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बल्ले पर फ़लस्तीनी झंडे का स्टिकर लगाने पर क्रिकेटर आज़म ख़ान घिरे, आईसीसी के नियम क्या हैं?
28-Nov-2023 1:14 PM
बल्ले पर फ़लस्तीनी झंडे का स्टिकर लगाने पर क्रिकेटर आज़म ख़ान घिरे, आईसीसी के नियम क्या हैं?

सात अक्टूबर को हमास की ओर से इसराइल पर किए गए हमले के बाद शुरू हुई जंग में अब तक 14 हज़ार से ज़्यादा फ़लस्तीनी नागरिक मारे गए हैं. वहीं इसराइल के भी क़रीब 1200 लोग मारे गए हैं.

खेल और मनोरंजन से लेकर तमाम दूसरे क्षेत्रों से जुड़ी कई हस्तियां सोशल मीडिया पर फ़लस्तीन के पक्ष में समर्थन जताती नज़र आई हैं.

इसके चलते कई हस्तियों को अपने पेशेवर जीवन में आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

मसलन शो बिज़नेस की दुनिया से जुड़े कई अदाकारों और खिलाड़ियों को अपने समझौतों के रद्द होने जैसी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

इस सूची में पाकिस्तानी क्रिकेटर आज़म ख़ान का भी नाम जुड़ गया है जिन्हें पाकिस्तान में होने वाली एक राष्ट्रीय क्रिकेट लीग के दौरान बल्ले पर फ़लस्तीनी झंडे का स्टिकर लगाने पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ओर से जुर्माने का सामना करना पड़ा है.

राष्ट्रीय टी-20 टूर्नामेंट में बल्लेबाज़ आज़म ख़ान की ओर से अपने बल्ले पर फ़लस्तीनी झंडे का स्टिकर लगाने पर मैच फ़ीस का पचास प्रतिशत जुर्माना लगाया गया है.

ध्यान रहे कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) के नियम और शर्तों के तहत खिलाड़ियों की किट या सामान पर पहले से स्वीकृत न किए गए स्टिकर, विशेष कर मैच के दौरान धार्मिक और राजनीतिक संदेश पर आधारित स्टिकर नहीं लगाए जा सकते.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) इस तरह के मामले में आईसीसी के नियमों का पालन करने का पाबंद है.

आईसीसी के नियम क्या हैं?

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अनुसार, आज़म ख़ान पर जुर्माना इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नियमों के उल्लंघन पर लगाया गया है.

आईसीसी के नियम के अनुसार किसी विशेष सरकार, राजनीतिक दल या व्यक्ति के समर्थन की ओर इशारा करने वाले संदेशों पर पाबंदी है.

‘राजनीतिक धार्मिक या जातीय उद्देश्य’ के लिए किसी भी तरह के संदेश के बारे में आईसीसी के नियम के साथ एक नोट नत्थी किया गया है.

इस नोट में कहा गया है कि आईसीसी और उसके सदस्य इस पर सहमति जताते हैं कि क्रिकेट को दुनिया भर के लोगों और समुदायों को एक साथ लाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए न कि फूट डालने वाली राजनीतिक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्लेटफ़ॉर्म के तौर पर या बयानबाज़ी के लिए.

आईसीसी के नियमों के अनुसार किसी भी खिलाड़ी के कपड़े, शर्ट, टी शर्ट, पतलून, स्वेटर, टोपी, हेलमेट, कलाई के बैंड, हेडबैंड, चश्मा या दूसरे हेडगियर पर केवल पहले से स्वीकृत लोगो ही लगाए जा सकते हैं.

आईसीसी क्रिकेट के सामान जैसे स्टंप्स, बैट, पैड, जूते, दस्ताने और दूसरे नज़र आने वाले सुरक्षात्मक सामान पर भी केवल आईसीसी के स्वीकृत लोगो लगाने की इजाज़त देता है.

इसके अलावा अगर कोई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट आयोजन है तो उसका लोगो भी आईसीसी से स्वीकृत होगा.

खिलाड़ियों के बल्लों के बारे में आईसीसी के नियम के अनुसार उस पर किसी खिलाड़ी के स्पॉन्सर का केवल स्वीकृत लोगो हो सकता है.

आईसीसी के नियमों के अनुसार कोई भी लिबास या साज़ो सामान जो उन शर्तों को पूरी नहीं करते, पूरी तरह प्रतिबंधित है.

ख़ास कर क्रिकेट के कपड़ों या क्रिकेट के साज़ो सामान पर राष्ट्रीय लोगो, व्यापारिक लोगो, इवेंट लोगो, मैन्युफ़ैक्चरर्स का लोगो, खिलाड़ी का बैट लोगो, चैरिटी लोगो या नॉन कमर्शियल लोगो के अलावा किसी भी लोगो को लगाने की इजाज़त नहीं है.

इसके अलावा जहां कोई मैच ऑफ़िशियल किसी ऐसे लिबास या साज़ो सामान के बारे में बताता हो जो उन शर्तों को पूरी नहीं करते तो ऐसे व्यक्ति को खेल के मैदान में जाने से रोका जा सकता है.

इन नियमों और शर्तों के तहत, किसी भी व्यक्ति के लिए कोई लिबास पहनना या किसी भी ऐसे सामान का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित होगा जो बदला हुआ हो या ऑल्टर किया गया हो और किसी भी तरह से मैच ऑफ़िशियल की राय में उस पेशेवर स्तर को नुक़सान पहुंचाए जो सभी खिलाड़ियों के लिए ज़रूरी है.

सोशल मीडिया पर आज़म ख़ान का समर्थन और पीसीबी की निंदा

आज़म ख़ान की ओर से फ़लस्तीन के लिए समर्थन जताने पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने तो अपना फ़ैसला सुना दिया लेकिन बहुत से पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूज़र्स आज़म ख़ान के इस क़दम पर काफ़ी ख़ुश हैं और उनकी तारीफ़ कर रहे हैं.

सोशल मीडिया यूज़र्स आज़म ख़ान पर जुर्माना लगाने के पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के फ़ैसले की तीखी आलोचना कर रहे हैं.

ऐसे ही कुछ यूज़र्स का कहना है, ''आज़म ख़ान पर जुर्माना लगाना सही नहीं बल्कि पाकिस्तान को खुलकर फ़लस्तीन का समर्थन करना चाहिए.''

एक यूज़र सरदार रियाज़ उल हक़ का कहना था, ''कोई फ़र्क़? इंडिया वालों ने तो दर्शक को पकड़ा और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ी पर ही जुर्माना लगा दिया. इंडिया तो है ही इसराइली क्लब में. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का दम क्यों निकला जा रहा है.''

इसी तरह अलीज़े नाम के यूज़र का कहना था, ''अगर फ़लस्तीन का साथ देना जुर्म है तो आज़म ख़ान अकेले नहीं, हम सबको जुर्माना देना होगा. आज़म ख़ान के लिए सम्मान.''

एक भावुक यूज़र ने तो आज़म ख़ान को यह बल्ला नीलामी में लगाने की राय दे दी और पचास हज़ार रुपये की पहली बोली भी लगा दी.

लेकिन कुछ यूज़र्स का विचार है कि खेल को ऐसी गतिविधियों से दूर रखना ही बेहतर है.

उन्हीं में से एक ताहिर शहज़ाद का कहना है, ''खेल और राजनीति को अलग ही रखना चाहिए. ग्राउंड में हर सोच के दर्शक मौजूद हों तो क्या खेल में मैदान को अफ़रा तफ़री के माहौल में बदलना सही है?

अगर भारतीय खिलाड़ी कश्मीर पर या अफ़ग़ान खिलाड़ी टीटीपी के झंडों पर राजनीति करते नज़र आएं तो क्या होगा? खेल के मैदान को मैदान-ए-जंग नहीं मैदान-ए-अमन बनाएं. मगर काश!”

फ़लस्तीन के पक्ष में पोस्ट करने वाले दूसरे खिलाड़ी

दूसरे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों में अनवर अल ग़ाज़ी शामिल हैं. उनकी ओर से इसराइल-फ़लस्तीन विवाद से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट्स के बाद जर्मन फ़ुटबॉल क्लब मेंज़ 05 ने उनके साथ समझौता ख़त्म कर दिया.

फ़्रांस के नाइस फ़ुटबॉल क्लब ने अल्जीरिया के फ़ुटबॉलर यूसुफ़ अतल को हमास- इसराइल विवाद से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट करने पर सस्पेंड कर दिया जबकि फ़्रांसीसी फ़ुटबॉल स्टार करीम बेनज़ेमा, जो अब सऊदी क्लब अल इत्तिहाद के लिए खेलते हैं, उन्हें भी एक सोशल मीडिया पोस्ट में ग़ज़ा के लोगों के समर्थन के बाद तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है.

इसके अलावा मोरक्को के कई फ़ुटबॉल खिलाड़ियों ने सोशल मीडिया पर ग़ज़ा के साथ एकजुटता दिखाई है, जिसकी वजह से वो पश्चिमी मीडिया में आलोचना का निशाना बन गए हैं.

एटलस लायंस के खिलाड़ी और बायर्न म्यूनिख़ के डिफेंडर नोसेर मज़रावी ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने इसराइल की नई जंग का सामना करने वाले फ़लस्तीनियों के लिए ‘फ़तह’ की इच्छा जताई.

आज़म ख़ान कौन हैं?

आज़म ख़ान पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और विकेटकीपर बैट्समैन मोईन ख़ान के बेटे हैं. अपने पिता की तरह वह भी विकेटकीपर बैट्समैन हैं जिन्हें आक्रामक बल्लेबाजी करने में मज़ा आता है.

मोईन ख़ान भी बड़े-बड़े गेंदबाज़ों की परवाह न करते हुए चौके छक्के लगाने के लिए मशहूर थे.

आज़म ख़ान ने 12 साल की उम्र में उस वक़्त धाक जमा दी थी जब इंटर स्कूल टूर्नामेंट के एक मैच में उन्होंने डबल सेंचुरी स्कोर की जिसके बाद उन्होंने अपने पिता की क्रिकेट एकेडमी में आना शुरू कर दिया.

आज़म ख़ान क्लब क्रिकेट के एक सफल बैट्समैन हैं.

वह अपने क्लब करियर में 50 से अधिक शतक बना चुके हैं. उन्हें जिन लोगों ने बैटिंग करते देखा है वह बताते हैं कि मोईन ख़ान अकादमी में बैटिंग करते हुए उनके गगनचुंबी छक्के मैदान से बाहर जाकर गिरते थे, जो आम बात थी.

एक क्लब मैच में उन्होंने अपने पिता के साथ ओपनिंग की और आठ चौकों की मदद से केवल 38 गेंद पर 88 रन बनाए. (bbc.com)

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