राष्ट्रीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का अहमदाबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया है. प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्विटर पर लिखा कि उन्होंने अपनी मां में हमेशा एक "तपस्वी" और एक "कर्मयोगी" की छवि देखी.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
99 साल की हीराबेन मोदी अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में पिछले दो दिनों से भर्ती थीं. शुक्रवार 30 दिसंबर की सुबह उनका निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार गांधीनगर में प्रधानमंत्री और उनके दोनों भाइयों की मौजूदगी में हुआ.
हीराबेन के निधन पर प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा, "शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम...मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है."
खुद प्रधानमंत्री ने ही जून 2022 में जानकारी दी थी कि इस साल उनकी मां अपने जन्म शताब्दी के वर्ष में प्रवेश कर गईं. साथ ही उनके दिवंगत पिता दामोदरदास मोदी का जन्म शताब्दी वर्ष 2022 में पूरा हो गया.
अपने दो दशक लंबे सार्वजनिक जीवन में मोदी ने राष्ट्र के प्रति समर्पित और परिवार से दूर रहने वाले एक कर्मयोगी की छवि विकसित की है. लेकिन इस छवि को गढ़ने की पूरी यात्रा में उनकी मां का एक विशेष स्थान था.
हीराबेन प्रधानमंत्री के सार्वजनिक जीवन का हिस्सा नहीं भी थीं और एक तरह से थीं भी. मोदी ने खुद यह कहा है कि एक-आध उदाहरण छोड़ कर उनकी मां कभी उनके साथ किसी सरकारी कार्यक्रम या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं गईं.
लेकिन मोदी खुद अक्सर अपनी गुजरात यात्राओं के दौरान अपनी मां से मिलने गांधीनगर स्थित उनके घर जाते थे. विशेष बात यह है कि ये मुलाकातें हमेशा कैमरों की मौजूदगी में हुआ करती थीं. सरकारी और निजी टेलीविजन चैनल इन मुलाकातों की फुटेज दिखाते थे और उसके बाद प्रधानमंत्री खुद मां से मिलने की तस्वीरें ट्वीट किया करते थे.
आज भी एक तरफ प्रधानमंत्री की मां के अंतिम संस्कार का दिन है तो दूसरी तरफ आज उन्हें आधिकारिक यात्रा पर पश्चिम बंगाल जाना था और कई परियोजनाओं को हरी झंडी दिखानी थी.
लेकिन अंतिम संस्कार की वजह से पश्चिम बंगाल के कार्यक्रमों को स्थगित नहीं किया गया है. प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा है कि वो सभी कार्यक्रमों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल होंगे. (dw.com)