुए जाने माने फ़िल्म ट्रेड एनॉलिस्ट गिरीश वानखेड़े कहते हैं, "इस साल भी 23 ऐसी फ़िल्में थीं, जिनकी लागत बहुत थी और बड़े सुपरस्टार के होने के नाते उनका हिट होना तय माना जा रहा था."
उनके मुताबिक, इस साल 850 फ़िल्मों में से 22 को लेकर बहुत उम्मीद लगाई जा रही थी.
लेकिन इनमें सिर्फ़ पाँच फ़िल्में ही सफल रहीं जैसे- 'कश्मीर फाइल्स', 'भूल भुलैया-2' , 'दृश्यम-2', 'ब्रह्मास्त्र' और 'गंगूबाई'.
लेकिन बॉलीवुड की इस ख़ाली जगह को दक्षिण भारत की फ़िल्मों 'RRR', 'केजीएफ़-2', 'पुष्पा' और 'कांतारा' ने भरा.
गिरीश वानखेड़े कहते हैं, "हिंदी में भी रिलीज़ होने के चलते इन फ़िल्मों ने बॉक्स ऑफिस के बिजनेस में इजाफ़ा किया. इनकी वजह से बॉलीवुड की कमाई में इजाफ़ा हुआ. बॉलीवुड की ये हालत एक चिंता का विषय है, इस साल इंडस्ट्री को भारी नुक़सान झेलना पड़ा और करोड़ों रुपए डूब गए."
नहीं चलीं अक्षय की फ़िल्में
गिरीश वानखेड़े के अनुसार इस साल फ़्लॉप फ़िल्में ज़्यादा रहीं. कई डिज़ास्टर फ़िल्में या बेहद ख़राब फ़िल्मों ने सबसे बड़ा झटका दिया. इनकी मार्केटिंग अच्छी थी, बजट अच्छा ख़ासा था लेकिन वे चली नहीं.
वो कहते हैं कि इन फ़िल्मों में पहला नाम 'सम्राट पृथ्वीराज' का है. उसका बजट 220 करोड़ रुपए था. लेकिन उसका बिज़नेस 82 करोड़ रुपए रहा. यह बहुत बड़े बजट की फ़िल्म थी और लीड रोल में थे अक्षय कुमार.
गिराश कहते हैं, "इसका फ़्लॉप होना इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका था. बड़े बजट और बड़े स्टार कास्ट वाली दूसरी फ़्लॉप फ़िल्म थी 'बच्चन पांडे' और इसमें भी लीड रोल में अक्षय कुमार ही थे. इस फ़िल्म का बजट 160 करोड़ रुपए था और बॉक्स ऑफ़िस पर इसका कलेक्शन क़रीब 60 करोड़ रुपए हुआ. यह बहुत बड़ी डिजास्टर फ़िल्म थी."
वो कहते हैं, "अगर डिज़ास्टर फ़िल्मों की बात करें तो आमिर ख़ान की 'लाल सिंह चड्ढा' भी इसी श्रेणी में आती है. उसका बजट था 180 करोड़ रुपए और उसने कमाई की महज़ 73 करोड़ रुपए."
"इसी तरह फ़िल्म थी 'विक्रम वेदा', जिसका बजट था 150 करोड़ रुपए और बिजनेस हुआ 93 करोड़ रुपए. इन फ़िल्मों से अच्छे बिज़नेस की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इनका हाल बहुत बुरा रहा."
यशराज से लेकर धर्मा तक सबको तगड़ा झटका
गिरीश आगे कहते हैं, "फ़ेस्टिवल में रिलीज़ हुई अक्षय कुमार की फ़िल्म 'रक्षाबंधन' 70 करोड़ में बनी थी लेकिन इसका कलेक्शन रहा 57 करोड़ रुपए. 'इस फ़िल्म के प्रमोशन में भी ख़ूब पैसा लगाया गया. फिर आई रणबीर कपूर की 'शमशेरा' जिसका बजट 150 करोड़ रुपए था, जो सिर्फ़ 47 करोड़ रुपए का बिज़नेस कर पाई."
धर्मा प्रोडक्शन की 'लाइगर' को हिंदी के अलावा तेलुगू में भी रिलीज़ किया गया. इसका बजट था 100 करोड़ रुपए लेकिन ये फ़िल्म 48 करोड़ में ही सिमट गई. इसी फ़िल्म से साउथ के सुपरस्टार विजय देवरकोंडा ने हिंदी आडियंस में एंट्री ली थी.
इसके बाद आई 'एक विलन रिटर्न्स'. इसे बनाने में 75 करोड़ रुपए लगे और इसने 46 करोड़ रुपए कमाई की.
'रनवे 34' फ़िल्म ऐसी थी जिसमें अजय देवगन ने निर्देशन के साथ साथ अभिनय भी किया था.
इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन भी थे, इसका बजट था 80 करोड़ रुपए. इसे दो बड़े स्टार भी नहीं बचा पाए और इसका कलेक्शन महज़ 41 करोड़ रुपए हो पाया.
गिरीश कहते हैं, "इसके अलावा 'भेड़िया' को भी अगर देखा जाए तो फ़्लॉप ही कहेंगे. इसका बजट 60 करोड़ और कलेक्शन 40 करोड़ रहा."
उनके अनुसार- आर माधवन की 'रॉकेटरी' एक औसत फ़िल्म थी. 30 करोड़ के बजट में बनी थी और इसने 40 करोड़ तक का बिजनेस किया. फ़िल्म 'जुग जुग जियो' इसी तरह की फ़िल्म थी, जिसका बजट 100 करोड़ था और उसने 90 करोड़ रुपए की कमाई भी की.
टाइगर श्रॉफ की फ़िल्म 'हीरोपंती 2' भी बहुत बड़ी फ्लॉप फ़िल्म रही. इस फ़िल्म का बजट था क़रीब 80 करोड़ रुपए था, लेकिन कमाई हुई सिर्फ़ 27 करोड़ रुपए.
छोटे बजट की फ़िल्मों का भी बुरा हाल
इस साल की शुरुआत से ही बॉलीवुड फ़िल्मों की क़िस्मत अच्छी नहीं रही.
गिरीश कहते हैं कि साल की शुरुआत में ही राज कुमार राव की फ़िल्म 'बधाई दो' रिलीज़ हुई. बजट था सिर्फ़ 30 करोड़ रुपए, लेकिन ये उतनी भी कमाई नहीं कर पाई जितनी उम्मीद की जा रही थी.
अभिनेता शाहिद कपूर की फ़िल्म 'जर्सी' का बजट 60 करोड़ रुपए था, लेकिन कलेक्शन रहा महज़ 22 करोड़ रुपए. अभिनेता जॉन अब्राहम की फ़िल्म 'अटैक' का बजट भी इतना ही था और कमाई भी इसी के आसपास क़रीब 21 करोड़ की हुई.
अमिताभ बच्चन की फ़िल्म 'झुंड' आई थी, जिसका बजट था 20 करोड़ रुपए था और जिसने बॉक्स ऑफ़िस पर 17 करोड़ रुपए कमाई की.
आयुष्मान खुराना की 'एक्शन हीरो' भी फ़्लॉप ही रही, उसकी कमाई भी ना के बराबर रही
फ़िल्में फ़्लॉप होने की वजहें
गिरीश वानखेड़े की मानें तो इन फ़िल्मों के फ़्लॉप होने का मुख्य कारण ख़राब कंटेन्ट रहा.
वो कहते हैं, "अगर आपका कंटेन्ट अच्छा हो, जैसे 'दृश्यम 2' के बारे में कह सकते हैं, तो सात साल पहले दृश्यम देखने के बावजूद भी यह हिट रही. क्योंकि विजय सलगांवकर की फ़ैमिली के साथ लोगों का कनेक्शन था."
उनके मुताबिक, फ़िल्में 'फ़ोन भूत,' 'ओम', 'शमशेरा,' 'दोबारा,' 'लाल सिंह चड्ढा', 'लाइगर,' लोगों को पसंद नहीं आई.
वो कहते हैं, "लाल सिंह चड्ढा में आमिर ख़ान का परसोनिफ़िकेशन लोगों को जँचा नहीं. एक्शन हीरो से लोग कनेक्ट नहीं कर पाए. 'बधाई दो' से भी लोग नहीं कनेक्ट कर पाए."
देर से रिलीज़ होना था फ़्लॉप का कारण?
गिरीश वानखेड़े के अनुसार, "ये फ़िल्में इसलिए नहीं फ़्लॉप हुईं कि कोविड के कारण इनकी रिलीज़ में ज़रूरत से ज़्यादा देरी हुई. कारण बिल्कुल साफ़ है कि ये फ़िल्में खराब थीं, उन फ़िल्में की स्टोरी लाइन ख़राब थी. उनमें दम नहीं था. जिसको कहानी कहते हैं वह कहानी नहीं थी. स्क्रिप्ट पर ध्यान नहीं दिया गया था."
वो इसका कारण बताते हैं कि 'अगर स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया जाता तो ये क्यों फ़्लॉप होतीं. कार्तिक आर्यन की 'भूलभुलैया' चली, फ़िल्म 'ऊँचाई' को लोगों ने पसंद किया, 'चुप' भी चली.'
वो कहते हैं, "दूसरी फ़िल्में जैसे 'थैंक गॉड', 'रामसेतु', 'सलाम वेंकी' जैसी फ़िल्में इसलिए नहीं चलीं क्योंकि उनकी कहानी में दम नहीं था. प्रमोशन अच्छे हुए, मार्केटिंग अच्छी हुई लेकिन स्क्रिप्ट पर काम नहीं हुआ." (bbc.com/hindi)