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नड्डा ने तमिलनाडु जहरीली शराब हादसे पर खरगे को लिखा पत्र, कांग्रेस की चुप्पी पर उठाए सवाल
24-Jun-2024 7:28 PM
नड्डा ने तमिलनाडु जहरीली शराब हादसे पर खरगे को लिखा पत्र, कांग्रेस की चुप्पी पर उठाए सवाल

नयी दिल्ली, 24 जून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पत्र लिखकर तमिलनाडु में हाल ही में हुए जहरीली शराब हादसे पर उनकी पार्टी की ‘उदासीन चुप्पी’ पर सवाल उठाया।

नड्डा ने खरगे को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु जहरीली शराब त्रासदी ‘पूरी तरह से मानव जनित आपदा’ है और अगर सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार और अवैध शराब माफियाओं के बीच सांठगांठ नहीं होती तो शायद 56 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

इस हादसे के बाद करीब 160 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं।

नड्डा ने कहा कि तमिलनाडु में जहरीली शराब त्रासदी के बाद कल्लाकुरिची के करुणापुरम गांव में जलती चिताओं की भयावह तस्वीरों ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘खरगे जी, जैसा कि आप जानते हैं कि करुणापुरम में अनुसूचित जाति की आबादी काफी अधिक है, जो तमिलनाडु में गरीबी और भेदभाव के कारण कई चुनौतियों का सामना करते हैं। मैं हैरान हूं कि जब इतनी बड़ी आपदा आई है तो आपके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने इस पर चुप्पी साध रखी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुद्दों पर हमें पार्टी लाइन से ऊपर उठने की आवश्यकता है और एससी, एसटी समुदाय का कल्याण और सुरक्षा भी एक ऐसा ही मुद्दा है।’’

नड्डा ने खरगे से कहा कि वह तमिलनाडु की द्रमुक सरकार पर सीबीआई जांच कराने और राज्य के मद्य निषेध एवं आबकारी मंत्री एस मुथुसामी को उनके पद से तत्काल हटाने का अनुरोध करें।

उन्होंने यह भी मांग की कि पीड़ितों के परिजनों को दी जाने वाली मुआवजे की राशि को ‘उचित’ तरीके से बढ़ाया जाए ताकि इन परिवारों को पर्याप्त सहयोग मिल सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘खरगे जी आज समय है कि ‘न्याय’ को लेकर कही गई बातों पर सही मायने में अमल किया जाए न कि इसे बस एक आकर्षक चुनावी नारे तक ही सीमित किया जाए। आज, तमिलनाडु के लोग और पूरा अनुसूचित जाति समुदाय कांग्रेस पार्टी और विशेष रूप से राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन के नेताओं के दोहरे मापदंड देख रहा है।’’

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अचानक संविधान और अनुसूचित जाति/ओबीसी समुदाय के कल्याण एवं अधिकारों को सुनिश्चित करने के बारे में राहुल गांधी के सभी पवित्र उपदेश बंद क्यों हो गए हैं?

उन्होंने कहा, ‘‘खरगे जी, कार्रवाई करने का समय आ गया है। खोखले शब्द, फर्जी बयानबाजी और खोखले वादों से द्रमुक-इंडिया गठबंधन सरकार अनुसूचित जाति के पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति न्याय नहीं कर पाएगी।’’

भाजपा प्रमुख ने खरगे से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा को पीड़ितों के परिवारों से मिलने या कम से कम इस मुद्दे पर आवाज उठाने का साहस जुटाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन के विभिन्न घटकों में अवैध शराब कारोबार और ‘शराब घोटालों’ की ‘प्रवृत्ति’ है।

नड्डा ने कहा, ‘‘आपको अपने गठबंधन को ऐसे तत्वों से मुक्त करना चाहिए जो अवैध शराब के कारोबार या शराब घोटाले को संरक्षण देने में लिप्त हैं और जो महात्मा गांधी जी के मूल दर्शन के खिलाफ जाते हैं, जो शराब के सेवन के सख्त खिलाफ थे।’’

नड्डा ने कहा कि ‘मीडिया और खोजी रिपोर्ट’ में अब तक यह बात सामने आई है कि कैसे राज्य में अवैध शराब का कारोबार बेखौफ जारी है। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर इसमें राज्य और पुलिस का संरक्षण होगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि जब आपदा आई तो तत्काल जवाबदेही लेने और लोगों की जान बचाने के बजाय राज्य प्रशासन इसे छिपाने की कोशिश में व्यस्त था। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से अधिक लोगों की जान गई।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सबसे ज्यादा निराशाजनक एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक-इंडिया गठबंधन सरकार की प्रतिक्रिया रही है, जिसने इस मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया। उनकी सरकार सीबीआई जांच का विरोध कर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच में लगातार बाधा डाल रही है।’’

उन्होंने कहा कि कार्रवाई करने के बजाय, ‘इंडिया’ गठबंधन के साथी कमल हासन ने अवैध शराब माफिया और ‘द्रमुक-इंडी गठबंधन के पदाधिकारियों’ के भ्रष्ट गठजोड़ के बजाय पीड़ित परिवारों को त्रासदी के लिए दोषी ठहराकर उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम किया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हासन ने क्षेत्र में लोगों को मनोरोग परामर्श देने का भी संकेत दिया। राहत मुहैया कराने की बजाय अनुसूचित जाति (अनुसूचित जाति) के पीड़ितों को आपके सहयोगी शर्मिंदा कर रहे हैं।’’

उन्होंने मांग की कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन जो राज्य के गृह मंत्री भी हैं, उन्हें पीड़ितों के परिवारों से मिलना चाहिए और भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने और उनका बचाव करने की बजाय वह ‘सख्त कार्रवाई’ सुनिश्चित करें। (भाषा)

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