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भारतीय नागरिकों से विवाह करने वाले अनिवासियों, प्रवासियों के मामले में व्यापक कानून जरूरी: विधि आयोग
16-Feb-2024 8:59 PM
भारतीय नागरिकों से विवाह करने वाले अनिवासियों, प्रवासियों के मामले में व्यापक कानून जरूरी: विधि आयोग

नयी दिल्ली, 16 फरवरी विधि आयोग ने अनिवासी भारतीयों और भारतीय नागरिकों के बीच विवाह के मामलों में "बढ़ती" धोखाधड़ी को "चिंताजनक" बताते हुए स्थिति से निपटने के लिए एक व्यापक कानून और ऐसी शादियों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की है।


आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने विधि मंत्रालय को "अनिवासी भारतीयों और भारत के प्रवासी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून" नामक रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

रिपोर्ट के अनुसार, आयोग की राय है कि प्रस्तावित केंद्रीय कानून अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के भारतीय नागरिकों के साथ विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से व्यापक होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अवस्थी ने बृहस्पतिवार को कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को लिखे अपने ‘कवरिंग लेटर’ में कहा, ‘‘अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय नागरिकों के बीच शादी के मामलों में बढ़ती धोखाधड़ी की प्रवृत्ति चिंताजनक है। कई रिपोर्ट इस बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती हैं जहां ये शादियां धोखाधड़ी साबित होती हैं, जिससे भारतीय पति-पत्नियों, विशेषकर महिलाओं को अनिश्चित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।’’

आयोग ने कहा कि इस तरह का कानून न सिर्फ एनआरआई, बल्कि भारतीय मूल के प्रवासी विदेशी नागरिकों (ओसीआई) के दर्जे के साथ आने वाले लोगों पर भी लागू होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अवस्थी ने कहा, ‘‘यह भी सिफारिश की जाती है कि एनआरआई/ओसीआई और भारतीय नागरिकों के बीच सभी विवाहों को भारत में अनिवार्य रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि व्यापक केंद्रीय कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की अभिरक्षा और भरण-पोषण, एनआरआई तथा ओसीआई को समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेज तामील करने के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।

न्यायमूर्ति अवस्थी ने सरकार से कहा, ‘‘इसके अलावा, यह अनुशंसा की जाती है कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा, पति-पत्नी के पासपोर्ट को एक-दूसरे के साथ जोड़ना और दोनों के पासपोर्ट पर विवाह पंजीकरण संख्या का उल्लेख करना अनिवार्य करने के लिए पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में अपेक्षित संशोधन किए जाने की आवश्यकता है।’’

आयोग ने याद दिलाया कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए अनिवासी भारतीय विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019 को 11 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था।

शुरू में, 16वीं (पिछली) लोकसभा ने विधेयक को विदेश मामलों की समिति को भेजा था। इसके बाद, 17वीं (वर्तमान) लोकसभा के गठन के बाद उसी विधेयक को आगे की पड़ताल के लिए फिर से विदेश मामलों की समिति के पास भेज दिया गया था।

विचार-विमर्श जारी रहने के बीच विधि आयोग को विदेश मंत्रालय से एनआरआई विधेयक, 2019 पर एक संदर्भ प्राप्त हुआ, जो गत अप्रैल में विधि मंत्रालय के माध्यम से मिला।

आयोग ने कहा, ‘‘यदि विवाह अनिवार्य रूप से पंजीकृत होगा तो पति-पत्नी से संबंधित सभी रिकॉर्ड संबंधित सरकारी विभाग, मुख्यतः गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध होंगे। इसके संबंध में जानकारी विदेश मंत्रालय को उपलब्ध होगी और यह ऑनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध होगी।’’

इसमें रेखांकित किया गया कि हालाँकि ऐसी परिस्थितियां भी हो सकती हैं जहां कोई नागरिक अपनी शादी के बाद एनआरआई या ओसीआई बन सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि केवल एनआरआई या ओसीआई के लिए पंजीकरण अनिवार्य बनाने में एकमात्र कठिनाई यह है कि ऐसे व्यक्तियों के पहले ही हो चुके विवाह का पंजीकरण नहीं हो सकता क्योंकि वर्तमान में भारत में विवाह के पंजीकरण को नियंत्रित करने वाला कोई व्यापक या समान कानून नहीं है।

इसमें कहा गया, "इसलिए, विशिष्ट मामलों में विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के बजाय, इसे आम तौर पर सभी मामलों के लिए किया जाना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, कानून (लंबित एनआरआई विवाह विधेयक) में यह प्रावधान किया जा सकता है कि यदि कोई विवाहित भारतीय नागरिक बाद में एनआरआई/ ओसीआई बनता है, तो उसके लिए अपनी शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।'

विधि आयोग ने यह भी सिफारिश की कि एनआरआई विवाह से संबंधित सभी पहलुओं से जुड़े प्रस्तावित केंद्रीय कानून के तहत एनआरआई की परिभाषा को समग्र और सर्वव्यापी बनाया जाना चाहिए।

इसमें कहा गया कि इस पर विचार किया जाना चाहिए कि इस तरह की परिभाषा का उद्देश्य "गलती करने वाले पति या पत्नी के खिलाफ कानून की नजर में परित्यक्त पति या पत्नी की रक्षा करना" है।

विधि आयोग ने उल्लेख किया कि कोई भी कानून अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को पूरा करने में तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि लोगों को इसके बारे में व्यापक रूप से जागरूक न किया जाए।

इसने कहा कि विवाह मामलों में धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार को विदेशों में भारतीय प्रवासियों के साथ जुड़कर जागरूकता पैदा करनी चाहिए।  (भाषा)

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