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हैदराबाद, 4 मई। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे रोहित वेमुला की मौत की जांच कर रही पुलिस ने स्थानीय अदालत के समक्ष मामले को बंद करने की रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट) दाखिल की है जिसमें दावा किया गया है कि वह दलित नहीं था और उसने ‘असली पहचान’ जाहिर होने के डर से आत्महत्या की थी।
पुलिस ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए इस मामले के आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दे दी।
इस मामले में हैदराबाद विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोडिले और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बंडारू दत्तात्रेय, भाजपा के पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) एन. रामचंद्र राव के साथ-साथ एबीवीपी के कुछ नेता भी आरोपी थे।
मामले की जांच कर रही साइबराबाद पुलिस ने अदालत को बताया कि रोहित वेमुला अनुसूचित जाति (एससी) का नहीं था और उसे इसकी जानकारी थी। वेमुला ने 2016 में आत्महत्या कर ली थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ''रोहिता वेमुला को कई मुद्दे परेशान कर रहे थे जिसके कारण वह आत्महत्या कर सकता था।’’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘इसके अलावा वेमुला को खुद भी पता था कि वह अनुसूचित जाति का नहीं है और उसकी मां ने उसे अनुसूचित जाति (एससी) का प्रमाण पत्र बनवाकर दिया था। यह निरंतर भय में से एक हो सकता है क्योंकि इसके उजागर होने के परिणामस्वरूप उनकी शैक्षणिक उपाधि वापस ली जा सकती थी जो उसने वर्षों में अर्जित की थीं और उसे अभियोजन का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘तमाम कोशिशों के बावजूद, यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला कि आरोपियों के कृत्यों ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया।’’
वेमुला की 2016 में मौत एक राजनीतिक मुद्दा बन गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसके लिए केंद्र सरकार पर हमला बोला था, वहीं, तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मामले को जाति की लड़ाई के तौर पर पेश करने के कथित प्रयासों की आलोचना की थी।
पुलिस द्वारा मामले को बंद करने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा, ‘‘सच्चाई की जीत होती है।''
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ''तेलंगाना पुलिस ने रोहित वेमुला मामले को बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें दावा किया गया है कि वह दलित नहीं था और उसने आत्महत्या की थी। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एमएलसी एन. रामचंद्र राव और हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) नेता को दोषमुक्त कर दिया गया है। सत्य की जीत हुई।'' (भाषा)