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विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस से ख़फ़ा 'इंडिया' के सहयोगी?
05-Dec-2023 12:46 PM
विधानसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस से ख़फ़ा 'इंडिया' के सहयोगी?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में आए विधानसभा चुनाव नतीजों को लेकर निराशा ज़ाहिर की. उन्होंने कहा कि ये 'इंडिया (विपक्षी दलों का गठबंधन) की नहीं बल्कि कांग्रेस की हार है.'

आज कई प्रमुख अख़बारों ने चुनावी हार के बाद विपक्षी राजनीतिक दलों के 'इंडिया' गठबंधन में कांग्रेस पर बढ़ते हमलों को प्रमुखता से छापा है. प्रेस रिव्यू में सबसे पहले यही ख़बर.

अंग्रेज़ी अख़बार 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' ने लिखा है कि ममता बनर्जी ने ये एलान कर दिया है कि वो छह दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर होने वाली इंडिया की बैठक में नहीं जाएंगी. ममता बनर्जी ने इसके पीछे ये कारण दिया कि उन्हें 'पहले नहीं बताया गया था.'

बनर्जी ने कांग्रेस की रणनीति की आलोचना करते हुए ये भी कहा कि चुनावी रणनीति हमेशा सही होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि केवल भाषण देकर चुनाव जीतने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. उन्होंने विपक्षी दलों के बीच उन पार्टियों पर भी निशाना साधा जिन्होंने इन चुनावों में एक-दूसरे के सामने खड़े होकर वोट काटने का काम किया, जिसका फायदा बीजेपी को मिला.

बनर्जी की ये आलोचना ऐसे समय आई है जब इंडिया गठबंधन के कई सदस्यों ने सीट शेयर करने में कांग्रेस की अनिच्छा को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है.

ख़बर के अनुसार शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने भी कांग्रेस के कमलनाथ पर मध्य प्रदेश में एसपी जैसे गठबंधन के सहयोगियों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने कमलनाथ पर 'इंडिया' के सिद्धांतों का पालन न करने का आरोप लगाया है. साथ ही कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं पर राहुल और प्रियंका गांधी के प्रयासों को कमज़ोर करने का आरोप भी लगाया गया है.

हालांकि, उद्धव ठाकरे इंडिया की बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली आएंगे लेकिन पार्टी के सांसद संजय राउत ने बड़ी पार्टियों की प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि कांग्रेस जैसे बड़े दल छोटी पार्टियों को साथ लेकर नहीं चल रहे.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी हमलावर रुख अपनाते हुए कहा, "कांग्रेस ने लालची रवैया दिखाया. उसने बीजेपी विरोधी ताकतों को एक साथ लाने की बजाय सबकुछ अपने हाथों में रखने और दबदबा बनाने को चुना. चुनावी नतीजे इसी रवैये का परिणाम है."

मध्य प्रदेश चुनाव में सीटों के बंटवारे पर अखिलेश यादव पहले ही कांग्रेस से नाराज़गी जता चुके हैं. अब नतीजे आने पर समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कांग्रेस को सबक लेने की सलाह दी है.

उन्होंने कहा, "कांग्रेस को इस चुनाव नतीजे से सबक लेना चाहिए. हम सबको सबक लेना चाहिए. हम सब इसकी समीक्षा करेंगे. 2024 का लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन को मज़बूत करने के बाद लड़ना चाहिए."

कांग्रेस पर सीट बंटवारे को लेकर दबाव
अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि इंडिया गठबंधन के कम से कम दो दलों ने कांग्रेस पर बिना देरी किए 2024 लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर बात शुरू करने का दबाव बनाया है.

अख़बार ने ममता बनर्जी के उस बयान को रेखांकित किया है जिसमें उन्होंने कहा था, "आंकड़े देखिए. बीजेपी बहुत कम अंतर से जीती है. ये विपक्षी दलों के वोट में बंटने की वजह से हुआ है. इसलिए सही तरीके से सीटों का बंटवारा होना चाहिए."

वहीं अखिलेश यादव के बयान को भी जगह दी गई है.

सपा प्रमुख ने कहा, "नतीजे आ गए हैं और अहंकार खत्म हो गया."

मिज़ोरम में जीत दर्ज करने वाले लालदुहोमा रह चुके हैं इंदिरा गांधी के सुरक्षा दस्ते का हिस्सा

मिज़ोरम में मौजूदा सीएम ज़ोरामथांगा की पार्टी को हराने वाले लालदुहोमा अब राज्य के अगले मुख्यमंत्री बन सकते हैं. 74 साल के पूर्व आईपीएस अधिकारी लालदुहोमा मिज़ोरम में जाना-पहचाना नाम हैं.

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने बताया है कि लालदुहोमा देश के पहले सांसद थे जिन्हें दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दिया गया था और उसके बाद विधायक के तौर पर भी उनका पद गया था.

म्यांमार की सीमा से सटते चंफाई ज़िले के तुआलपुई गांव में जन्में लालदुहोमा ने गरीबी से बचने के लिए पढ़ाई-लिखाई की.

हालांकि, उनकी ये मेहनत रंग लाई. साल 1972 में जब मिज़ोरम केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था, तब वहां के पहले सीएम सी चुंगा ने उन्हें अपने कार्यालय में मुख्य सहयोगी का काम दिया.

लालदुहोमा ने इस नौकरी के साथ-साथ गुवाहाटी यूनिवर्सिटी में शाम के एक कोर्स में दाखिला लिया. उन्होंने यहां से स्नातक किया और फिर पांच साल बाद सिविल सेवा की परीक्षा भी पास की.

आईपीएस अधिकारी के तौर पर लालदुहोमा को गोवा में पोस्टिंग मिली. इस दौरान उन्होंने ड्रग माफ़ियाओं के प्रति कड़ा रुख अपनाया, जो कि उस समय की पीएम इंदिरा गांधी को पसंद आ गया. इसके बाद लालदुहोमा का तबादला 1982 में दिल्ली किया गया और फिर वो इंदिरा गांधी के सुरक्षा दस्ते में शामिल हुए.

उस समय लालदुहोमा ने विद्रोही नेता लालदेंगा के मिज़ो नेशनल फ़्रंट को सरकार से बातचीत के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, 1984 में लालदुहोमा ने अपनी नौकरी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया.

वह मिज़ोरम से सांसद बने, लेकिन चार साल बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया.

यूपी में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे अधिक अपराध: रिपोर्ट

अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है.

अख़बार लिखता है, "योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के कुल 65 हज़ार 743 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद महाराष्ट्र में 45 हज़ार 331 और राजस्थान में 45058 केस दर्ज हुए. ये आंकड़े 2022 के हैं. साल 2021 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध को लेकर दर्ज मामलों की संख्या 56 हज़ार 83 थी. इसके बाद राजस्थान में 40 हज़ार 738 केस दर्ज किए गए थे."

ख़बर के अनुसार अभी-अभी संपन्न हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने महिलाओं के खिलाफ़ अपराध को अपने चुनावी प्रचार का अहम हिस्सा बनाया था. राजस्थान में बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

बीते साल देशभर में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 4 लाख 45 हज़ार से अधिक केस आए, जो 2021 की तुलना में चार फ़ीसदी अधिक थे.

इनमें से अधिकांश मामले पति या रिश्तेदारों की ओर से होने वाले अत्याचार से जुड़े थे. इसके बाद अपहरण, किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला और बलात्कार से जुड़े थे.

तेलंगाना में सीएम के नाम पर सस्पेंस बरकरार

तेलंगाना में बीआरएस को हराकर सबसे अधिक सीटों पर जीतने वाली कांग्रेस अभी भी सीएम पद के लिए नाम पर मंथन कर रही है.

अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस आलाकमान ने अब तक विधायक दल के नेता के नाम पर आख़िरी फ़ैसला नहीं लिया है.

हालांकि, तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी का नाम हर किसी के दिमाग में है लेकिन हाई कमान ने अभी तक इसपर मुहर नहीं लगाई है. सोमवार को हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर आखिरी फैसला छोड़ दिया गया.

ख़बर के अनुसार एआईसीसी की ओर से नियुक्त पर्यवेक्षक और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री पद के दावेदारों और विधायकों के साथ कई दौर की वार्ता की है. साथ ही एक-एक विधायक से उनकी राय भी पूछी गई है और इस आधार पर पार्टी हाई कमान को रिपोर्ट सौंप दी गई है.

ऐसा कहा जा रहा था कि सोमवार शाम तक सीएम के नाम पर फ़ैसला आ जाएगा और रात में राजभवन में शपथग्रहण होगा. लेकिन सोमवार देर शाम पार्टी हाई कमान ने डीके शिवकुमार और अन्य पर्यवेक्षकों को और विचार-विमर्श के लिए दिल्ली बुलाया. अब गेंद कांग्रेस आलाकमान के हाथों में है और माना जा रहा है कि मंगलवार या बुधवार तक सीएम के नाम पर फैसला हो जाएगा. (bbc.com)

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