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अब भारतीय सेना की महिला अधिकारी सियाचिन पर भी तैनात
13-Dec-2023 1:24 PM
अब भारतीय सेना की महिला अधिकारी सियाचिन पर भी तैनात

भारतीय सेना ने पहली बार महिला अधिकारियों को सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात किया है. 15,200 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया की सबसे ऊंची और मुश्किल युद्धभूमि के रूप में जाना जाता है.

  डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट- 

भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी को लेकर ऐतिहासिक रूप से मौजूद संकोच जैसे-जैसे कम हो रहा है, वैसे वैसे महिला अधिकारी नए मुकाम हासिल करती जा रही हैं. इसी क्रम में पहली बार हिमालय की चोटियों पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर पर भी पहली बार महिला अधिकारियों को तैनात किया गया है.

कुछ ही दिनों पहले स्नो लेपर्ड ब्रिगेड की कैप्टन गीतिका कॉल सियाचिन पर तैनात की जाने वाली भारतीय सेना की पहली मेडिकल अधिकारी बनी थीं. अब सियाचिन वॉरियर्स की कैप्टन फातिमा वसीम सियाचिन पर एक ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात की जाने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं.

एक साल में तीन महिला अधिकारी
सेना के फिफ्टीन कोर (जिसे फायर एंड फ्यूरी कोर भी कहा जाता है) ने इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैप्टन फातिमा वसीम को कठिन प्रशिक्षण के बाद 15,200 फुट की ऊंचाई पर एक पोस्ट पर तैनात किया गया है. उन्होंने सियाचिन बैटल स्कूल में प्रशिक्षण हासिल किया था.

इससे पहले जनवरी, 2023 में फायर एंड फ्यूरी कोर की ही इंजीनियरिंग अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान सियाचिन में ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात की जाने वाली भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी बनी थीं. उन्होंने तीन महीनों तक 15,600 फुट की ऊंचाई पर स्थित कुमार पोस्ट पर अपनी सेवाएं दीं.

इन तीनों महिलाओं ने अपने आप में इतिहास रचा है. ऐतिहासिक रूप से भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित रही है लेकिन फरवरी, 2020 में आए सुप्रीम कोर्ट के यादगार फैसले के बाद स्थिति काफी तेजी से बदलने लगी है.

इस फैसले में अदालत ने सेना के तीनों अंगों में सेवा के जेंडर-न्यूट्रल नियम और शर्तें लागू करने के आदेश दिया था. उसके बाद से महिलाओं की भर्ती और अलग अलग भूमिकाओं में तैनाती को तेज किया गया है.

अगस्त, 2023 में केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी थी कि उस समय सेना के तीनों अंगों में अलग-अलग भूमिकाओं में 9,000 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं. महिलाओं को अब कॉम्बैट इकाइयों में भी भर्ती किया जा रहा है, लेकिन लड़ने वाली इकाइयों में अभी भी उनकी भर्ती बाकी है.

कठिन पोस्टिंग है सियाचिन
इन सब बातों के बीच सियाचिन पर तैनाती को सेना की महिला अधिकारियों के लिए अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर इलाके को भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित इलाका माना जाता है.

कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना ने 1984 में इस पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन अबाबील शुरू किया था, लेकिन भारतीय सेना को इसकी भनक लग गई और उसने ऑपरेशन मेघदूत के तहत इस इलाके पर कब्जा कर लिया.

तब से यह इलाका भारतीय सेना के नियंत्रण में है. इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र कहा जाता है और यहां सेना के 100 से भी ज्यादा पोस्ट हैं. यहां सेना का फायर एंड फ्यूरी कोर 110 किलोमीटर की सीमा रेखा की रक्षा करता है.

अधिकांश पोस्ट 15,000 फुट की ऊंचाई के आस पास स्थित हैं. 20,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित "बना" पोस्ट इलाके का सबसे ऊंचा पोस्ट है, जहां पहुंचने के लिए सैनिकों को माइनस 25 से माइनस 55 डिग्री सेल्सियस तापमान में 20 दिनों तक पैदल चढ़ाई कर पहुंचना पड़ता है.

सियाचिन पर तैनाती सेना की सबसे मुश्किल तैनातियों में से है. यहां एक बार में किसी की तैनाती दो से तीन महीनों तक की ही होती है. यहां कड़ाके की सर्दियों में तापमान माइनस 86 डिग्री सेल्सियस तक भी चला जाता है और तेज बर्फीली हवाएं भी चलती हैं.

भूस्खलन और हिमस्खलन का भी खतरा बना रहता है. माना जाता है कि पिछले करीब 40 सालों में वहां गोलीबारी से ज्यादा कठोर मौसम और प्रतिकूल इलाके की वजह से सैनिकों की जान गई है. (dw.com)

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