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अदालत ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट से अंतरंग तस्वीरें हटाने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर करने को कहा
09-May-2024 9:53 PM
अदालत ने गूगल, माइक्रोसॉफ्ट से अंतरंग तस्वीरें हटाने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर करने को कहा

नयी दिल्ली, 9 मई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्च इंजन बिंग का स्वामित्व रखने वाली माइक्रोसॉफ्ट और गूगल से एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की सलाह दी, जिसमें उन्हें बिना सहमति वाली अंतरंग तस्वीरों की पहचान करने और उन्हें हटाने का निर्देश दिया गया था।

दोनों सर्च इंजन ने एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील दायर की। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि बाल यौन शोषण सामग्री के मामलों के विपरीत, गैर-सहमति वाली अंतरंग तस्वीरों को उनकी वर्तमान तकनीक द्वारा पता नहीं लगाया जा सकता है, इसलिए अप्रैल 2023 में एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश का पालन करना उनके लिए संभव नहीं है।

बिंग और गूगल के वरिष्ठ वकीलों ने अदालत को आश्वासन दिया कि एक नयी तकनीक विकसित की जा रही है, लेकिन यह अभी तक उस स्तर तक नहीं पहुंची है जहां वह ऐसी गैर-सहमति वाली सामग्री का स्वयं पता लगा सके।

उन्होंने कहा कि सर्च इंजन किसी भी सामग्री को ‘‘होस्ट’’ नहीं करते हैं और एक बार आपत्तिजनक सामग्री को होस्ट करने वाली साइट से हटा दिए जाने के बाद, यह सर्च परिणामों में भी दिखाई नहीं देगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘कोई भी आपको असंभव काम करने के लिए नहीं कह सकता।’’ इसके साथ ही पीठ ने सर्च इंजन को सलाह दी कि वह एकल पीठ के निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए उसी पीठ से संपर्क करे।

पीठ ने कहा, ‘‘यह उचित होगा कि याचिकाकर्ता एक पुनर्विचार याचिका दायर करें और उपरोक्त तथ्यों को एकल न्यायाधीश के संज्ञान में लाएं। यदि याचिकाकर्ताओं को पुनर्विचार याचिका में एकल न्यायाधीश के आदेश से राहत नहीं मिलती है तो वे वर्तमान याचिका को फिर से दायर कर सकेंगे।’’

गूगल के वरिष्ठ वकील ने जब यह आश्वासन मांगा कि एकल पीठ के निर्देशों का पालन न करने पर उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए, तो अदालत ने कहा कि अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

एकल पीठ ने 26 अप्रैल, 2023 को पारित एक आदेश में कहा था कि किसी भी आपत्तिजनक सामग्री तक पहुंच तुरंत रोकना सर्च इंजन की जिम्मेदारी है और पीड़ित को राहत के लिए फिर से प्राधिकारों के पास जाकर अपमान या उत्पीड़न का सामना करने के लिए नहीं कहा जा सकता।

यह फैसला एक महिला की याचिका पर आया था, जिसने अपनी अंतरंग तस्वीरें प्रदर्शित करने वाली कुछ साइट पर रोक लगाने के लिए निर्देश का अनुरोध किया था।

एकल पीठ ने कहा था कि गैर-सहमति वाली अंतरंग तस्वीरों का दुरुपयोग, निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और पीड़िता को मनोवैज्ञानिक चोट पहुंचाता है। (भाषा)

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