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राजस्थान में हिजाब पर थम नहीं रहा विवाद
01-Feb-2024 1:01 PM
राजस्थान में हिजाब पर थम नहीं रहा विवाद

राजस्थान में सरकारी स्कूलों में हिजाब को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. बीजेपी के विधायक और मंत्री हिजाब के विरोध में बयान दे रहे हैं. इससे पहले कर्नाटक में हिजाब के मुद्दे पर बहुत विवाद हुआ था.

  डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट- 

कर्नाटक के बाद सरकारी स्कूलों में हिजाब का मामला राजस्थान में गरमाता जा रहा है. राजस्थान के हवा महल से बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने 27 जनवरी को सरकारी स्कूलों में लड़कियों के हिजाब पहनने पर आपत्ति जताई थी.

विधायक जयपुर शहर के गंगापोल क्षेत्र के एक सरकारी स्कूल के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने स्कूल की प्रिंसिपल और अन्य कर्मचारियों से कहा था कि स्कूल में कुछ छात्राएं हिजाब पहन कर क्यों आई हैं. विधायक ने ऐतराज जताते हुए हिजाब पर रोक लगाने की बात कही थी.

इसके बाद कुछ मुस्लिम छात्राओं ने जयपुर में एक पुलिस थाने का घेराव किया था और विधायक के बयान का विरोध किया था. मुस्लिम छात्राओं ने विधायक को अपने बयान के लिए माफी मांगने को कहा था.

समाचार चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए गंगापोल क्षेत्र के स्कूल की एक मुस्लिम छात्रा ने कहा कि उनका मजहब उन्हें हिजाब पहनने के लिए कहता है और यह उनके लिए बहुत अच्छी चीज है.

उस छात्रा ने कहा, "हिजाब लगाने से हमें बहुत सुकून मिलता है. विधायक को हिजाब के बारे में ऐसा नहीं बोलना चाहिए था." एक और छात्रा ने कहा कि स्कूल की प्रिंसिपल की कोई गलती नहीं है और उन्होंने कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है.

उस छात्रा ने कहा, "स्कूल के जो शिक्षक हैं उन्होंने भी कभी भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है. न ही प्रिंसिपल को सस्पेंड किया जाए और न ही किसी टीचर को सस्पेंड किया जाए."

मुस्लिम छात्राओं ने इस चैनल को बताया कि वे "भारत माता की जय" के नारे तो लगाती हैं लेकिन उनके धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ जो नारे है वह ना लगाती हैं और ना ही बोलना चाहती हैं.

दूसरे पक्ष की छात्राओं का कहना है कि जब मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहन कर आती हैं तो लड़कियां अलग-अलग नजर आती हैं और इससे उन्हें दिक्कत हैं. इन छात्राओं का कहना है कि अगर वे ऐसा करेंगी तो वे भी "भगवा" रंग पहनकर आएंगी.

क्या हिजाब पर बैन लगाएगी राजस्थान सरकार
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राजस्थान सरकार अन्य राज्यों से हिजाब प्रतिबंध पर स्थिति रिपोर्ट मांगने पर विचार कर रही है. वहीं राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पहले ही मदरसों समेत सरकारी और निजी स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध का समर्थन कर चुके हैं.

उनका कहना है कि इससे "अनुशासन आएगा, नहीं तो कोई भी कुछ भी पहनकर काम पर आ सकता है, यहां तक कि पुलिस थाने में भी."

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग में उच्च स्तर पर हिजाब प्रतिबंध पर रिपोर्ट तैयार कर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को भेजी जाएगी. सूत्रों का कहना है कि दिलावर ने विभाग से अन्य राज्यों में हिजाब प्रतिबंध की स्थिति और राजस्थान में इसके असर को लेकर रिपोर्ट मांगी है.

मंगलवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि जहां भी ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जा रहा है, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने एक बयान में कहा, "स्कूलों और अन्य सरकारी संस्थानों में सरकारी आदेशों (ड्रेस कोड के संबंध में) का पालन करना होगा और छात्रों को भी ड्रेस कोड का पालन करना होगा."

उन्होंने कहा कि ड्रेस कोड का पालन सुनिश्चित करने के आदेश पहले से ही मौजूद हैं और जहां भी अनियमितताएं पाई जाएंगी, कार्रवाई होगी."

हिजाब के विरोध में बीजेपी नेताओं के बयान
बीजेपी के विधायक, मंत्री और यहां तक की विश्व हिंदू परिषद के नेता हिजाब के विरोध में बयान दे चुके हैं. विश्व हिंदू परिषद ने भी स्कूलों में ड्रेस कोड का समर्थन किया है. वहीं राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा है कि छात्रों को "उटपटांग" कपड़े पहन कर स्कूल जाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने एक ड्रेस कोड लागू कर रखा है तो सबको उस ड्रेस में ही आना चाहिए.

बेढम ने कहा, "ड्रेस कोड को लेकर समय-समय पर सरकार के आदेश आते रहे हैं, जो शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है. हम भी जब पढ़ते थे तो स्कूल ड्रेस में ही जाते थे. और छात्रों को उस ड्रेस में ही स्कूल आने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि सरकार के साथ-साथ एनजीओ भी स्कूल ड्रेस देते हैं."

कर्नाटक में उठा था हिजाब का विवाद
हिजाब का मामला इससे पहले कर्नाटक में उठ चुका है. 31 दिसंबर 2021 को कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर विवाद हो गया था. जब यह विवाद बढ़ा तो फरवरी 2022 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में सभी प्रकार के कपड़ों और धार्मिक पहचान वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया था.

आदेश में तर्क दिया गया कि कोई भी कपड़ा या वस्तु जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को परेशान करेगी, उसे स्कूलों में पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को बरकरार रखा था और कहा था कि स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड सही है.

22 दिसंबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने अधिकारियों से हिजाब पर लगे बैन को हटाने को कहा है.

सिद्धारमैया ने कहा, "हम हिजाब सर्कुलर को वापस ले लेंगे. इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है और लोग अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकते हैं." लेकिन इसके बाद बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि सरकार इस मामले को "गहराई" से देखने के बाद प्रतिबंध हटाने पर फैसला करेगी. (dw.com)

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