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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 मार्च। यह किस्सा रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार स्व मधुकर खेर से जुड़ा हुआ है। उनके बेटे की तबीयत खराब थी। डाक्टरों ने कहा- इसे मिल्क पाउडर देना होगा। मिल्क पाउडर दवा की दुकान में मिलता था। और दवा व्यवसायियों की हड़ताल चल रही थी। बेटे की तबीयत को देखते हुए श्री खेर ने पिता के रूप में एक फैसला लिया। उन्होंने पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों को सूचना दी कि मेरे बेटे के लिए मिल्क पाउडर बहुत जरूरी है। मैं जहां से दवाएं लेता हूं, उस मेडिकल स्टोर का ताला तोड़ूंगा। मुझे पता है मिल्क पाउडर कहां रखा है। वह लेकर मैं उसके पैसे भी छोड़ दूंगा। इसके बाद आप चाहें तो मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं। मधुकर खेर बहुत सम्माननीय पत्रकार थे। नियम कायदों का सम्मान करते थे। उनकी इस बात से हड़कंप मच गया। आनन फानन बड़े अफसरों ने उनसे संपर्क किया। आईजी ने कहा- क्या आप ये बात मेडिकल व्यवसायियों के सामने कह सकते हैं? खेर ने कहा- बिल्कुल कह सकता हूं। तत्काल बैठक बुलाई गई। मेडिकल व्यवसायियों के सामने खेर ने अपनी बात रखी। इस पर चर्चा हुई और अंतत: व्यवसायियों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला कर लिया। खेर साहब को मिल्क पाउडर मिल गया। जब यह सब हो गया तब एक अफसर ने उनसे कहा- आप कहते तो मिल्क पाउडर आपके घर पहुंच जाता। खेर साहब ने कहा- शहर में एक मेरा ही बच्चा बीमार नहीं था। अफसर उन्हें देखते रह गए।
यह किस्सा आज रायपुर प्रेस क्लब में खेर की पुण्य तिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उनके पुत्र मिलिंद खेर ने सुनाया। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने पत्रकारिता को निष्पक्षता के साथ निभाया। सबके भले के लिए काम किया। उल्लेखनीय है कि रायपुर प्रेस क्लब का नाम मधुकर खेर के नाम पर ही है।
मिलिंद ने स्व. खेर के स्कूली जीवन का एक किस्सा सुनाया। तब स्व खेर का घर बूढ़ापारा में था। वे लॉरी स्कूल में पढ़ते थे। रोज अपने साथियों के स्कूल साथ जाते थे। रास्ते में एक वृद्धा बैठी मिलती थी। सब बच्चे उसे चिढ़ाते हुए निकलते थे। वृद्धा कुछ नहीं कहती थी। एक रोज चिढ़ाने वालों में स्व. खेर भी शामिल हो गए। उन्होंने भी वृद्धा को ऐसा कुछ कह दिया जो दूसरे बच्चे रोज कहते थे। तब शहर छोटा सा था। सब एक दूसरे को जानते थे। वृद्धा सब बच्चों को नाम से जानती थी। उसने स्व. खेर का नाम लेकर कहा- मेरे लिए यह सुनना नया नहीं है। लेकिन आज तूने भी कह दिया? इस छोटी सी घटना ने स्व. खेर के बाल मन पर इतना असर डाला कि वे गुमसुम हो गए। माता-पिता ने देखा तो पूछताछ की। तब इस घटना का पता चला। उस दिन स्व. खेर से संकल्प लिया कि कभी किसी के बारे में बुरा नहीं सोचूंगा। बुरा नहीं कहूंगा। उस घटना ने ही उन्हें साहित्यकार बना दिया। उन्होंने साहित्यकार के रूप में बहुत सी कहानियां लिखीं जो देशभर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। इन कहानियों का संकलन भी प्रकाशित हो चुका है।
और भी वक्ताओं ने श्री खेर से जुड़े प्रसंगों का स्मरण किया। प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने कहा कि हम अपने वरिष्ठ पत्रकारों की जीवनी और उनके कृतित्व का प्रकाशन करना चाहते हैं ताकि नई पीढ़ी उनसे सीख सके। महासचिव वैभव शिव पांडेय ने कहा कि हम अपने पुरखों के स्मरण का सिलसिला जारी रखेंगे ताकि उनके जीवन व उनके कार्यों से सीख सकें। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष रमन हलवाई, अरविंद सोनवानी व प्रेस क्लब के सदस्य उपस्थित थे।