राष्ट्रीय

लोस चुनाव : अमेठी लोकसभा सीट से 25 वर्षों में पहली बार गांधी परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा
03-May-2024 4:48 PM
लोस चुनाव : अमेठी लोकसभा सीट से 25 वर्षों में पहली बार गांधी परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा

नयी दिल्ली, 3 मई उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट को गांधी परिवार के सबसे मजबूत किलों में से एक माना जाता रहा है लेकिन 25 वर्षों में ऐसा पहली बार होगा जब गांधी परिवार का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव में इस सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा।

वर्ष 1967 में निर्वाचन क्षेत्र बने अमेठी को गांधी परिवार का मजबूत किला माना जाता है और करीब 31 वर्षों तक गांधी परिवार के सदस्यों ने इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया है।

पिछले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता स्मृति ईरानी कांग्रेस के इस किले को भेदने में सफल रहीं और उन्होंने राहुल गांधी को 55 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी।

इस बार राहुल गांधी रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे जबकि गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। शर्मा ने गांधी परिवार की गैर-मौजूदगी में दोनों प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों का काम-काज संभाला है।

अमेठी लोकसभा सीट पर गांधी परिवार को 1998 में उस समय झटका लगा था, जब राजीव गांधी और सोनिया गांधी के करीबी सतीश शर्मा को भाजपा के संजय सिंह के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था। यह पहला मौका था जब यह सीट गांधी परिवार के हाथ से निकल गयी थी।

सोनिया गांधी ने 1999 में सिंह को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराकर अमेठी को फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दिया था।

सोनिया ने 2004 में रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और राहुल गांधी को अमेठी सीट सौंपी गयी। राहुल ने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार इस सीट पर जीत दर्ज की लेकिन 2019 में उन्हें स्मृति इरानी के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी।

अमेठी, उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से एक प्रमुख लोकसभा सीट है, जिसमें पांच विधानसभा क्षेत्र तिलोई, सालोन, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी आते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस, भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस क्षेत्र में तीन मुख्य दलों के रूप में उभरे हैं।

अमेठी लोकसभा सीट से सबसे पहले सांसद चुने जाने वाले व्यक्ति थे कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी, जिन्होंने न सिर्फ 1967 में बल्कि 1971 में भी यहां से जीत हासिल की थी। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। लेकिन संजय गांधी ने 1980 के आम चुनाव में सिंह को हराकर महज तीन वर्षों में अपना चुनावी बदला पूरा कर लिया।

उसी वर्ष के आखिर में संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद 1981 में हुए उपचुनाव में संजय के भाई राजीव गांधी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को दो लाख से अधिक मतों से हराकर अमेठी से शानदार जीत हासिल की थी।

राजीव गांधी ने 1991 तक अमेठी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसी वर्ष उग्रवादी समूह लिट्टे ने उनकी हत्या कर दी। राजीव की हत्या के बाद, इसी वर्ष हुए उपचुनाव में अमेठी से सतीश शर्मा जीते और 1996 में फिर से सांसद चुने गए लेकिन 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने उन्हें हरा दिया।

स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 4,68,514 मत हासिल कर 55 हजार से अधिक मतों के अंतर से अमेठी सीट पर जीत हासिल की थी जबकि राहुल गांधी को 4,13,394 वोट मिले थे।

इससे पहले 2014 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने 4,08,651 मतों के साथ लगातार तीसरी बार अमेठी सीट पर अपना कब्जा जमाया था जबकि ईरानी को 3,00,748 मत प्राप्त हुए थे।

अमेठी और रायबरेली सीट पर 20 मई को मतदान होना है। (भाषा) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news