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(पायल बनर्जी)
नयी दिल्ली, 19 मार्च। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में विभिन्न अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों की कमी का समाधान करने के लिए उनकी केंद्रीकृत भर्ती व्यवस्था शुरू करने की संभावना पर विचार कर रहा है।
इस संबंध में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल , स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (पीएमएसएसवाई), नयी दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक की सदस्यता वाली समिति बनायी गयी है।
28 फरवरी को जारी एक आदेश में कहा गया, ‘‘ विभिन्न एम्स में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया को मजबूत करने तथा इस संबंध में केंद्रीकृत भर्ती व्यवस्था की संभावनाएं खंगालने के लिए आठ जनवरी को भुवनेश्वर एम्स में केंद्रीय संस्थान निकाय (सीआईबी) की एक बैठक हुई थी जिसके बाद समिति का गठन किया गया था।’’
मंत्रालय ने पिछले साल लोकसभा में कहा था कि देश में 14 नये एम्स में शिक्षकों के करीब 44 फीसद पद रिक्त हैं तथा राजकोट एम्स में कुल मंजूर शिक्षकों के 183 पद के सापेक्ष केवल 40 शिक्षक हैं।
सरकार के अनुसार जिन एम्स में शिक्षकों की भारी कमी है, उनमें राजकोट एम्स के बाद विजयपुर एम्स और गोरखपुर एम्स आते हैं जहां शिक्षकों की संख्या बहुत कम है।
मंत्रालय ने कहा था कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों में एमबीबीएस विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सरकार ने पर्याप्त संख्या में शिक्षकों के पदों को मंजूरी दी थी ।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘केंद्रीय भर्ती व्यवस्था अध्यापकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया को और पारदर्शी एवं सुचारु बनाएगी। इसके अलावा इससे एक एम्स से दूसरे एम्स में स्थानांतरण भी सुगम होगा। फिलहाल ये एम्स अलग-अलग अपने कर्मियों की भर्ती करते हैं। यह देखा गया है कि प्रतिभाशाली चिकित्सक अपने राज्य से बाहर जाने के प्रति अनिच्छुक रहते हैं या उन क्षेत्रों में नहीं जाना चाहते हैं जहां आना -जाना मुश्किल होता है।’’
मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार 18 नये एम्स के लिए कुल 4,026 मंजूर पद हैं जबकि उनमें 2259 पद ही भरे गये हैं। (भाषा)