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रांची, 7 मई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)। ने मंगलवार को यहां एक अदालत को बताया कि झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम के सचिव ने निविदाओं पर ‘‘कुछ प्रभावशाली लोगों’’ की ओर से कमीशन एकत्र किया था।
ईडी ने यह भी दावा किया कि मंत्री के ग्रामीण विकास विभाग के शीर्ष से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी कथित अवैध नकद भुगतान सांठगांठ में शामिल थे।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने यहां एक फ्लैट में तलाशी लेने के बाद सोमवार को संजीव कुमार लाल (52) और उनके घरेलू सहायक जहांगीर आलम (42) को गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान उस फ्लैट से 32.20 करोड़ रुपये जब्त किया गया, जहां आलम रहा करता था।
ग्रामीण विकास मंत्री एवं कांग्रेस नेता आलमगीर आलम के सचिव लाल और जहांगीर आलम को यहां न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा की विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें छह दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ी धन शोधन जांच के तहत ईडी द्वारा यह जब्ती की गई।
ईडी के मामले में कुल नकदी के रूप में लगभग 36.75 करोड़ रुपये की जब्ती की गई क्योंकि एजेंसी ने करीब तीन करोड़ रुपये अन्य स्थान से जब्त किये हैं जिसमें लाल के घर से जब्त किये गए 10.05 लाख रुपये भी शामिल है। मंगलवार को एक ठेकेदार के परिसर से भी डेढ़ करोड़ रूपये जब्त किये गए।
हालांकि, आलमगीर आलम (70) ने लाल की गतिविधियों से अपनी दूरी बना ली है। सोमवार को संवाददाताओं से बात करते हुए मंत्री ने कहा था कि लाल ने पूर्व में राज्य सरकार के दो मंत्रियों के साथ काम किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भाजपा की चुनावी रैलियों में, इस नकदी जब्ती का उल्लेख किया था। हालांकि, विपक्षी दलों ने दावा किया कि ईडी की कार्रवाई उनके नेताओं पर एक हमला है।
पूछताछ के लिए लाल और जहांगीर आलम की हिरासत का अनुरोध करते हुए अदालत में दाखिल किये गए अपने रिमांड पत्र में ईडी ने कहा, ‘‘यह पता चला है कि संजीव लाल ने कुछ प्रभावशाली लोगों की ओर से कमीशन एकत्र किया और निविदियों के प्रबंधन के लिए एवं अभियंताओं से कमीशन लेने में एक अहम भूमिका निभाई। साथ ही, कमीशन का एक हिस्सा सरकार के उच्च पदस्थ लोगों को पहुंचाया गया।’’
एजेंसी ने कहा कि वरिष्ठ नौकरशाहों और राजनीतिक नेताओं के नाम मामले में उभर कर सामने आए हैं और इसकी जांच की जा रही है।
सितंबर 2020 का धन शोधन मामला, झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (जमशेदपुर) के एक मामले और मार्च 2023 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा राज्य के ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम एवं अन्य के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी से निकला है।
वीरेंद्र राम को पिछले साल ईडी ने गिरफ्तार किया था।
ईडी के अनुसार, राम निविदा आवंटन और काम पूरे करने के संदर्भ में कमीशन एकत्र किया करता था और इस कमीशन का डेढ़ प्रतिशत उसके वरिष्ठ अधिकारियों एवं राजनीतिक नेताओं के बीच बांटा जाता था।
ईडी ने अदालत में आरोप लगाया कि इस तरह का एक कमीशन राम ने सितंबर 2022 में लाल को दिया था। (भाषा)