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रायपुर, 26 जनवरी। सीएम भूपेश बघेल चुनावी बजट के लिए कल शुक्रवार से मंत्री स्तरीय चर्चाएं शुरू कर रहे हैं। कल पहले ही दिन बेरोज़गारी भत्ता के प्रावधान को मंजूरी मिल जाएगी। अब देखने वाली बात यह रहेगी कि सरकार कितने बेरोज़गारों को इसके दायरे में लाती है।
2018 के जन घोषणा पत्र के मुताबिक यह भत्ता चार वर्षों से मिलना था। इसे लेकर तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग ने 2019-20 के बजट से ही शुरू करने का प्रस्ताव दिया था। कैबिनेट के लिए तैयार संक्षेपिका के अनुसार 2019-20 में प्रदेश में 25 लाख बेरोज़गार बताए गए और हरेक को 2500 रूपए भत्ता देने पर 250 करोड़ का व्यय भार आंका गया था। वहीं पिछले चुनाव से पहले युकां, एनएसयूआई ने सर्वे कर 34 लाख बेरोजगार बताए थे। यदि इन सभी को भत्ता दिया जाएगा तो सरकार को 340 करोड़ रुपए लगेंगे।
इस बीच सरकार का यह भी दावा है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान बेरोज़गारी दर प्रदेश में 1% से भी कम रह गई है।और देश में 8%। इस दावे के साथ भत्ता देने में खेला कर सकती है। हो सकता है बेरोज़गारी भत्ता के लिए क्राइटेरिया ऐसे तय करे कि बेरोजगारों की संख्या 17--20 लाख के बीच सिमट जाए। ताकि इससे व्यय भार में कमी आए। यानी अपने ही दावे और उपलब्धि में सरकार फंस सकती है।
बहरहाल कल होने वाली बजट चर्चा में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा और रोजगार मंत्री उमेश पटेल ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। कल सबसे पहले उनके ही विभागों की बारी है। वैसे राजनीतिक तौर पर तो बघेल ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से एक और मुद्दा छीन लिया है। वैसे सीएम बघेल ने एक अप्रैल से बेरोज़गारी भत्ता देने की घोषणा की है। इसे लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पूरे चार वर्षों से बघेल सरकार को घेरे हुए थी। भाजपा ने भाजयुमो के अगस्त में युवा मोर्चा के बड़े आंदोलन के साथ अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। अब एक अप्रैल से बेरोज़गारी भत्ता वितरण करते ही भाजपा एक और मुद्दे से ठगा हुआ महसूस करेंगी।