राष्ट्रीय
कोलकाता, 21 दिसंबर कटुता और अविश्वास के अतीत को देखते हुए पश्चिम बंगाल में संभावित कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस गठबंधन के लिए बातचीत को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों की साझा प्रतिद्वंद्वी है, लेकिन कांग्रेस की राज्य इकाई चुनावी समझौते में शामिल होने के प्रति इच्छुक नहीं दिखाई पड़ रही है।
कांग्रेस और तृणमूल दोनों ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के प्रमुख सहयोगी हैं और अनौपचारिक खबरों से दोनों दलों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत शुरू होने का संकेत मिलता है।
राजनीतिक परिदृश्य में उस समय अहम बदलाव आया जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने तृणमूल, कांग्रेस और वाम दलों को शामिल करते हुए गठबंधन का जिक्र किया। लेकिन इस पर राज्य में माकपा और कांग्रेस की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आयी।
तृणमूल सूत्रों के मुताबिक, राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी कुल 42 लोकसभा सीटों में से चार सीट कांग्रेस को देने की इच्छुक है। अभी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की दो सीटें हैं और दोनों सीटें अल्पसंख्यक बहुल जिलों मालदा और मुर्शिदाबाद में हैं।
तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने पुष्टि की, "हमारी पार्टी की सुप्रीमो ने कहा है कि तीनों दलों का गठबंधन संभव है। इससे अगले आम चुनाव में भाजपा से लड़ने और उसे हराने के लिए हमारी प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।’’
तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने के अनुरोध के साथ कहा कि कांग्रेस-तृणमूल गठबंधन राज्य की 42 में से 36-37 सीटों पर जीत हासिल कर सकता है और भाजपा के प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है। भाजपा को 2019 में राज्य की 18 लोकसभा सीटों पर कामयाबी मिली थीं।
बुधवार को बंगाल कांग्रेस नेतृत्व ने तृणमूल के साथ गठबंधन की संभावना पर विचार करने के लिए नयी दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मुलाकात की। अभी राज्य में कांग्रेस का माकपा के साथ गठबंधन है और कांग्रेस नेतृत्व तृणमूल के साथ गठबंधन को लेकर सतर्क रहता है।
दोनों दलों ने 2001 और 2011 का विधानसभा चुनाव और 2009 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा है। 2011 में, कांग्रेस-तृणमूल गठबंधन ने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने वाम मोर्चा शासन को हरा दिया था।
दोनों दलों के गठबंधन का इतिहास असंतोष से भरा रहा है और कांग्रेस ने तृणमूल पर पिछले चुनावों में उन्हें पर्याप्त सीटें नहीं देने का आरोप लगाया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने जोर दिया, "अगर पार्टी हमें तृणमूल के साथ गठबंधन के लिए कहती है, जिसने राज्य में कांग्रेस को बर्बाद कर दिया है, तो हम उनके निर्देशों का पालन करेंगे।"
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने अविश्वास की बात को स्वीकार किया, लेकिन साझा प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "यह विधानसभा चुनाव नहीं है, यह संसदीय चुनाव है जहां हमें किसी भी कीमत पर भाजपा को हराना होगा।’’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने तृणमूल के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार किया है। पार्टी के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बंगाल में तृणमूल के साथ कोई गठबंधन नहीं हो सकता क्योंकि वह भरोसेमंद नहीं है। और जहां तक कांग्रेस की बात है तो यह उन्हें स्पष्ट करना है कि वह किसके साथ गठबंधन चाहती है।" (भाषा)